-: मंदिर और हमारा समाज :-
साथियों हमारे देश के प्रति घृणा की भावना रखने वाले और खासकर सनातन संसकृति ( हिन्दू एवं हिन्दू धर्म ) से घृणा करने वाले विधर्मी, सनातन के ऊपर सबसे ज्यादा हमलावर रहते हैं। सनातन संस्कृति जैसे हमारे पूजा पद्यति , हमारे भगवान , हमारे मंदिरों के साथ साथ हमारे साधू संतों हमारे महापुरुषों हिन्दुओं से जुडी हुई संस्थाएं , आदि आदि पर सबसे ज्यादा हमला करते हैं ।
साथही साथ इस महान संसकृति और सभ्यता का सबसे ज्यादा संरक्षण करने वाले समाज ब्राम्हण समाज के ऊपर भी सबसे ज्यादा हमला करते हैं ये विधर्मी ऐसा इसलिए करते हैं कि यदि इस समाज के प्रति हिन्दूओं से सम्बंधित अन्य समाज में भ्रम फैला दिया जाये तो सनातन पर विस्वास करने वाले कम हो जायेंगे और सनातन संस्कृति अपने आप ही नष्ट हो जाएगी । फिर सनातनी हिन्दू समाज को बिखरने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। जिसका गंभीर परिणाम यह होगा कि देश को टूटने और बिखरने में समय नहीं लगेगा , और अंत में भारत में कब्ज़ा करना आसान हो जायेगा।
साथियों, हमारे शत्रु जो भी सपना देख रहे हैं, उन्हें देखने दें। उनसे निपटना शासन और प्रशासन का काम है| लेकिन इस देश के नागरिक होने के नाते हमारी भी कुछ अहम जिम्मेदारी बनती है इसीलिए हमें सतर्क रहना जरुरी है और अपना पूरा ध्यान और उर्जा सभी सनातनी समाज को एक करने , संगठित करने , संस्कृति की रक्षा करने , और हमारे संस्कार को उस उच्च स्तर तक ले जाने का ऐसा कार्य करना है कि भविष्य में कोई भी विधर्मी हमारी सभ्यता, संस्कृति और हमारे राष्ट्र की ओर गलत दृष्टि डालने के पहले कई बार सोचें । अत: हमे उपरोक्त कार्यों को करने के लिए एक ऐसे स्थान की आवश्यकता होगी जहाँ सभी समाज के लोग जाते हों , जो हमारे संस्कार और संस्कृति के केंद्र हो जहाँ जाने से हमे उर्जा मिलती हो , शांति का आभास होता हो आदि आदि। मुझे लगता है हमारे लिए हमारे “मंदिर “ से अच्छा और शुभ स्थान कोई नहीं हो सकता है । प्राचीन काल में भी मंदिर आध्यात्म के केंद्र के साथ साथ शिक्षा का , चिकित्सा का व्यवसाय का और जनता के मेलजोल का केंद्र रहें है । और इस केंद्र को नये सिरे से अपनाने की आवश्यकता है ।
साथियों हमारे देश में हर गली चौक चौराहे पर मंदिर मिल जाते हैं कोई भी धार्मिक व्यक्ति भगवान पर आस्था रखने के कारणअपने नाम से मंदिर निर्माण कर देता है जिसका कुछ समय बाद संचालन एवं संरक्षण मुस्किल हो जाता है। अत:
- हमे उन सभी मंदिरों का चयन करना है जो हमारे घर के निकट हो ।
- जहाँ हमारे आस पास के बीस से तीस परिवार आराम से जा सके ।
- जहाँ पर भविष्य के विस्तार के लिए कुछ खाली जमीन भी हो ।
- जहाँ पर हम आध्यात्मिक एवं धार्मिक चर्चा के लिए तिस चालीस व्यक्ति इकट्ठा हो सके ।
मंदिर के चयन होने के बाद मंदिर के पुजारी या पंडित जी और आस पास के गणमान्य व्यक्तियों से मिलकर , वार्तालाप करके कम से कम बीस से पच्चीस परिवार को जोड़ना है । इसके लिये एक रजिस्टर रखकर उन सभी परिवारों की पूर्ण जानकारी (परिवार के मुखिया का नाम , व्यवसाय , पता मोबाइल न ,व्हाट्सएपन.)रखना है । अधिकतर परिवारों के जुड़ने के बाद सभी के व्हाट्स एप न. लेकर व्हाट्स एप ग्रुप बनाया जायेगा । जिसका संचालन मंदिर के पुजारी के द्वारा होगा ।
व्हाट्स एप्प ग्रुप बनाने का मुख्य उद्देश्य
१) रोजाना के धार्मिक क्रियाकलाप जैसे दिन तिथि मुहूर्त व्रत त्यौहार की जानकारी , वार के अनुसार से भगवान की आरती भजन आदि आदि उपलब्ध कराना ।
२ ) सकारात्मक विचारों , महान साधू संतों , ऋषि मुनियों , महापुरुषों के विचारों को उपलब्ध कराना ।
३ )आवश्यकता पड़ने पर या आपातकालीन स्थिति में लोगों को तुरंत आवश्यक जानकारी देना।
यदि मंदिर बड़ा है और उनमे पहले से ही समिति या ट्रस्ट बना हुआ है तो हम समिति या ट्रस्ट से हमारे पावन उद्देश्यों के बारे में बात करके लोगों को मंदिर का सदस्य बना सकते हैं और संचालन कर सकते हैं ।
यदि मंदिर छोटा है या समिति नही बनी है मंदिर के सही संचालन और विस्तारीकरण के लिए तो सभी रजिस्टर्ड सदस्य आपस में मिलकर समिति का गठन कर सकते हैं । समिति के गठन के लिए लाटरी सिस्टम का उपयोग किया जा सकता है। जो समिति में जुड़ना चाहते हैं उन सभी का नाम डिब्बे में डालकर और दस या बारह सदस्यों का चयन करके समिति का गठन किया जा सकता है ।
इसी प्रकार से हम अधिकतर मंदिरों से आसपास के परिवारों को जोड़कर और समितियां बनाकर अधिक से अधिक हिन्दू परिवारों को जोड़ सकते हैं । और इन मंदिरों को बड़े मंदिर से या किसी भी ऐसे हिन्दू सनातन संस्था से जोड़ा जा सकता है जो सिर्फ हिन्दुओं के लिए काम करती है ।
यह माडल शहरी क्षेत्र के लिए बनाया गया है , इसी प्रकार से हम ग्रामीण क्षेत्र के लिए भी बना सकते हैं ।
साथियों कोई भी श्रद्धालुगन दुनिया के किसी भी मंदिर में जा सकतें है और वह किसी भी भगवान को मान सकतें है यह उनकी इच्छा एवं श्रद्धा पर निर्भर है लेकिन अति आवश्यक यह है की हिन्दू समाज के हर व्यक्ति का किसी न किसी मंदिर में पंजीकरण होना जरूरी है। ताकि भविष्य में होने वाली समस्याओं का समाधान सरलता से कर सके ।
मंदिर के सतत संचालन के लिए और पंडित जी के वेतन के लिए हमे वित्त व्यवस्था भी करनी होगी इसके लिए हम दो दान पात्र रहने होंगे :- 1) पंडित जी के लिए
2) मंदिर संचालन एवं विस्तार के लिए
मंदिर में जो भी भक्तजन जायेंगे वे अपना दान दो भागों में करेंगे ।
मंदिर में पूजा पाठ (धार्मिक क्रियाकलाप) वार जैसे हनुमान मंदिर है तो मंगलवार और शनिवार या शिव मंदिर है तो सोमवार आदि आदि । इसके साथ ही साथ सभी सदस्य हर रविवार या हर दुसरे रविवार को मंदिर में उपस्थित होना चाहिए , उस दिन धार्मिक क्रियाकलाप नहीं होंगे बल्कि सनातन से सम्बंधित बातें ही होंगी, सभी सदस्य अपनी बाते एवं सुझाव रखेंगे और उसपर चर्चा होगी ।
मंदिर परिसर एवं समिति में राजनीती से सम्बंधित कोई भी बात नहीं होगी ।
मंदिर से जुड़ने के लाभ :-
१)आजकल हम लोग अपने पास पड़ोस को भी पहचानना भूल गए हैं मंदिर में जुड़ने से सभी आसपास के होने के कारण एक दुसरे को पहचानने लगेंगे ।
2) आजकल अधिकतर परिवार में बच्चे पढ़ाई या जॉब करने बाहर चले जाते हैं ऐसे परिवारों को भी बहुत बड़ा सहारा मिलेगा । समय आने पर एक दुसरे की मदद ले सकते हैं |
३)सभी परिवार ऐसे ही मंदिर से जुड़ जायेंगे तो लवजिहाद और धर्मांतरण जैसी बड़ी समस्याओं से बच सकते हैं 4) तीज त्यौहार के समय पूजा से सम्बंधित सामग्री मंदिर परिसर में ही अपने जन पहचान वालों से ले सकते हैं और उसकी मदद कर सकते हैं मेन मार्किट में बहुत से ऐसे लोग भी सामान बेचते हैं जिनका हमारे पूजापाठ और धार्मिक क्रिया कलाप से कोई वास्ता नही है ।
5)व्हाट्स एप ग्रुप होने से पूजा पाठ से सम्बंधित जानकारी प्रतिदिन मिलती रहेगी ।
6) किसी आपात कालीन स्थिति में मंदिर परिसर में अधिक से अधिक लोग कम समय में इकट्ठा हो सकते हैं | इसके अलावा भी मंदिर से जुड़ने के अनेक लाभ अप्रत्यक्ष रूप से होंगे जो जुड़ने के बाद ही पता चलेगा ।
7) लोग चाहेंगे तो सनातन धर्म की शिक्षा भी विस्तार से दी जाएगी ताकि लोगों को धर्म के बारे में सही जानकारी हो सके।
अंत में सभी सनातनी हिन्दु भाइयों एवं साथियों से अपील करूँगा कि वे अपने घर के आस पास के लोगों को पास के मंदिर से जोड़ने का कार्य करें ,और वे सभी अपने खुशीके पल जैसे विवाह के समय , विवाह वर्षगाठ में , बच्चों के जन्मदिन पर , जॉब लगने पर , नया कार्य शुरू करने पर मंदिर अवश्य जाएँ और भगवान को कार्य सिद्ध होने पर दान अवश्य करे । यही छोटा छोटा दान भविष्य में बड़ा लाभ भी दिला सकती है और समय आने पर आपके जीवन, धन सम्पत्ति की रक्षा भी कर सकती है ।
धन्यवाद्