विपुल रेगे। शमशेरा के औंधे मुंह गिरने के बाद यशराज फिल्म्स और इसके कलाकारों को मान लेना चाहिए कि ये एक अधूरे मन से किया हुआ प्रयास था। अपितु विनम्रता नामक चिड़िया तो बॉलीवुड की दीवारों पर कभी बैठती ही नहीं। फिल्म के कलाकार संजय दत्त और निर्देशक करण मल्होत्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर फिल्म की असफलता के लिए ‘नफरत’ को ज़िम्मेदार ठहराया है।
महंगे बजट की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ढेर हो जाती है। इस भयंकर असफलता की कमियों को खोजने के बजाय शमशेरा के निर्देशक और कलाकार दर्शकों को दोषी ठहराने लगे हैं। शमशेरा के निर्देशक करण मल्होत्रा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा ‘ मेरे प्यारे शमशेरा तुम बहुत ही तेजस्वी हो। मेरे लिए ये बहुत जरूरी है कि मैं इस प्लेटफॉर्म पर खुद को व्यक्त करुं , जहां आपके लिए प्यार, नफरत, सेलिब्रेशन से लेकर बेइज्जती तक सबकुछ मौजूद है। मैं सभी से इस लापरवाही के लिए माफी मांगना चाहता हूं कि मैं इस नफरत और गुस्से को हैंडल नहीं कर पाया।मेरा ये पलटवार मेरी वीकनेस है और ये कोई बहाना नहीं है।’
यहाँ करण मल्होत्रा फिल्म के प्रोमो रिव्यूज की बात कर रहे हैं। शमशेरा टीम का विचार है कि फिल्म के प्रोमो के बाद समीक्षकों ने जिस ढंग से रिव्यू दिए, उससे दर्शकों की सोच इसके बारे में नकारात्मक बन गई। क्या शमशेरा टीम नहीं जानती कि सोशल मीडिया पर तो लोग देश के प्रधानमंत्री को नहीं छोड़ते, फिर आप तो एक फिल्म निर्देशक हैं। इन दिनों फिल्म बनाकर उसे रिलीज करना अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। इन दिनों ट्रेलर की समीक्षाओं का दौर भी चालू हो गया है।
इसका एक ही इलाज है कि आपको फिल्म के बजट, निर्देशन, प्रोमो और पब्लिसिटी पर काम करना सीखना होगा। युवा दर्शक तो किसी की नहीं सुनते और बेबाकी से अपनी राय देते हैं। उनकी बेबाक राय को आप नफरत का नाम देकर भविष्य में अपने ही रास्तें बंद करने का काम कर रहे हैं। क्या करण मल्होत्रा नहीं जानते कि जब दर्शक 300 से 500 रुपये की महंगी टिकट खरीद कर आपकी फिल्म देखने जाता है तो उसे आपके यशराज बैनर से अपेक्षा होती है।
जब आप मनोरंजन के नाम पर कचरा परोस देंगे तो दर्शक अपनी राय देगा ही, समीक्षक उस पर अपनी प्रतिक्रिया देगा ही। आप उसे कैसे रोक सकते हैं। जब सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध हत्या का प्रकरण हुआ तो बॉलीवुड का बायकॉट शुरु हुआ। उस समय अहंकार में बॉलीवुड ने माना ही नहीं कि हमारा बहिष्कार हो रहा है। एक के बाद एक फ़िल्में पिटती चली गई। दर्शकों ने केवल नए कलाकारों की फिल्मों को अपना समर्थन दिया।
दक्षिण की फिल्मों ने एंट्री लेकर आपका स्टार सिस्टम सदा के लिए समाप्त कर दिया। और आपको अब भी सपने आते हैं कि सलमान, अक्षय, आमिर, सैफ आदि आदि आपको तीन दिन में सौ करोड़ का कलेक्शन दे सकते हैं। आज के बॉक्स ऑफिस का सत्य है कि यहाँ अब कंटेंट ही चलेगा। बॉक्स ऑफिस का किंग वही बनेगा, जिसके कंटेंट में दम होगा। शमशेरा के बाद बॉलीवुड को ‘ब्रम्हास्त्र’ के फ्लॉप होने का सदमा भी सहना है। पांच सौ करोड़ के इस फटके के बाद शायद बॉलीवुड सुधर जाए और अहंकार छोड़ ज़मीन पर आ जाए।