विपुल रेगे। अक्षय कुमार की फिल्म ‘राम सेतु’ का टीजर रिलीज हो गया है। टीजर देखने के बाद इसे लेकर एक पॉजिटिव माहौल बनता दिखाई दे रहा है। टीजर से स्पष्ट है कि एक काल्पनिक कथानक पर ये फिल्म बनाई गई है। पिछले दिनों श्रीकृष्ण की द्वारिका पर बनी ‘कार्तिकेय: 2’ में भी अधिकांश काल्पनिक तथ्य डाले गए थे लेकिन फिल्म सफल रही। हालाँकि राम सेतु के साथ ऐसा ही होगा, ये अभी से नहीं कहा जा सकता। इतना ज़रुर कहा जा सकता है कि अक्षय कुमार की फिल्म की चर्चा शुरु हो गई है।
टीजर की शुरुआत में अक्षय कुमार कहते दिखाई देते हैं कि ‘राम सेतु को बचाने के लिए हमारे पास केवल तीन दिन हैं।’ इस डायलॉग ने ट्रेड पंडितों और फिल्म समीक्षकों को दिमागी घोड़े दौड़ाने के लिए मजबूर कर दिया है। भारतीय दर्शक ये सोच रहे हैं कि ये फिल्म तर्कपूर्वक ये सिद्ध करेगी कि वहां समुद्र में जलमग्न स्ट्रक्चर मानवों द्वारा निर्मित है। हालाँकि जब मैंने टीजर देखा तो कहानी दूसरी दिशा में जाती दिखाई दे रही है।
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राम सेतु को तोड़ने का प्रयास सन 2007 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा किया गया था लेकिन मामला न्यायालय में चला गया। उस समय न्यायालय ने सेतु को तोड़ने पर रोक लगा दी। आपको ये जानकर दुःख होगा कि हमारी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (एएसआई) आधिकारिक रुप से कह चुकी है कि राम सेतु के मानव निर्मित होने का कोई प्रमाण उसके पास नहीं है। भारत के लिए ये बड़ी दुःखद स्थिति है।
रामायण और राम सेतु को लेकर कई विद्वानों से बहुत से शोध किये हैं, जो सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि राम सेतु प्राकृतिक पुल नहीं है। जैसे डॉ.हेमा हारी के शोध को हम कैसे भूल सकते हैं। हेमा हारी ने ‘भारत ज्ञान’ नामक एक संस्था शुरु की और रामायण को लेकर विस्तृत शोध किया। मुझे नहीं पता कि फिल्म राम सेतु की रिसर्च टीम ने श्रीनि कल्याणरामम के विस्तृत शोध के बारे में जाना था या नहीं।
राम सेतु को लेकर ऐसे तो बहुत से शोध किये गए, जर्नल्स लिखे गए हैं। हालाँकि डॉ.हेमा हारी और श्रीनि के रिसर्च पेपर ही सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि सेतु स्वयं नहीं बना, बल्कि उसे बनाया गया था। राम सेतु के टीजर में एक्शन दिखाया गया है, बंदूके चल रही है। एक दृश्य में अक्षय कुमार पानी के भीतर राम सेतु देखने के लिए जा पहुंचे हैं। भारत के दो महाकाव्यों रामायण और महाभारत के प्रमाण समुद्र में डूबे पड़े हैं।
द्वारिका पर तो शोध भी हुआ लेकिन राम सेतु को लेकर एएसआई ने कोई बड़ा अभियान नहीं चलाया है। राम सेतु फिल्म दर्शकों को आनंदित कर सकती है, लेकिन सही सत्य की ओर ले जाती नहीं दिख रही। इससे हिंदुत्व का प्रचार तो अवश्य हो जाएगा लेकिन इस अंधी काल्पनिक गली में सत्य कहीं ग़ुम होकर रह जाएगा। वह सत्य जो श्रीनि कल्याणरामम और हेमा हारी जैसे शोधकर्ता पहले ही प्रकट कर चुके हैं। उस सत्य को छोड़ अक्षय कुमार ने क्या बनाया है, ये देखना भी रोचक रहने वाला है।