संदीप देव । नव बौद्ध धम्म का आधार डॉ बी.आर. आंबेडकर की यही पुस्तक है। मूल रूप से यह 1957 में अंग्रेजी में ‘The Buddha & His Dhamma’ नाम से प्रकाशित हुई थी।
इस पुस्तक के लेखन से पूर्व डॉ आंबेडकर ने नागपुर में 15 अक्टूबर 1956 को साढ़े 3 लाख से ज्यादा लोगों के साथ हिंदू धर्म त्याग दिया था और उन्होंने इस मौके पर 22 प्रतिज्ञाएं की थी, जिसमें हिंदू धर्म के भगवानों, देवताओं और हिंदू धर्म पर जमकर हमला किया गया था।
इस पुस्तक को पढ़ने के उपरांत बौद्ध धर्म के जानकारों का कहना था कि इस पुस्तक का बुद्ध और उनके धम्म से कोई लेना-देना नहीं है, इसमें बुद्ध का नहीं आंबेडकर का धम्म है।
दिसंबर 1959 में कलकत्ता स्थित ‘महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया’ की अंग्रेजी पत्रिका में एक अंग्रेज श्रमणेर जीवक ने लिखा था, ” यह पुस्तक ‘नव बौद्धों’ का बाइबिल बनने की प्रक्रिया में है…नौसिखियों के लिए यह खतरनाक पुस्तक है।…इस भ्रामक शीर्षक ‘भगवान बुद्ध और उनका धम्म’ को बदलकर ‘आंबेडकर और उनका धम्म’ कर देना चाहिए, क्योंकि वह राजनीतिक महत्वाकांक्षा और समाज सुधार के उद्देश्य से अधर्म को धर्म के रूप में प्रचारित कर रहे हैं।”
तब एक अंग्रेज बौद्ध श्रमण ने डॉ आंबेडकर के लिए जो लिखा था, आज नवबौद्धों, आंबेडकरवादियों और वोट की भूखी राजनीतिक पार्टियों और नेताओं के क्रियाकलापों को देखकर अक्षरशः सत्य साबित होता दिख रहा है। लेकिन पोलिटिकल करेक्ट होने के चक्कर में कोई सत्य नहीं बोल रहा।
आज डॉ आंबेडकर की स्थिति नये भगवान और उनके इस पुस्तक की स्थिति नव बौद्धों के बाइबिल के रूप में उनके अनुयायियों के बीच स्थापित हो चुकी है और सरकारें अब पूरे देश में इसे स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
उपरोक्त पुस्तक लिंक: https://www.kapot.in/product/bhagwan-buddh-aur-unka-dhamm/