विपुल रेगे। ख्यात फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो के हाथ की एक हरकत ने कोकाकोला को 293 करोड़ की चोट दे दी। पुर्तगाल के स्टार स्ट्राइकर ने यूरो 2020 की प्रेस वार्ता में कोक की बोतलों को हटाकर पानी पीना पसंद किया। रोनाल्डो के इस खूबसूरत मूव से कोकाकोला नाराज़ है किन्तु रोनाल्डो के प्रशंसकों और फिटनेस प्रेमियों ने समवेत स्वर में उनकी प्रशंसा की है। उनसे प्रेरणा लेकर फ्रांस के मिडफील्डर पॉल पोग्बा ने वार्ता शुरु होने से पूर्व हेनीकेन बीयर की बोतल को टेबल से हटा दिया। क्या रोनाल्डो की स्वाभाविक हरकत एक ऐसे नए आंदोलन को जन्म दे रही है, जो हानिकारक कोल्ड ड्रिंक्स से खिलाड़ियों को दूर रहने का संदेश देने जा रहा है।
आज खेलों के आयोजनों के लिए कंपनियां अरबों डॉलर का धन देती है। कोकाकोला जैसी कंपनियों का टारगेट ग्रुप 15 से 25 वर्ष के आयु समूह का है। खेलों के जरिये अपने टारगेट ग्रुप तक अपना उत्पाद पहुंचाना एक सुलभ मार्ग है। भारत में क्रिकेट के प्रायोजकों में सॉफ्ट ड्रिंक्स कंपनियों का ही वर्चस्व देखा जाता है। भारत में तो व्यावसायिकता इस स्तर पर है कि खिलाड़ी हेलमेट से लेकर जूतों तक ब्रांड के ठप्पों से रंगा रहता है।
क्रिस्टियानो और पॉल ने बाज़ार के गोल पोस्ट में जो शॉट दे मारा है, उसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई है। सुना है यूरो की आयोजक समिति इसके लिए दोनों खिलाडियों को दंडित कर अन्य खिलाड़ियों को ऐसा न करने का संदेश देने जा रही है। संभव है इस पर बहस छिड़ जाए कि खेलों के आयोजन में कोकाकोला और पेप्सी जैसी कंपनियों के लिए द्वार अब बंद हो जाना चाहिए।
इस बात के प्रमाण हैं कि ये कोल्ड ड्रिंक्स मानव शरीर के लिए हानिकारक हैं। ऐसे पेयों का विज्ञापन खिलाड़ियों को नहीं करना चाहिए। एक खिलाड़ी के हाथ में आप कोक रख दे, या सिगरेट, उनके प्रभाव शरीर पर हानिकारक ही होंगे। सन 1984 में जब लॉस एंजिलिस ओलंपिक्स हुए तो पहली बार बड़े पैमाने पर प्रायोजक बुलाए गए। इसमें बहुत धन आया।
आयोजकों के पास अब बाज़ार था और बाज़ार के पास खेलों के द्वारा अपने ग्राहकों के पास पहुँचने का रास्ता था। क्या रोनाल्डो जैसा साहस भारत का कोई सितारा खिलाड़ी कर सकेगा। हमें भारत में एक रोनाल्डो की आवश्यकता है, जिसका एक मूव हानिकारक पेय बनाने वालों की चूले हिलाकर रख दे। शेष विश्व में तो खेल में आधा ही बाज़ार घुसा है लेकिन भारत में स्थिति और भी बदतर हो चुकी है।
अधिक धन कमाने की लालसा ने हमारे खिलाडियों को अनेक रंगों में लिपा-पुता जोकर बनाकर रख दिया है। अस्सी के दशक में जब भारत ने क्रिकेट में पहला विश्व कप जीता तो क्रिकेट खिलाडियों को विज्ञापन मिलने लगे। कपिल देव उस दौर में बीएसएसएलआर साइकिल के विज्ञापन के साथ थम्स अप नामक शीतल पेय का विज्ञापन भी करते थे। एक हाथ से वे साइकिलिंग की शिक्षा देते थे और दूसरे हाथ से हानिकारक पेय पीने के लिए प्रेरित कर रहे थे।
ये परंपरा आज भी जारी है, अपितु आज तो और भी समृद्ध हो चुकी है। कोई खिलाड़ी पेप्सी पिलाता है तो कोई कलाकार थम्सअप का विज्ञापन करता है। घनघोर बाज़ारवाद के इस युग में क्रिस्टियानो रोनाल्डो का साहस महत्वपूर्ण है। उसका ये साहस एक टिमटिमाते दीपक की भांति है, जो उन बच्चों को प्रकाशवान करेगा, जो आगे जाकर संसार में बड़ी जिम्मेदारियां निभाने वाले हैं।
विपक्षी खिलाडियों को छकाते हुए सुंदर ड्रिब्लिंग करना रोनाल्डो के खेल की विशेषता है। उनके चपल पैरों से लगा शॉट 117 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से गोली की तरह छूटता है। कोकाकोला की बोतल को एक तरफ रखने की अदा भी उनके स्ट्रेट शॉट की तरह शक्तिशाली थी, या शायद महान अदा थी।