पूरा चमन देश का उजड़ा
लोकतंत्र की पूर्ण विफलता , अच्छे – नेता नहीं मिले ;
जंगलराज हो चुका कायम , चोरों के ही फूल खिले ।
पूरा चमन देश का उजड़ा , क्योंकि चौकीदार चोर है ;
ये दुश्मन से मिला हुआ है , ये पूरा आदमखोर है ।
महामूर्ख हिंदू – जनता है , धर्म – सनातन छोड़ दिया ;
अब्बासी-हिंदू नेता की साजिश , हिंदू-धर्म को तोड़ दिया ।
पहले क्षेत्रवाद में तोड़ा , फिर भाषावाद में तोड़ दिया ;
भारत के पापी – नेता ने , जातिवाद में तोड़ दिया ।
धर्महीन – हिंदू बेचारा , खुद ही फांसी पर झूल रहा है ;
अपने सबसे बड़े शत्रु को , अपना नेता मान रहा है ।
जानी-दुश्मन को जो दोस्त मानता , वो कैसे बच पायेगा ?
निश्चित ही उसको मिट जाना है , अपना गला कटायेगा ।
स्वार्थ ,लोभ ,भय ,भ्रष्टाचार में , जब तक हिंदू फंसा रहेगा ;
इसी तरह से ठगा जायेगा , दोयम – दर्जा बना रहेगा ।
हिंदू के लिये हैं झूठे-सपने , धोखा देते उसको अपने ;
चरित्रहीन अब्बासी-हिंदू , म्लेच्छों के सच करते सपने ।
हिंदू ! तेरे पापी – नेता की , सीमाहीन गिरावट है ;
जाने कितना गिरेगा नीचे ? डीएनए में मिलावट है ।
तथाकथित हिंदूवादी दल , सबसे नीचे गिरा हुआ है ;
समलैंगिक है मातृ-संस्था, म्लेच्छों के हाथों बिका हुआ है ।
हिंदू ! तेरे पतन का कारण , धर्म – सनातन से दूरी ;
अपने-धर्म में वापस आओ , आखिर क्या है मजबूरी ?
रामायण-गीता-महाभारत , हर-हिंदू को खुद पढ़ना है ;
डॉलर-दीनारी-सरकारी बाबा से , हिंदू ! तुझको बचना है ।
नब्बे – प्रतिशत हिंदू – बाबा , धर्माचार्य , कथावाचक ;
अब्राहमिकों के ये दलाल हैं , सारे-पापों के हैं वाहक ।
महानिकृष्ट ये सारे – पापी , अंधा – बाबा अगुआ है ;
इसी तरह है दाढ़ी – बाबा , योगी नहीं ये ठगुआ है ।
हिंदू ! अपने भविष्य को देखो , पूर्ण-अंधेरा छाया है ;
तेरा बचना नहीं है संभव , क्योंकि तू पगलाया है ।
हिंदू ! पगलाया नेता के पीछे , उसको हृदय-सम्राट बनाया ;
जबकि तेरा काल यही है , सदा ही तुझको मूर्ख बनाया ।
भेड़-बकरी सा बना है हिंदू , अब्बासी-हिंदू हांक रहा है ;
उसी ने खोदा मौत का गड्ढा , उसी में तुझको डाल रहा है ।
हिंदू ! अपनी आंखें खोलो , अपने दुश्मन को पहचानो ;
अब भी विजयी हो सकते हो,बस अपने सच्चे धर्म को मानो ।