अर्चना कुमारी। अपने रिटायरमेंट से 3 दिन पहले पुलिस कमिश्नर की कुर्सी पाने वाले राकेश अस्थाना राजधानी की कानून व्यवस्था को सुधार नहीं पाए । इन्होंने पुलिस व्यवस्था में कुछ सुधार करके वाहवाही तो बटोरने चाहे लेकिन बिगड़ती कानून व्यवस्था ने दिल्ली के चाक-चौबंद होने का दावा पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है । रोहिणी अदालत में गैंगवार के बाद बृहस्पतिवार को धमाका हुआ।
यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब अदालतों में तमाम तरह के सुरक्षा उपायों का दावा किया गया था । करीब सवा दो माह में रोहिणी कोर्ट की सुरक्षा में यह दूसरी चूक है। घटना के बाद स्थानीय पुलिस के अलावा स्पेशल सेल, एनआईए और एनएसजी की टीमें मौके पर पहुंचकर जांच में जुट गईं लेकिन अभी यह पता नहीं चला है यह एक आतंकी कार्रवाई थी या फिर कोई गैंगवार थीं।
इस धमाके को लेकर किसी गुट ने अब तक कोई जिम्मेदारी नहीं ली है जबकि वारदात के पीछे शामिल शख्स , गिरोह और गुट का पता नहीं चल सका है।पुलिस सूत्रों का कहना है कि रोहिणी अदालत के कोर्ट संख्या 102 में सुल्तानपुरी थाने के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मुकदमे की सुनवाई करते हैं। बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिए कमरे में लोग जमा हो रहे थे।
इस बीच वहां पर धमाका हो गया और इसकी वजह से मौके पर अफरा-तफरी मच गई। चारों तरफ कक्ष में कीलें और सफेद रंग का पाउडर फैल गया। आशंका है विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग किया गया लेकिन इसकी फॉरेंसिक रिपोर्ट अभी नहीं मिल पाई है जबकि इस विस्फोट की चपेट में आने से नायब कोर्ट राजीव कुमार घायल हो गये।
राजीव के पैर एवं शरीर के अऩ्य हिस्सों में कीलें चुभीं। पुलिस ने बताया कि यह कम त्रीवता का क्रूड बम विस्फोट था। इसके बाद पूरे कोर्ट परिसर को घेर लिया गया। साथ ही स्थानीय पुलिस, स्पेशल सेल की टेरर यूनिट, एऩआईए और एनएसजी की टीमें मौके पर पहुंच गईं। पहले पूरे कोर्ट परिसर की डाग स्क्वाड द्वारा तलाशी ली गई ताकि यह देखा जा सके कि कहीं और बम तो नहीं रखा गया है।
हैरानी इस बात की है कि इतनी सुरक्षा पुख्ता होने के बावजूद लैपटॉप बैग में टिफिन को विस्फोटक से भर कर कैसे अदालत में ले जाया गया और इसकी भनक सुरक्षाकर्मियों को नहीं मिल पाई। यह घटना दिल्ली की कानून व्यवस्था की वास्तविक स्थिति को दर्शाता है कि कहीं भी कोई भी शख्स बड़ी आसानी से वारदात को अंजाम दे सकता है जबकि दिल्ली शुरू से ही आतंकियों और बदमाशों की टारगेट पर रही है ।