अच्छे को अच्छा मिले , मिले नीच को नीच ;
पानी से पानी मिले , मिले कीच से कीच ।
जैसे को तैसा मिले , परम – सत्य सिद्धंत ;
अपने जैसे नेता पाकर , हिंदू का है अंत ।
स्वार्थी , लोभी , लालची , कायर , कुटिल , कपूत ;
धर्म – सनातन त्याग कर , हिंदू बने कपूत ।
बहुमत हिंदू का जैसा है , वैसे मिले हैं नेता ;
लफ्फाजी करने में माहिर , करके नौटंकी रोता ।
धर्म – सनातन जब से छूटा , साहस-शौर्य भी छूटा ;
हिंदू संकट भांप न पाते , गला इसी से कटा ।
जीवन- मृत्यु तेरे हाथों में , चाहे जिसे भी चुन ले ;
केवल धर्म – सनातन रक्षक , चाहे तो अपना ले ।
ज्यादा समय नहीं है अब तो , महाविनाश आने में ;
शासन और प्रशासन अक्षम , समर्थ न रोक पाने में ।
केवल परम – साहसी नेता , इसे रोक सकता है ;
चरित्रवान और कट्टर- हिंदू , वही रोक सकता है ।
वर्तमान जितने भी दल हैं , सब के सब नाकाम हैं ;
तथाकथित हिंदूवादी दल , उसका तो काम-तमाम है ।
अब तो केवल यही मार्ग है , एक नया दल लाओ ;
परम – साहसी , हिंदूवादी , चरित्रवान ही लाओ ।
चारों तरफ घना अंधियारा , जम्मू में सूर्योदय ;
“इकजुट – जम्मू” ऐसा ही दल , भारत का भाग्योदय ।
अध्यक्ष हैं इसके अंकुर शर्मा , सभी तरह से योग्य हैं ;
हर हिंदू सहयोग करो अब , सर्वश्रेष्ठ संयोग है ।
”इकजुट-जम्मू”इकजुट-हिंदू”इकजुट-भारत” इसे बनाओ ;
धर्म – सनातन करो प्रतिष्ठित , देश को हिंदू- राष्ट्र बनाओ ।
हिंदू – राष्ट्र बनाकर भारत , धर्म का शासन ले आओ ;
सब की होगी पूर्ण सुरक्षा , कानून का शासन ले आओ ।
दो वर्ष का समय है केवल , हमको अब जल्दी करना है ;
एक काम फौरन करना है , धर्म – सनातन अपनाना है ।
केवल धर्म-सनातन ही अब , हिंदू की रक्षा कर सकता है ;
वरना महामूर्ख ये हिंदू , केवल गला कटा सकता है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”