जिस वक्त हम भारत के लोग सप्ताह भर चलने वाली राजनीतिक चक्कलस में डूबे हुए थे, ठीक उसी वक्त विश्व में बहुत कुछ घट रहा था। बहुत कुछ उल्लेखनीय और प्रेरणादायक घट रहा था। ये घटना बताती है कि मानव जाति ने खुद के सर्वाइवल के लिए अविश्वसनीय कारनामों को अंजाम दिया है।
थाईलैंड में एक दस किमी लम्बी गुफा है, ‘थाम लुआंग केव’। इस गुफा से ही सटे एक नेशनल पार्क में बीते 23 जून को बारह स्कूली बच्चे घूमने के लिए आए। बीती 25 जून को ये बच्चे अपने कोच के साथ उत्सुकतावश इस गुफा को देखने के लिए भीतर प्रवेश कर गए। दस किमी लम्बी गुफा बरसात शुरू होते ही बेहद खतरनाक हो जाती है। थाईलैंड-म्यांमार की सीमा पर स्थित इस भूमिगत गुफा को यहाँ के सबसे मुश्किल ‘केव सिस्टम’ में गिना जाता है।
ये बच्चे गुफा के भीतर गए ही थे कि पीछे से बरसात का पानी आना शुरू हो गया। पानी का बहाव इतना तेज़ था कि कुछ देर में ही गुफा में वापसी का रास्ता बंद हो गया। खतरनाक संकरे मोड़ों से भरी गुफा में फंस जाने का एक ही परिणाम हो सकता था। शर्तिया मौत। एक बार इस गुफा में पानी भर जाए तो अक्टूबर तक नहीं उतरता। चार माह तक सर्वाइवल और वह भी टीनएजर्स के लिए, लगभग नामुमकिन बात है।
लापता हो जाने के बाद खोज शुरू हुई तो इन लोगों की बाइक्स गुफा के पास रखी मिली। पहला क्लू मिलने के बाद मिलेट्री गोताखोरों ने गुफा में डुबकी लगाई लेकिन कीचड़ और गंदे पानी ने उनका रास्ता रोक दिया। हर घंटे के साथ बच्चों और उनके कोच के जीवित बचे होने की संभावनाएं धूमिल होती जा रही थी। बरसात तेज़ होने के साथ गुफा में पानी तेज़ी से भरता जा रहा था। इसके चलते बचाव अभियान शुरू ही नहीं हो पा रहा था। कुछ पता नहीं चल पा रहा था कि बच्चे सुरक्षित हैं या नहीं। ऐसे हालात में वैश्विक सहयोग जरुरी हो गया था।
इस बीच चार दिन गुजर चुके थे। बच्चों के परिजनों का बुरा हाल हो चुका था। ऐसे में ‘थाई नेवी सील’ के साथ अमेरिका और ब्रिटेन के एक्सपर्ट गोताखोरों की टीम भी अभियान में सम्मिलित हो गई। इसके बाद सबसे थाईलैंड की सबसे जटिल संरचना वाली गुफा में अंदर तक डुबकी लगाने की तैयारी की गई। पहली बार में गोताखोर लगभग ढाई किमी तक गए लेकिन बच्चों का कुछ पता नहीं चला। रेस्क्यू टीम का अनुमान था कि गुफा में कई जगहों पर ऊँचे टीले बने हुए हैं, जहाँ पानी नहीं पहुँच सका है। इन टीलों पर खोजबीन की जा रही थी। इधर बरसात भी तेज़ होती जा रही थी और उन बच्चों पर खतरा बढ़ता जा रहा था।
बच्चों की सलामती के लिए स्कूल में दुआ मांगते छात्र और अध्यापक:
2 जुलाई की सुबह एक शुभ समाचार लेकर आई। गुफा के मुहाने से लगभग चार किमी अंदर एक ऊँची चट्टान पर सभी बच्चे उनके कोच सहित सुरक्षित मिल गए। उन तक पहुँचने के लिए गोताखोरों को अथक संघर्ष करना पड़ा। नौ दिन भूखे रहने के बाद बच्चे बेहद कमज़ोर हो चुके हैं। गोताखोर अपने साथ राहत सामग्री ले गए हैं जिसमे तुरंत ताकत प्रदान करने के लिए सूखे मेवे शामिल हैं।
बच्चे तो मिल गए हैं लेकिन नई चुनौती खड़ी हो गई है। अगले चार माह तक इन बच्चों को वहां से निकाला नहीं जा सकता। पम्प लगाकर पानी निकालने की जुगत भी काम नहीं आई। लाख कोशिश करने के बावजूद पानी कम नहीं हो रहा है। बच्चे तैरना नहीं जानते हैं। यदि उन्हें अभी बाहर लाना है तो इसी समय से ‘अंडरवॉटर स्विमिंग’ सीखनी होगी, वह भी गुफा के भीतर रहकर। वहां पहुंचे गोताखोर बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए तरह-तरह के तरीके आज़मा रहे हैं।
कल्पना कीजिये। दस किमी लम्बी अँधेरी गुफा में अपनी जान बचाने के बाद दस दिन तक एक चट्टान पर टिके रहना कितने साहस का कार्य है। वे गोताखोर जो ढाई किमी पानी के भीतर तैरते हैं, बच्चों की सलामती के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। मानव की जिजीविषा बहुधा ऐसे ही मौकों पर प्रकट होती है। आइये उन संघर्षशील बच्चों की जल्द वापसी के लिए प्रार्थना करें। ऐसे साहसी अभियान के लिए ‘पूरब’ से प्रार्थना के हाथ न उठे तो हम भारतवासी किस काम के।
URL: Thai cave rescue; A group of 12 boys and their coach lost in a cave found alive after ten days
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