देश बहुत है कठिनाई में , पर कितना दुर्बल नेता है ?
शाहीन – बाग से डर जाता है , रोड – जाम में रोता है ।
गुंडे घेर रहे सड़कों में , उलटे पांव लौटता है ;
संसद में पारित कानूनों को , डर कर वापस लेता है ।
जनता का विश्वास खो चुका , बातें विश्वास की करता है ;
कानून – व्यवस्था पूरी चौपट , गला ही कटता रहता है ।
कोई नियंत्रण नहीं देश पर , वर्ल्ड का लीडर बनता है ;
इंटरनेशनल एजेंडा है , कन्वर्जन बढ़ता रहता है ।
हिंदू – धर्म मिटाने का ये , अब्राहमिक एजेंडा है ;
नेता उनकी कठपुतली है , ब्लैकमेल का डंडा है ।
बहुत पुरानी ये साजिश है , गांधी से प्रारंभ हुई थी ;
गांधी का चेला आने से, साजिश ये जिंदा,जो मरी हुई थी ।
हिंदू अपना धर्म बचाओ , पूरी तरह होश में आओ ;
अब बचने का यही मार्ग है , देश को “हिंदू-राष्ट्र” बनाओ ।
“हिंदू-राष्ट्र” बनेगा कैसे ? पहले अच्छी सरकार बनाओ ;
जितने भी अब्बासी – हिंदू , “नोटा” करके उन्हें हराओ ।
दलों के दलदल से उठ जाना, केवल कट्टर-हिंदू को चुनना ;
किसी भी दल का या निर्दल हो, बस कट्टर-हिंदू है जिताना।
जहां न मिले कट्टर-हिंदू , तब “नोटा-ब्रह्मास्त्र” चलाना ;
या तो जीते कट्टर – हिंदू या चुनाव ही रद्द कराना ।
शायद ये स्थिति न आये , जम्मू से खुशखबरी है ;
इकजुट-जम्मू , इकजुट-हिंदू , इकजुट-भारत की बारी है ।
बहुत शीघ्र ये दल आयेगा , “इकजुट-भारत” छा जायेगा ;
हिंदू का भरपूर समर्थन , “हिंदू-शासन” आ जायेगा ।
सर्वश्रेष्ठ है “हिंदू-शासन”, धर्म से पूरा शासन होगा ;
घटिया संविधान बदलेगा , सब कुछ सर्वश्रेष्ठ ही होगा ।
कृष्ण-विदुर-चाणक्य नीति से , पूरा शासन – तंत्र चलेगा ;
ऊंचा – नीचा कोई न होगा , मानव एक बराबर होगा ।
लुप्तप्राय जो “राजदण्ड” है , पूरे शासन की “रीढ़” बनेगा ;
बर्बर , कातिल व अपराधी , इनसे धरती का बोझ हटेगा ।
जो भी बोझा है भारत का , पूरा – पूरा हट जायेगा ;
तृप्तिकरण की ऐसी-तैसी , तुष्टीकरण तक मिट जायेगा ।
भ्रष्टाचार ये सबसे बड़ा है , सारे अत्याचार की अम्मा ;
इसका पोषक फल भुगतेगा , अब्बासी-हिंदू जो निकम्मा ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”