Yndu Ren. मैंने भी पृथ्वीराज चौहान फिल्म के निर्देशक डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी को पहली बार संजय दीक्षित जी के चैनल JD पर सुना था। टीवी सीरियल देखकर एक धारणा बना लेना अलग बात है, और उस व्यक्ति को प्रत्यक्ष सुनकर, उस के निजी विचार जानना दूसरी बात है!
समय निकाल कर इसे सभी देखें और सुनें। सोशल मीडिया में जैसा इनका आभामण्डल गढ़ा गया है, उसके एकदम विपरीत है यह व्यक्ति। वामपंथी विचारों वाला, Wikipedia पर लिखी हुई बातों को प्रामाणिक समझने वाला, और इस्लामियों के एजेंडे को बहुत ही सूक्ष्म रूप से इंजेक्ट करने वाला है यह व्यक्ति!
इनका मानना है कि भारत में स्त्रियाँ Nasal Ornaments यानि नथ, नथुनी, इत्यादि नहीं पहनती थी, जो अरब-तुर्क अपनी “औरतों” को बुरके में रखते है, वह यह आभूषण लेकर आए और भारतीय समाज की महिलाओं को दिया!
सम्राट पृथ्वीराज जैसी घटिया फिल्म में इन्होंने दिखाया है कि एक हिन्दू लड़की “चित्रलेखा” को मुसलमान भारत से पकड़ के ले जाते हैं, ग़ज़नी के बाजार में बेचने के लिए, वहाँ वह मुहम्मद गोरी को पसंद आ जाती है, उस के साथ वहाँ क्या-क्या हुआ होगा, यह लिखने/बताने की जरूरत नहीं, लेकिन इस व्यक्ति ने अपनी फिल्म में दिखाया है कि वह चित्रलेखा मुहम्मद गोरी के भाई से प्यार करने लगती है। उस के साथ भाग कर वापस भारत आ जाती है और उसे रिसीव करने पृथ्वीराज चौहान जैसा शासक स्वयं चलकर जाता है (जैसे आजकल एयरपोर्ट पर रिसीव करने का चलन चल पड़ा है)।
इसका इस्लामी प्रोपोगंडा यहीं खत्म नहीं होता। उसी फिल्म में वह यह भी दिखाता है कि जब वह मुसलमान पृथ्वीराज की तरफ से लड़ते हुए मारा जाता है (एकदम सरासर झूठ!) तो चित्रलेखा उस के साथ जीवित “कब्र में दफन” होती है, यह बताकर कि जैसे हिंदुओं की स्त्रियाँ सती होती है, वैसे मैं भी दफन होना चाहती हूँ!
अब इसका नैरेशन क्या है:
- इस्लाम से नेक्रोफिलिया यानि की स्त्रियों की मृत-देह से संभोग को बड़ी आसानी से छुपा दिया, जबकि आज भी मुसलमान कब्रों से जवान लड़कियों-औरतों की लाशों को निकाल कर उस के साथ दुष्कर्म करते हुए पकड़े गए है, इंडिया में भी, जी हाँ, इंडिया में!
- सती और जौहर में घालमेल करने वाली पुरानी वामपंथी स्टोरी को और बढ़ाया गया है। सती एक बिल्कुल अलग विषय है, जबकि जौहर हमेशा साके के साथ होता था। पहले जौहर फिर उस के बाद साका। जौहर-साका यह एक युग्म है, जबकि सती एक अलग विषय है। लेकिन जितने भी वामपंथी मिलेंगे वह जौहर को सती से जोड़ देंगे जिस से मुसलमानों के नेक्रोफिलिया को छिपाया जा सके! जौहर इसीलिए होता था कि मुसलमान मृत देह से भी दुष्कर्म करते हैं। काफिर बच्ची/स्त्री/महिला की मृत देह से दुष्कर्म करना इस्लाम में एकदम नॉर्मलाइज है। इसीलिए पृथ्वीराज फिल्म में दफनाना दिखाया है, जिससे नेक्रोफिलिया का कान्सेप्ट गलत बताया जा सके और सती को जौहर से जोड़कर दिखाया जा सके!
- भारतीयों के इतिहास में जबरदस्ती फेमिनिज़्म, स्त्री-संघर्ष, जबरदस्ती की समानता, मुसलमानों के लिए सॉफ्ट-ग्राउंड का निर्माण, और सब से दुर्भावनापूर्ण चित्रण कि हिन्दू लोग कायर-कमजोर थे, यही सब इन की फिल्मों की विषयवस्तु है!