Archana Kumari. इंडियन मुजाहिदीन आईटी सेल का मुखिया रह चुका तहसीन अख्तर उर्फ मोनू तिहाड़ जेल में अक्सर मोबाइल का इस्तेमाल करता रहा है। उसके पास एक नहीं दो फोन है जबकि उसके अलावा चार-पांच और दूसरे आतंकी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते रहे हैं, इस तरह का खुलासा दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की जांच में हुआ है।
सूत्रों ने दावा किया है कि तहसीन अख्तर उर्फ मोनू जिस मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा था। उस मोबाइल फोन तथा उसमें लगे सिम उत्तम नगर से खरीदे गए थे। एशिया की सर्वाधिक सुरक्षित समझे जाने वाली तिहाड़ जेल से मोबाइल मिलने का मामला उजागर होने पर दिल्ली सरकार ने मामले की जांच के आदेश दे दिए और जेल महानिदेशक संदीप गोयल को तलब किया ।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि तिहाड़ जेल में मोबाइल बरामदगी को लेकर स्पेशल सेल ने शुक्रवार को कोर्ट से तहसीन अख्तर से पूछताछ की अनुमति मांगी। इसकी अनुमति कोर्ट ने दे दी । अब स्पेशल सेल की टीम तहसीन अख्तर को पूछताछ के लिए तिहाड़ जेल से अपने कार्यालय लेकर आएगी। जहां लोधी रोड कार्यालय में उससे पूछताछ की जाएगी।
शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि बरामद मोबाइल और सिम खरीदते समय दिया गया वैकल्पिक मोबाइल नंबर भी एक ही दुकान से खरीदा गया । इस तरह की जानकारी के बाद दुकानदार को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया गया । आशंका है कि तहसीन अख्तर से बरामद किए गए दोनों ही मोबाइल नंबर फर्जी आईडी व नाम पर खरीदे गए ।
आतंकी से बरामद दोनों मोबाइल को कब्जे में लेकर फोन को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया । यह भी खुलासा हुआ है कि खूंखार आतंकी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू जेल में वीवो और ओप्पो कंपनी के महंगे 4जी मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा था। वह जेल में 4जी इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहा था। पुलिस का दावा है कि ये दोनों फोन जेल में फेंककर नहीं, बल्कि आतंकी से मिलकर व्यक्तिगत रूप से पहुंचाए गए । वैकल्पिक नंबर अब बंद है।
पुलिस जेल में आतंकियों के मददगारों की तलाश कर रही है। पुलिस का कहना है कि इसके मोबाइल से दिल्ली की अन्य जेलों में लगातार बात होती थी। इस मोबाइल से तिहाड़ में बंद एक और व्यक्ति दिल्ली में लोकल बात करता था। इसी व्यक्ति से सुरक्षा एजेंसियों को सुराग मिला था। आशंका है कि तहसीन अख्तर इन मोबाइलों से पाकिस्तान व अन्य जगहों पर बात करता था। हो सकता है कि वह देश में किसी आतंकी वारदात की साजिश रच रहा हो।
फोरेंसिक जांच के बाद ही पता लगेगा कि तहसीम मोबाइल से कहां-कहां बात करता था। माना जा रहा है कि वह इससे इंटरनेट कॉलिंग करता था। इस बीच दिल्ली सरकार ने तिहाड़ जेल में दो मोबाइल व सिम मिलने के मामले को गंभीरता से लिया । दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि सुरक्षा में बड़ी चूक है।
उन्होंने इसकी जांच के आदेश दिए हैं जबकि जेल महानिदेशक को तलब किया है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि आतंकी तहसीन अख्तर से बरामद दोनों फोन से टेलीग्राम चैनल बनाकर जैश उल हिन्द नाम के संगठन ने मुकेश अम्बानी के आवास एंटीलिया के पास विस्फोटक रखने की ज़िम्मेदारी ली गई थी जबकि इजरायल एम्बेसी के पास हुए धमाके की जांच के दौरान पता चला था कि जिस नंबर से टेलीग्राम के जरिये जैश उल हिन्द नाम के संगठन ने धमाके की ज़िम्मेदारी ली थी वो नंबर तिहाड़ जेल में सक्रिय है।
स्पेशल सेल इसकी जांच कर ही रही थी कि तभी मुंबई में अंबानी के घर के बाहर मिले विस्फोटक के बाद धमकी भरा लेटर आया और जब मुम्बई पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस के जरिए जांच की तो पता लगा ये नम्बर भी दिल्ली की तिहाड़ जेल में चल रहा था । इसके बाद स्पेशल सेल से मुम्बई पुलिस ने सम्पर्क साधा और उसके बाद बड़ा खुलासा हुआ कि दोनों मामलों में एक ही मोबाइल नंबर 93120819 जो कि रघुबरपुरा इलाके के जयदीप नाम के शख्स पर रजिस्टर्ड था, उसका इस्तेमाल हुआ जबकि वैकल्पिक नंबर के तौर पर एक और संदिग्ध नंबर 97119888 का खुलासा किया गया ।
तिहाड़ जेल जहां से अंतर्राष्ट्रीय हत्यारा और ड्रग तस्कर चार्ल्स शोभराज,उसके बाद बैंडिट क्वीन फूलन देवी के हत्यारे शेर सिंह राणा फरार हो चुका है, जब भी आए दिन इस जेल से मोबाइल फोन की बरामदगी होती रहती है । इसी जेल में नशे का सौदा होता है। यहां तक कि कैदी तिहाड़ में किसी भी जेल स्टाफ की मिली भगत करके कोई भी गोरखधंधा खुलेआम चला सकते हैं ।
इस जेल के बारे में कहा जाता है कि चारदीवारी के भीतर बदमाश साजिश रचते हैं और बाहर मौजूद उनके साथी उनके इशारे पर बड़ी से बड़ी वारदात को अंजाम देते रहते हैं। एक से बढ़कर एक आतंकी तथा गैंगस्टर इस जेल में बंद है जबकि दिल्ली के जेलों के लिए करीब 468 करोड़ रुपये जेल के संचालन पर खर्च होते हैं।
जिस आतंकी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू से मोबाइल मिला है, उसका आका यासीन भटकल भी दिल्ली की इसी तिहाड़ जेल में कैद है। आशंका है उसके पास भी कोई न कोई मोबाइल हो, इसके लिए पूरे जेल में सर्च अभियान चलाए जाने की जरूरत है। तहसीन अख्तर के बारे में बताया जाता है कि वह साल 2005 से 2013 तक इंडियन मुजाहिद्दीन का आईटी सेल का मुखिया रहा था और उसी के कहने पर आतंकी जिया उर रहमान ऊर्फ वकास, असदुल्ला अख्तर, मोहम्मद मारूफ, वकार अजहर, मोहम्मद साजिद अंसारी समेत अन्य हार्डकोर जेहादियों को यासिन भटकल ने अपने मॉड्यूल में शामिल किया था।
इस दौरान चेले तथा उसके भर्ती किए गए गुर्गों ने देश भर में विस्फोट कराया, इसमें कई लोगों की जान गई और उसकी देश विरोधी प्रतिभा को देखकर यासीन की गिरफ्तारी के बाद ही तहसीन अख्तर को इंडियन मुजाहिद्दीन का नया चीफ बनाया गया । तहसीन अख्तर उर्फ मोनू कर्नाटक के भटकल की पहाड़ियों पर बम बनाने और आतंक की ट्रेनिंग ली हुई है, इसीलिए इसे बम का डॉक्टर भी कहा जाता है।