अब समय आ गया है कि करदाताओं का एक अखिल भारतीय संगठन बनाया जाए। दुनिया का सबसे बड़ा संगठन। अब देश में टैक्स पेयर्स यूनियन का गठन होना चाहिए। चाहे कोई भी सरकार शासन कर रही हो, इस करदाता संघ की स्वीकृति के बिना, न तो मुफ्त बिजली, न मुफ्त पानी, न मुफ्त वितरण, या ऋण माफी की घोषणा किसी के द्वारा की जा सकती है, न ही कोई सरकार कर सकती है।
पैसा हमारे टैक्स भुगतान से आता है, इसलिए हमें यह भी कहने का अधिकार होना चाहिए कि इसका उपयोग कैसे किया जाए। पार्टियां वोट के लिए मुफ्त उपहार बांटकर लालच देती रहेंगी, क्योंकि इससे उन्हें फायदा होता है। जो भी योजनाओं की घोषणा की जाती है, पहले उसका खाका दें, संगठन से सहमति लें, और यह सांसदों और विधायकों के वेतन और उन्हें मिलने वाले अन्य लाभों पर भी लागू होना चाहिए।
क्या लोकतंत्र सिर्फ वोट देने तक सीमित है? उसके बाद हमारे पास क्या अधिकार हैं ? इसके लिए ‘राइट टू रिकॉल’ का अधिकार होना चाहिए। इसे शीघ्र लागू किया जाना चाहिए। अगर आप सहमत हैं तो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।
साभार संकलन Telegram से सारा कुमारी द्वारा।