प्रसिद्ध कवि शरद जोशी ने एक बार कहा था कांग्रेस एक वायरस की तरह है जो देश को खाने के लिए धीरे-धीरे बढ़ने से पहले अपने आसपास के खर पतवार को हटाता है। उनकी यह बात हमेशा सही साबित हुई है। वह कांग्रेस का शासनकाल था जब साल 2006 में बोइंग ने आंध्र प्रदेश में स्थित टाइटेनियम खान को हड़पने के लिए मैकेंजी कंपनी तथा यूक्रेन के माफिया के माध्यम से दिल्ली से लेकर आंध्र प्रदेश तक के नेताओं और अधिकारियों को करीब 20 मिलियन डॉलर की रिश्वत दी थी। यह खुलासा न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट से हुई है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मैकंजी कंपनी ने बोइंग कंपनी को जब अपनी प्रस्तावना रिपोर्ट दी थी उसमें उसने भारत के आठ अधिकारियों को चिन्हित करने की बात कही थी। उन्होंने सिंगल पावरप्वाइंट में जो अपनी रिपोर्ट बनाई थी उसमें उन 8 अधिकारियों का नाम भी शामिल है। अब सवाल उठता है कि कांग्रेस शासनकाल के वे आठ अधिकारी कौन हैं जो आंध्र प्रदेश स्थित टाइटेनियम की खान को विदेशी कंपनी के हाथ बेचना चाहते थे? सरकार को अब उसका पता लगाना चाहिए।
“Congress is a virus”, said noted poet Sharad Joshi! Weed it out before it crawls it way back to eat away our nation. In a NYTimes report, McKinsey/Boeing/Ukrainian mafia paid $20 Mill in bribery to Congress regimes in Delhi/AP to swindle India’s Titaniumhttps://t.co/3rRF61guZX
— Rajat Sethi (@RajatSethi86) January 1, 2019
मणिपुर के मुख्यमंत्री के सलाहकार तथा ‘द लास्ट बैटल ऑफ सराईघाट’ किताब के लेखक रजट सेठी ने इस संदर्भ में ट्वीट कर बताया है कि किस प्रकार कांग्रेस के शासनकाल में विदेशी कंपनियां उनके नेताओं और अधिकारियों को घूस देकर भारत के कीमती धातु की खानों पर अपना आधिपत्य जमाना चाहती थी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि बोइंग कंपनी अपने विमानों पर टाइटेनियम धातु की प्लेट लगाने के लिए आंध्र प्रदेश स्थित टाइटेनियम खानों की खुदाई का लाइसेंस लेना चाहती थी। इसके लिए उसने मैंकेंजी कंपनी तथा यूक्रेनियन कंपनी को इसकी जिम्मेदारी दी थी। जिसने भारत के कांग्रेसी नेताओं और अधिकारियों को करीब 20 मिलियन डॉलर की रिश्वत भी दी थी।
अभी देश में अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले की जांच पूरी भी नहीं हुई है कि इसी बीच अमेरिका की विमान कंपनी बोइंग द्वारा भारतीय नेताओं और अधिकारियों को 20 मिलियन डॉलर घूस देने का मामला सामने आ गया है। सवाल उठता है कि क्या विदेश से कोई भी सौदा बगैर रिश्वत दिए संभव नहीं है? आखिर वे नेता और अधिकारी कौन हैं जो अपने ही देश को विदेशी कंपनियों के हाथ बेचने को तैयार हैं?
मालूम हो कि बोइंग अपने सबसे बढ़िया 787 ड्रीमलाइनर हवाईजहाज बनाने वाला था। ड्रीमलाइनर विमान बनाने के लिए टाइटेनियम जैसी धातु की जरूरत थी। टाइटेनियम जैसी महत्वपूर्ण धातु की खान भारत के आंध्र प्रदेश में है। बोइंग कंपनी उस टाइटेनियम की खान हासिल करना चाहती थी। बोइंग ने यह जिम्मेदारी मैकेंजी नामक कन्सल्टंसी फर्म को सौंपी कि वह भारत में टाइटेनियम माइनिंग की संभावना की तलाश करे। मैकेंजी ने इसके लिए यूक्रेन के कारोबारी दिमित्री फिरताश की कम्पनी को चुना। हालांकि फिरताश यह डील पक्की करने में विफल रहा, लेकिन उन्होंने इसके प्रयास के दौरान भारत के नेताओं और अधिकारियों को 20 मिलियन डॉलर की घूस देने का बिल बोइंग कंपनी को दे दिया। कहा गया कि आंध्र प्रदेश की टाइटेनियम खान की खुदाई करने का लाइसेंस हासिल करने के लिए यह रिश्वत दी गई थी।
अब जब न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के हवाले से टाइटेनियम खान की खुदाई के लाइसेंस के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की बात सामने आ गई है तो यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह पता लगाए कि आखिर रिश्वत लेने वाले अधिकारी कौन थे? इसके साथ यह भी पता लगाना जरूरी है कि उन अधिकारियों का साथ देने वाले नेता या मंत्री कौन थे? क्योंकि बगैर उनके यह काम कभी संभव ही नहीं हो पाता।
गौरतलब है कि बोइंग ने आंध्र प्रदेश स्थित टाइटेनियम खान की खुदाई के प्रस्ताव का मूल्यांकन करने को कहा था। यह प्रस्ताव संभवत: 500 मिलियन डॉलर वार्षिक था। वह यह खुदाई विदेशी साझीदार के माध्यम से होना था। इसके लिए यूक्रेन का प्रभावशाली व्यक्ति फाइनेंस करने वाला था। बोइंग के इस प्रस्ताव पर मैकेंजी ने सिंगल पावर प्वाइंट स्लाइड के रूप में जो रिपोर्ट सौंपी थी उसमें यह सलाह भी दी थी कि यह काम जोखिम भरा है, तथा माइनिंग की लाइसेंस हांसिल करने के लिए वहां के अधिकारियों को रिश्वत भी देनी होगी। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने यह भी कहा कि उनके पार्टनर यूक्रेन के प्रभावशाली कारोवारी दिमित्री फिरताश ने तो उन आठ अधिकारियों को चिन्हित कर लिया है जिन्हें रिश्वत देनी थी।
मालूम हो कि इस मामले में मैकेंजी कंपनी के शामिल होने की बात 12 सालों तक छिपी रही। किसी को यह पता ही नहीं चल पाया कि दिमित्री फिरताश के पीछे मैकेंजी कंपनी का हाथा। अभी तक इसके लिए बोइंग कंपनी का नाम ही सामने आ रहा था। लेकिन जब दिमित्री फिरताश को अमेरिका में टाइटेनियम खदान की लाइसेंस हांसिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के मामले में गिरफ्तार किया गया और उसके प्रत्यर्पण की बात उठी तभी मैकेंजी कंपनी का नाम सामने आया है। मालूम हो कि दिमीत्री फिरताश अभी भी अमेरिका की जेल में है। अब जब यह मामला सामने आ गया है तो फिरताश को प्रत्यर्पित कर भारत लाना जरूरी हो गया है। जिस दिन फिरताश भारत लाया जाएगा कांग्रेस के सिर घोटाले का एक और बम फूटेगा।
URL : The disclosure of bribe in the deal of titanium mine with Boeing Company!
Keyword : titanium deal scam, congress regime, corrupt officials, भ्रष्टाचारा, रक्षा सौदा