भारत के आँकड़े-
(1) कुल कोरोना केस -1 करोड़ 90 लाख
(2) कोरोना से रिकवरी-1 करोड़ 60 लाख
(3) कोरोना से मृत्यु – 1 लाख 57 हज़ार
(4) कोरोना रिकवरी रेट- 98.55%
(5) कोरोना मृत्यु दर – 1.45%
(6) वैक्सीन दिया गया- 80 लाख
(7) वैक्सीन के बाद मृत्यु- 27
(8) डायरिया से मृत्यु 2016- 1,02,823
(9)पॉल्यूशन से मृत्यु 2019-16,67,000
उपरोक्त आँकड़ों से यह स्पष्ट है कि हमारे देश में कोरोना के मुक़ाबले पॉल्यूशन से 11 गुना लोग मरते हैं। परन्तु पॉल्यूशन के लिये मास्क लगाना ज़रूरी नहीं है पर कोरोना के लिये मास्क अनिवार्य है। पॉल्यूशन के लिये ऑड-इवेन गाड़ी चलाना मुश्किल है पर कोरोना के नाम पर 3 महीने का देशव्यापी चकाजाम ?

आँकड़े गवाह हैं कि हमारे देश में कोरोना की हर्ड इम्यूनिटी बिना किसी वैक्सीन के डेवलप हो चुकी है, यही कारण है कि कोरोना के केस निरंतर समाप्त होते जा रहे हैं।

यह देश के लिये गर्व की बात है कि भारत बॉयोटेक+आई सी एम आर+ डिपार्टमेंट ऑफ वायरोलॉजी ने स्वदेशी वैक्सीन की खोज की, परन्तु आवश्यकता समाप्त हो जाने के बाद भी सभी को वैक्सीन लगाई जाये यह ग़लत होगा। याद रहे कि जो भी वैक्सीन लोगों को लगाई जा रहीं हैं उसके लिये इमरजेंसी एप्रूवल लिया गया है। अभी तक विश्व की किसी भी वैक्सीन का लॉन्गटर्म साइड इफ़ेक्ट का आँकलन नहीं हुआ है। अत: यह नहीं पता कि वैक्सीन आगे आने वाले समय में क्या परेशानी पैदा करेगी ?

अभी तक देश में 80 लाख लोगों को वैक्सीन लग चुकी है और वैक्सीन लगवाने वालों में से सिर्फ़ 27 लोगों की मृत्यु हुई है जो महज़ एक कोइंसीडेन्स भी हो सकता है। बुखार, दर्द, सूज़न, उल्टी इत्यादि जिन्हें औपचारिक रूप से वैक्सीन कावसाइड इफ़ेक्ट बताये जा रहा है, वास्तविकता में ये सभी वैक्सीन के इफ़ेक्ट के सूचक हैं ना कि साइड इफ़ेक्ट। मुख्य समस्या है वैक्सीन के कारण होने वाले लॉन्गटर्म साइड इफ़ेक्ट के जो वैक्सीन लगने के कई वर्षों के बाद दिखेंगे। मौजूदा परिस्थिति में जहॉं हमारे देश में कोरोना स्वत: समाप्त हो रहा है तो क्या हमें वैक्सीन सभी को सिर्फ़ इसलिए लगानी है कि हमनें वैक्सीन बना ली है ? किसी के जीवन को ख़तरे में डालना निहायत ग़लत होगा।

हमारे वैज्ञानिकों ने इतने कम समय में कोरोना की वैक्सीन बनाकर एक बहुत बड़ी उपलब्धि देश के नाम की है जिससे विश्व में देश का नाम रोशन हुआ है। हमें उम्मीद है कि हमारे वैज्ञानिक भविष्य में इसी प्रकार एच आई वी, कैंसर, हार्ट डिसीज, अस्थमा, अर्थराइटिस जैसी कोरोना से कई गुना घातक बीमारियों का भी वैक्सीन दुनिया में सबसे पहले बनाकर देश का नाम रोशन करेंगे। मुझे उम्मीद है कि मौजूदा हालात में वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिक भी देशवासियों को जबरन वैक्सीन लगाकर एक अनजान मुसीबत में नहीं फँसाना चाहेंगे।

इसके अतिरिक्त मास्क लगाने, सोसल डिसटेन्सिग तथा कॉलर ट्यून को तत्काल प्रभाव से स्वेच्छिक कर देना चाहिए क्योंकि वास्तविकता में इनका पालन नहीं हो रहा और यह सभी पुलिस द्वारा जनसाधारण को परेशान करने के तरीक़े बन गयें हैं।
मेरा सरकार और स्वास्थ्य विभाग से सविनय निवेदन है कि देशवासियों पर भरोसा करें और सभी के हित में उपरोक्त पहलुओं का पुन: ऑंकलन करें तथा देश को कोरोना तनाव से मुक्ति दें।
कमाण्डर नरेश कुमार मिश्रा
फाउंडर ज़ायरोपैथी
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