कृषि कानूनों के विरोध में तथाकथित खालिस्तान आंदोलन समर्थक आतंकी जगतार सिंह हवारा के पोस्टर लहराए गए । अब तक जांच एजेंसियों को शक था कि इस किसान आंदोलन में खालिस्तानी समर्थक बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं लेकिन पोस्टर लगाए जाने से इनका शक यकीन में बदलता दिखाई दे रहा है । इस बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने खालिस्तान समर्थक प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के खिलाफ मोहाली और दिल्ली में चार्जशीट पेश कर दी है।
राजधानी में रहने वाले तथा यहां आकर नौकरी पेशा करने वाले लोगों को जिल्लत की जिंदगी जीने के लिए मजबूर किए जाने के लिए दिल्ली के सिंघु, टिकरी, कुंडली, गाजीपुर समेत सभी बॉर्डरों पर पिछले कई दिनों से तथाकथित किसान धरने पर बैठे हैं। इन किसानों में सबसे ज्यादा संख्या पंजाब के कथित किसानों की हैं। मौके पर अफरा तफरी वाला माहौल और सिंघु बॉर्डर पर लगे मंच पर हो रहे भाषणों से ये कहा जा सकता है कि आंदोलन किसानों के मुद्दों को छोड़कर अन्य मुद्दों खासकर खालिस्तान की ओर डाइवर्ट हो गया है।
सिंघु बॉर्डर पर बैठे आंदोलित किसानों ने अपने वाहनों और धरना स्थल पर जगह-जगह ‘वी आर फार्मर, नॉट टेररिस्ट’ के बैनर और पोस्टर लगा रखे हैं। लेकिन इन पोस्टरों के बीच ऐसा चल रहा है, जो साबित करता है कि इस आंदोलन में बब्बर खालसा इंटरनेशनल और सिख फॉर जस्टिस जैसे आतंकी संगठन से जुड़े लोग भी शामिल हैं।इसका सबसे बड़ा सबूत आंदोलन स्थल पर लगाया गया पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की हत्या के दोषी जगतार सिंह हवारा और उसके साथियों के पोस्टर हैं। जगतार सिंह हवारा के नाम पर बने संगठन अकाल यूथ की ओर से लंगर लगाया गया ।
यह पोस्टर संयुक्त मोर्चा के मंच से 300 मीटर की दूरी पर लगा । जहां लंगर लगा है, वहीं पर ट्रैक्टर ट्राली के दोनों ओर हवारा के फोटो लगे दो बड़े-बड़े पोस्टर लगे ।पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की हत्या के दोषी खालिस्तान समर्थक आतंकी जगतार सिंह हवारा तिहाड़ जेल में बंद है। हवारा को चंडीगढ़ की निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि,पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलते हुए निर्देश दिया था कि उसे अंतिम सांस तक जेल में रखा जाए।
इससे पहले टिकरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों के मंच और महिला किसानों के हाथों में दिखे बैनर-पोस्टरों ने विवाद खड़ा किया था । इन बैनर पोस्टरों में दिल्ली दंगों के मास्टरमाइंड शरजील इमाम, उमर खालिद समेत अन्य आरोपियों और भीमा कोरेगांव के आरोपियों को छोड़ने की मांग की गई थी । पहले भी इस आंदोलन में खालिस्तान समर्थकों ने भिंडरावाले वाले का नाम लिया था ।
इस बीच कृषि कानून के विरोध में तथाकथित किसानों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। कड़ाके की ठंड में भी किसानों ने दिल्ली को घेर रखा है ताकि दिल्लीवासियों की जिंदगी नरक की जा सके। कांग्रेस तथा केजरीवाल समेत अन्य विरोधी पार्टियां इस कथित आंदोलन को लगातार हवा दे रही है और केंद्र सरकार के बार-बार के आग्रह के बावजूद यहां पर हो रहे भाषणों से यह जाहिर हो रहा है कि किसानों की यह लड़ाई अब असल मुद्दों से भटक गई है। किसानों के चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच किसान आंदोलन को हाईजैक करने और इसमें देश विरोधी तत्वों के शामिल होने का जांच एजेंसियोंं को पक्का यकीन है ।
इस बीच तथाकथित किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सिख फॉर जस्टिस के सरगना समेत कई अन्य आरोपियों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली और मोहाली की अदालत में अपनी चार्जशीट पेश कर दी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पंजाब में आतंकी गतिविधियों के मामले में नामी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू समेत 10 आरोपियों के खिलाफ शुक्रवार को चार्जशीट दायर की है।
एनआईए ने सिख फॉर जस्टिस केस में खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ मोहाली की विशेष अदालत में यह चार्जशीट की दायर की। एनआईए ने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू सहित 10 आरोपितों के खिलाफ भादसं की धारा 120बी, 124ए व यूए (पी) एक्ट 1967 की धारा 13, 16, 17, 18 व 20 के दर्ज मामले में चार्जशीट दाखिल की है। यह मामला वर्ष 2017-18 के दौरान पंजाब में अशांति फैलाने की साजिश सहित हिंसा की घटनाओं के साथ जुड़ा हुआ है। एसएफजे व रेफरेंडम -2020 का आनलाइन माध्यम से प्रचार कर राज्य के युवाओं को गुमराह कर भड़काया गया। ये हिंसक घटनाएं विदेश में बैठे एसएफजे के हैंडलरों के निर्देशों पर करवाई गई थी।
न्यूयॉर्क में रहने वाले अलगाववादी नेता और आतंकी पन्नू के अलावा एनआईए ने परगट सिंह, सुखराज सिंह, बिक्रमजीत सिंह, मंजीत सिंह, जतिंदर सिंह, गुरविंदर सिंह, हरप्रीत सिंह, कुलदीप सिंह और हरमीत सिंह का नाम लिया है। जांच के दौरान यह पता चला है कि एक अलगाववादी संगठन एसएफजे ने फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, यूट्यूब चैनल और कई सोशल मीडिया अकाउंट व वेबसाइटों का उपयोग करते हुए लगातार भारत के खिलाफ अभियान चलाया है।
एनआईए का कहना है कि है इन सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल प्रभावशाली युवाओं और क्षेत्र और धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।जांच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि पन्नू अन्य आरोपी व्यक्तियों को एसएफजे में भर्ती करता है और उन्हें कट्टरपंथी बनाने का काम करता है। ज्ञात हो कि सिख फॉर जस्टिस (SFJ) को UAPA ACT के तहत ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित किया गया है।
इससे पहले एनआईए ने दिल्ली की अदालत में दिसंबर के पहले सप्ताह में 16 आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी, 124 ए, 153 ए, 153 बी और 505 और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 के 13, 17 और 18 के तहत चार्जशीट दायर की थी। उसमें परमजीत सिंह पम्मा, गुरपतवंत सिंह पन्नू और जेएस धालीवाल जैसे नाम शामिल किए गए। यह मामला ‘खालिस्तान’ के निर्माण के लिए ‘रेफरेंडम 2020’ के बैनर तले एक अलगाववादी अभियान शुरू करने के लिए अभियुक्तों द्वारा संगठित षड्यंत्र से संबंधित है।
आरोपियों में गुरवपंत सिंह पन्नू, अवतार सिंह पन्नू, गुरप्रीत सिंह बागी, हरप्रीत सिंह उर्फ राणा सिंह, परमजीत सिंह उर्फ पम्मा, सरबजीत सिंह बन्नूर, अमरदीप सिंह शुद्धवाल उर्फ अमरदीप सिंह खालसा, जे एस धालीवाल, कुलवंत सिंह मोथाडा, दपिन्दरजीत सिंह, हरदीप सिंह निज्जर, कुलवंत सिंह उर्फ कांता उर्फ मन्न सिंह खालसा, हरजाप सिंह उर्फ जफी सिंह, सरबजीत सिंह उर्फ सबी सिंह, जतिंदर सिंह ग्रेवाल और एस हिम्मत सिंह शामिल हैं। ये सिख फॉर जस्टिस के सदस्य हैं जिन्हें ‘अनलॉफुल एसोसिएशन’ के रूप में घोषित किया गया ।
ये सभी खालिस्तानी आरोपी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूके में बैठकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं और पहले भी सिख फॉर जस्टिस के लोग भारत में चल रहे किसानों के प्रदर्शन के सर्मथन में लंदन में भारतीय दूतावास के बाहर खालिस्तानी झंडों के साथ प्रदर्शन कर रहे थे, मकसद सिर्फ भारत में किसी तरह खालिस्तान को जिंदा करना है।
बता दें कि सिख फॉर जस्टिस सोशल मीडिया, फोन कॉल, फेसबुक, ट्वीटर, यूट्यूब, वेबसाइट के जरिये प्रोपेगंडा फैलाने में लगा हुआ है और इसका सरगना पन्नू अपनी आवाज में विदेशों के नंबरों से भारत में लगातार फोन कर भारत में रहने वाले लोगों को भड़कानें की कोशिश मे जुटा है। इतना ही नहीं लगातार सोशल मीडिया के जरिये मैसेज भेज के पंजाब के लोगों को देश के खिलाफ भड़काने की कोशिश और खालिस्तान के सर्मथन में लाने की कोशिश किए जाने के अलावा भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट को भी भड़का कर बगावत करवाने की कोशिश की जा रही है।
अभी हाल में ही दिल्ली पुलिस ने भी खालिस्तानियों की एक और साजिश का खुलासा किया था जिसमें गैंगस्टर को कश्मीरी आतंकियों के साथ मिला कर नारको टेरर बढ़ाया जा रहा था और पंजाब में नेताओं की हत्या कर दंगे करवाने की साजिश रची जा रही थी। केंद्र सरकार को चाहिए कि इस तरह की देश विरोधी साजिश का पर्दाफाश कर तथाकथित आंदोलनकारियों पर नकेल कसी जाए। खुफिया सूत्रों का कहना है कि अतिवादी संगठन आने वाले दिनों में तथाकथित किसानों का आड़ लेकर हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाने की योजना बना रहे हैं।