महामूर्ख है हिंदू- नेता , शिक्षा का कोई मोल न जाना ;
नैतिक शिक्षा नहीं जानता , झूठे इतिहास को सच्चा जाना ।
अंधकार के ये हैं आदी , प्रकाश ज्ञान का, कभी न जाना ;
झूठे इतिहास को पढ़ा-पढ़ा कर , गद्दारों का एजेंडा माना ।
झूठे – इतिहास को रचने वाले , वो तो चलो गद्दार हैं ;
पर तू कैसा राष्ट्रभक्त है ? वो क्यों तेरे यार हैं ?
इसीलिये इतिहास न बदला , अब तक झूठा इतिहास है ;
झूठे इतिहास की स्वीकृति देना , राष्ट्र का ये परिहास है ।
राष्ट्र ने तुझको दिया है सब कुछ, तू भी राष्ट्र को देना सीखे ;
झूठेइतिहास को फौरन बदलो,अब सच्चाइतिहास ही दीखे।
सच्चा इतिहास पढ़ेंगे बच्चे , साथ में होगी नैतिक शिक्षा ;
राष्ट्र-प्रेम की उठे सुनामी , गुंडे मांगे जान की भिक्षा ।
राष्ट्र ने खोया अब तक जो भी , भरपाई उसकी होगी ;
राष्ट्रप्रेम का ज्वार उठेगा , तब सच्ची आजादी होगी ।
वामी ,कामी ,जिम्मी ,सेक्युलर , करनी का फल पायेंगे ;
राष्ट्र लूटने वाले सारे , उसकी समुचित सजा पायेंगे ।
राजनीति से हटे गंदगी , शासन में शुचिता आयेगी ;
शुभारम्भ हो राष्ट्रनीति का , जनता सब राहत पायेगी ।
नैतिक – शिक्षा पाकर बच्चे , नैतिकता से कार्य करेंगे ;
भ्रष्टाचार नियंत्रित होगा , सदाचार से लोग रहेंगे ।
चरित्रवान तब नेता होंगे , ब्लैकमेल गुंडे न करेंगे ;
शाहीन-बाग फिर कभी न होंगे , रोड-जाम गुंडे न करेंगे ।
आजादी के बाद से अब तक, सरकारों का काम यही था ;
भ्रष्टाचार में गोते मारो , नेताओं का लक्ष्य यही था ।
दोनों हाथों देश को लूटा , आजादी का सपना टूटा ;
विदा हुआ कानून का शासन,भारत का तो भाग्य ही फूटा।
सत्ता के दलाल थे सारे , सरकारें बदनाम हो गयीं ;
ढंकी हुई जो देश की इज्जत , सरेआम नीलाम हो गयी ।
दो हजार चौदह में उनको , हिंदू जनता ने लतियाया ;
हिंदू जनता ने बड़े प्रेम से , तुझको सत्ता तक पहुँचाया ।
पूरा बहुमत पास तुम्हारे , फिर भी क्यों इतना डरता है ?
क्या अमरौती लेकर आया ? फिर काहे डरता रहता है ?
फौरन सारे भय को त्यागो , मन में पूरा साहस लाओ ;
धर्म – सनातन साथ तुम्हारे , देश को हिंदू -राष्ट्र बनाओ ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”