अर्चना कुमारी। खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ ने पंजाब के बठिंडा हुसैन वाला फ्लाईओवर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला रोके जाने की जिम्मेदारी ली है। सूत्रों की मानें तो उसकी योजना पीएम मोदी पर हमला करना था । इतना ही नहीं इस मुद्दे को जब सुप्रीम कोर्ट में लाया गया तब इस खालिस्तानी आतंकी संगठन ने फोन कॉल करके सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को धमकाया शुरू कर दिया।
इस बीच सोमवार को इस मुद्दे पर हुए सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में इस गंभीर मामले की गहन छानबीन किए जाने को कहा है। सूत्रों का दावा है कि सिख फॉर जस्टिस नामक आतंकी संगठन ने दावा किया है कि हुसैनवाला फ्लाईओवर पर 5 जनवरी, 2022 को उसने ही पीएम मोदी के काफिले को 20 मिनट तक रोका था। सिख फॉर जस्टिस के सर्वेसर्वा गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि इसकी साजिश पहले ही तैयार कर दी गई थी।
पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई की सरपरस्ती में भारत विरोधी कार्य करने वाला सिख फॉर जस्टिस प्रतिबंधित आतंकी संगठन का मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू है, जो पंजाब के सिखों को भड़काने के लिए अक्सर वीडियो जारी करता रहता है। इससे पहले उसकी भूमिका हाल ही में पंजाब कोर्ट ब्लास्ट तथा लाल किला हमले में साबित हो चुकी है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जब अर्जी दाखिल की गई तब सिख फॉर जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों को धमकाना शुरू कर दिया है।
बताया जाता है कि 50 से अधिक वरिष्ठ वकीलों को अमेरिका लंदन और कनाडा आदि देशों से रिकॉर्डिंग कॉल किया जा रहा है, जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई न करे। फोन कॉल पर वकीलों से कहा जा रहा है कि 1984 सिख नरसंहार के पीड़ितों को अब तक न्याय नहीं मिला है और 84 दंगा का हिसाब पूरा नहीं हुआ है ।
ऑडियो में वकीलों को इस सुनवाई से दूर रहने और सुप्रीम कोर्ट जजों को इस केस को न सुनने की धमकी भी दी गई है। बताया जाता है कि सभी वकीलों को अंतराष्ट्रीय नंबर से ऑटोमेटेड रिकॉर्डिंग किया हुआ कॉल आया और फोन कॉल में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के लिए जिम्मेदारी ली गई है। कॉल करने वाला सिख फ़ॉर जस्टिस का होने का दावा किया जबकि सुप्रीम कोर्ट के कुछ वकीलों को पिछले 2 दिनों से अनजान अंतराष्ट्रीय नंबर से ऑटोमेटेड कॉल आ रहा है।
कॉल में कहा गया कि प्रधानमंत्री के काफिले रोकने की ज़िम्मेदारी सिख फ़ॉर जस्टिस ले रहा है और उसे इसका कोई भी मलाल नहीं है।ज्ञात हो कि वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर इस अर्जी में पीएम की सुरक्षा में खामी का मुद्दा उठाया गया । याचिका में पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की गई थी । अर्जी में पंजाब सरकार को एक पक्ष बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह पीएम की सुरक्षा को लेकर गंभीर है। कोर्ट पीएम की सुरक्षा पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा कि एक रिटायर्ड जज के नेतृत्व में पूरे मामले की छानबीन की जाएगी । इस कमिटी में चंडीगढ़ के DGP, ‘नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA)’ के IG, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और पंजाब के ADGP (सिक्योरिटी) को शामिल किया जाएगा।
‘लॉयर्स वॉइस’ नाम के एक NGO ने इस मामले के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने की माँग की थी। वैसे सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी को पंजाब दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में सेंध के मामले की जांच के लिए केंद्र सरकार की गठित समिति को भंग कर दिया है।
बताया जाता है कि पंजाब सरकार की तरफ से केंद्र की जांच समिति की निष्पक्षता पर संदेह उठाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला किया। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन, जस्टिस सूर्यकांत और हेमा कोहली की बेंच ने यह आदेश दिया। इस बीच सिख फॉर जस्टिस नामक खालिस्तानी प्रतिबंधित संगठन के दावे से पंजाब के चन्नी सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं और आशंका है कि पंजाब सरकार की भी इसमें मिलीभगत हो सकती है।