महाराष्ट्र की तानाशाह सरकार ने पालघर मे संतो को पीट-पीटकर मारे जाने तथा एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमई मौत को लेकर आवाज उठाने वाले रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को टीआरपी के जाल में फंसाना चाहा लेकिन जब कामयाबी नहीं मिली तब बुधवार सुबह उन्हें एक ऐसे मामले में गिरफ्तार किया, जिसकी जांच बंद की जा चुकी है। अर्णव पर 2018 में एक मां-बेटे को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप गया लगा था।
दरअसल साल 2018 में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उसकी मां कुमुद ने आत्महत्या कर ली थी। महाराष्ट्र पुलिस का दावा है कि इस मामले की जांच सीआईडी कर रही है और आरोपों के तहत अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार किया गया।
अन्वय नाइक की पत्नी अक्षता नाइक ने इस साल मई में आरोप लगाया था कि उनके पति ने रिपब्लिक टीवी के स्टूडियो में इंटीरियर का काम किया था। इसके लिए 500 मजदूर लगाए गए थे, लेकिन रिपब्लिक टीवी के सर्वेसर्वा अर्नब गोस्वामी ने भुगतान नहीं किया। इससे उनका परिवार तंगी में आ गया। दुखी और परेशान होकर अन्वय ने अपनी बुजुर्ग मां के साथ खुदकुशी कर लिया।
अन्वय ने कथित तौर पर सुसाइड नोट में भी अर्नब और दो अन्य पर आरोप लगाया था।आरोप था कि अर्नब ने दफ़्तर का काम करवाने के बाद उनके 83 लाख नहीं दिये गए । पुलिस के मुताबिक मामले में 2 और लोगों पर आरोप लगाए गए थे। इनमें एक नितेश शारदा जिस पर खुदकुशी नोट में 55 लाख रुपये बाकी होने का आरोप है जबकि दूसरा फिरोज शेख, जिस पर 4 करोड़ रुपये बाकी होने का आरोप है।
अन्वय ने कथित तौर पर सुसाइड नोट में भी अर्नब और दो अन्य पर आरोप लगाया था। अक्षता का दावा है कि रायगढ़ पुलिस ने इस मामले में एफआईआर तो दर्ज किया था, लेकिन मामले की ठीक से जांच नहीं की गई। रायगढ़ के तब के एसपी अनिल पारसकर के मुताबिक, इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले थे।
पुलिस ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट भी दाखिल कर दिया था। अर्थात अर्णव गोस्वामी के खिलाफ ऐसा कोई सबूत न मिलने पर केस बंद कर दिया गया था।
अब अर्णव को गिरफतार कर कहा जा रहा है कि अक्षता नाइक ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से फिर से न्याय की गुहार लगाई है। अर्णव पर लगातार तीन झूठे मामले में एक्सपोज हो चुकी उद्धव ठाकरे सरकार ने आनन-फानन में मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह को आगे कर उसे गिरफ्तार करवा दिया है।
अर्नब गोस्वामी को फंसाने के लिए पहले टीआरपी का गंदा खेल खेला गया, लेकिन दांव उल्टा पड़ गया। फिर हंसा रिसर्च को धन देने का आरोप लगाया, वह भी फर्जी साबित हुआ। फिर अर्णव को कल ही हवाला कारोबारी बताया, और जब उसने सबूत के साथ उसे भी फेंक साबित कर दिया तो बुधवार सुबह-सुबह बंद हो चुके केस में अर्णव को गिरफतार करने के लिए Ak-47 के साथ विशेष पुलिस बल और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को भेज दिया गया।
अर्णव गोस्वामी का आरोप है कि उसे और उसके बेटे को भी मारा गया। उसके साथ धक्का-मुक्की की गई। उसके रीढ़ पर चोट आई है।
इस केस में रायगढ़ पुलिस ने बुधवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन चीफ अर्नब गोस्वामी के अलावा अन्य 2 लोगों को 53 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार किया है, जबकि इसी साल मई में महाराष्ट्र सरकार की तरफ से इस केस की सीआईडी जांच के आदेश दिए गए थे।
महाराष्ट्र पुलिस का कहना है कि केस से जुड़े सबूतों को एकत्र करने के लिए पुलिस ने अर्नब गोस्वामी के घर पर तलाशी भी ली जबकि पुलिस ने अर्नब गोस्वामी के अलावा फिरोज शेख और नितेश सारदा को भी गिरफ्तार किया है ।
कथित तौर पर अन्वय नाइक द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट में कहा गया था कि आरोपियों ने उनके 5.40 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया था, इसलिए उन्हें आत्महत्या का कदम उठाना पड़ा। लेकिन रिपब्लिक टीवी ने आरोपों को खारिज कर दिया था। अर्नब गोस्वामी को इस केस के लपेटे में लेने के लिए सीआईडी जांच को लेकर राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा था, ‘इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक की बेटी आज्ञा नाइक ने दावा किया था कि रायगढ़ जिले में अलीबाग पुलिस ने बकाया राशि न दिए जाने के मामले की जांच नहीं की थी। इसलिए उनके पिता और दादी को आत्महत्या का कदम उठाना पड़ा।’
उधर, अर्नब गोस्वामी ने पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाया है। कहा गया है कि उनकी सास-ससुर के साथ-साथ बेटे और पत्नी से भी मारपीट की गई। ऐसा दावा उन्होंने गिरफ्तारी के बाद पुलिस वैन से जाते हुए कहा कि उनके साथ मारपीट की गई तथा उनके बेटे को पीटा गया और उनके ससुराल पक्ष के लोगों के साथ भी बदसलूकी की गई ।
इस घटना के बाद से महाराष्ट्र पुलिस की गुंडागर्दी की पुष्टि की जा चुकी है और जिस तरह रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी के घर में घुस कर, उनके परिवार के साथ मारपीट की गई तथा एक राष्ट्रवादी संपादक को आतंकी की तरह घसीट कर गिरफ्तार करके ले जाया गया वो लोकतंत्र पर कुठाराघात है।
हैरानी की बात तो यह है कि केंद्र सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। केंद्रीय मंत्री केवल ट्वीट और बयानबाजी तक सीमित है। अर्णव की सफलता से चिढ़ी लुटियंस मीडिया बिरादरी ने भी इस पर चुप्पी साध ली है।
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ माने गए मीडिया की स्वतंत्रता की हत्या कर महाराष्ट्र सरकार ने आवाज़ दबाने के फासीवाद का रास्ता अपना लिया है। देश के पत्रकार अगर आज इस तानाशाही के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाएंगे तो जो आज महाराष्ट्र में हो रहा है वो पूरे देश में होगा। हालांकि विभिन्न मीडिया संस्थानों के बीच गला काट स्पर्धा है और इस घटना को लेकर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
वैसे सोशल मीडिया पर काफी लोगों की इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है । सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट किया, ‘हम महाराष्ट्र में प्रेस की आजादी पर हमले की निंदा करते हैं। यह प्रेस के साथ व्यवहार का तरीका नहीं है। यह इमरजेंसी के दिनों की याद दिलाता है, जब प्रेस के साथ ऐसा व्यवहार किया गया था।’
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘फ्री प्रेस में जो लोग आज अर्नब के समर्थन में नहीं खड़े हैं, वे फासीवाद के समर्थन में हैं। आप उसे पसंद नहीं कर सकते हैं, आप उसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं, आप उसके अस्तित्व को तुच्छ समझ सकते हैं, लेकिन अगर आप चुप रहते हैं तो आप दमन का समर्थन करते हैं। अगली बार आप पर कार्रवाई हुई तो कौन बोलेगा।’
कंगना रनौट ने कहा, ‘मैं महाराष्ट्र सरकार से पूछना चाहती हूं कि आपने आज अर्नब गोस्वामी को उनके घर में जाकर मारा है…कितने घर तोड़ेंगे आप?…कितनी आवाजें बंद करेंगे आप?…एक आवाज बंद करेंगे, कई उठ जाएंगी…कोई पैंग्विन कहता है तो गुस्सा आता है? क्यों गुस्सा आता है, जब पप्पू सेना कहते हैं? सोनिया सेना कहते हैं तो गुस्सा आता है क्या?’।
महाराष्ट्रर के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा यह लोकतंत्र के लिए काला धब्बा है।’ पत्रकार से गिरगिटी नेता बने शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, ‘पुलिस को सबूत मिलें तो वह किसी पर भी कार्रवाई कर सकती है। जब से सरकार का गठन हुआ है तब से हमने बदले की भावना से किसी पर कार्रवाई नहीं की है। मुंबई पुलिस को कुछ सबूत मिला होगा इसीलिए यह कार्रवाई हुई है।
एटिडर गिल्ड ने भी अर्नब की गिरफ्तारी पर विरोध जताया है और महाराष्ट्र सीएम से अपील की गई है कि मामले की जांच बिना किसी पक्षपात के करें।
खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में रिपब्लिक टीवी की एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को अलीबाग जिला अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। कल अलीबाग जिला अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस को एकदम से नंगा कर दिया। अदालत ने अर्णव गोस्वामी की पुलिस रिमांड की मांग को निरस्त करते हुए कहा, आरोपी अर्थात अर्णव गोस्वामी और आत्महत्या करने वालों में कोई प्राथमिक संबंध नजर नहीं आ रहा है। अदालत ने कहा, केस में जब क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दिया गया था तो इसकी जांच पुनः शुरू करने के लिए कोर्ट की अनुमति आवश्यक थी, जो नहीं ली गई।
आज हाईकोर्ट में सुनवाई है। अर्णब के वकील ने जमानत के याचिका लगाई है।
इस बीच अर्नब गोस्वामी, उनकी पत्नी और नाबालिग बेटे पर मुंबई पुलिस ने अमानवीयता बरतते हुए एक और एफआईआर दर्ज किया है। पुलिस ने उन पर गिरफ्तारी के दौरान महिला पुलिसकर्मी से मारपीट के आरोप में केस दर्ज किया है। यही नहीं उनकी पत्नी, बेटे और दो अन्य लोगों के खिलाफ भी इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई है। अर्नब गोस्वामी ने पुलिसकर्मियों पर मारपीट का आरोप लगाया है। रिपब्लिक टीवी चैनल की ओर से दिखाए गए वीडियो में अर्णब कहते हैं कि उनके साथ प्रदीप पाटिल समेत 8 पुलिसकर्मियों ने बदसलूकी की है और मारपीट की है। उन्होंने कहा कि मुझे घर से उठाकर लाया गया है। यहां तक कि मेरे पैरों में जूते भी नहीं थे। अर्णब ने हाथ में जख्म भी दिखाया।