भारत सरकार गाय पर कुछ भी नहीं करना चाहती मात्र सनातन धर्म प्रेमियों को आश्वासन ही दिया जा रहा है गाय पर मूल कार्य नहीं हो रहा इसके कुछ उदाहरण है।
1.जब भारत सरकार बनी है 2014 में उससे पहले जब राजनाथ सिंह जी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब भाजपा में राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर एक प्रकोष्ठ होता था गोवंश प्रकोष्ठ यह प्रकोष्ठ जब तक राजनाथ सिंह जी अध्यक्ष रहे तब तक चला उसके राष्ट्रीय सह संयोजक थे राजेंद्र सिंह जी राजपुरोहित राजस्थान से।
- 2013 में जब अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो इस प्रकोष्ठ को बंद कर दिया गया जो मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब गाय के लिए बहुत कुछ करने के संकल्प लिया करते थे परंतु प्रधानमंत्री बनने के बाद में उन्होंने विशेष कुछ नहीं किया
- दूसरा उदाहरण जब भाजपा की सरकार बनी माननीय नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन नाम से एक प्रकल्प बनाया उस पर प्रकल्प में ₹500 करोड़ गौ संवर्धन संरक्षण के लिए दिए गए और वह इसकी ऐसी थी जिसे सामान्य आदमी नहीं चला पाता, इस गोकुल मिशन प्रकल्प को सामान्य आदमी ना चला पाए इस प्रकार के सिद्धांत तत्कालीन सरकार ने बनाए और पूरे 5 साल निकल जाने के बाद भी उस गोकुल मिशन पर कोई बड़ा काम पूरे राष्ट्र में नहीं हुआ वह ₹ 500 करोड़ ऐसे ही लैब्स हुए..!
- तीसरा बड़ा उदाहरण जब भाजपा सरकार दोबारा चुनाव में जाने लगी तब अंतिम दिनों में 2018 में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन किया गया उसका अध्यक्ष डॉ वल्लभभाई कठेरिया जी को बनाया गया यह आयोग 2 साल काम करता रहा इस आयोग को ना तो कोई ऑफिस दिया गया ना ही बजट दिया गया मातृ बल्लभ भाई कठेरिया अपने स्वयं के विचारों के द्वारा लोगों को मोटिवेट करते रहे परंतु भारत सरकार के द्वारा किसी भी तरह का कोई सहयोग इस आयोग को नहीं किया गया बजट जरूर 700 करोड का कर दिया परंतु उसमें से एक भी रुपया खर्च नहीं किया
- चौथा उदाहरण जीव जंतु कल्याण बोर्ड के द्वारा गौशालाओं को एंबुलेंस मेडिकल सुविधा आदि मिलती थी परंतु पिछले 7 वर्षों से जब से भाजपा सरकार बनी है जीव जंतु कल्याण बोर्ड के अधिकार सीमित हो गए उसने एक भी पैसा गौशालाओं के यज्ञ गौ माता के निमित्त खर्च नहीं किया क्योंकि भारत सरकार ने जीव जंतु कल्याण बोर्ड को बजट ही नहीं दिया
- पांचवा उदाहरण पिछली सरकारों ने हमेशा गो भक्तों गो रक्षा दल की संरक्षण प्रदान किया परंतु मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गौ भक्तों गौ रक्षा दल ऊपर बहुत कड़ी कार्यवाही हुई उन्होंने अखलाक के मरने पर आंसू बहाए और सभी गौ रक्षा दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ उनका जीवन वृतांत तैयार करने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिए इससे सुरक्षा दलों के कार्यकर्ताओं के हौसले पस्त हुए और उन पर कार्यवाही हुई वह जेल में चढ़े और किसी ने भी उनकी जमानत भी नहीं करवाई
- छोटा उदाहरण आज के समय तक कामधेनु आयोग का कोई भी अध्यक्ष नहीं बना और उस आयोग के द्वारा अभी तक ₹1 भी गाय के निमित्त खर्च नहीं किया गया और चमड़ा व्यवसायियों, आधुनिक क़त्ल खानों, को सब्सिडी देकर उन्हें बढ़ाया गया, गाय की बात करने वालों को रोका गया, वह भाजपा ने अपने गोवंश प्रकोष्ठ के स्थान पर, पशु विकास प्रकोष्ठ, का गठन किया इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा की मंशा गाय को लेकर कोई बड़ा करने की नहीं रही है।
यह भी पढें–गौ हत्या को बंद कराओ
साभार