क्या वर्तमान शिक्षा व्यवस्था सबको समान अवसर उपलब्ध कराती है? क्या आप भी सहमत हैं कि बाबा साहब अंबेडकर और दीनदयाल उपाध्याय जी की इच्छानुसार देश में समान शिक्षा (यूनिफार्म एजुकेशन) लागू होना चाहिए? संविधान के अनुच्छेद 21A के अनुसार शिक्षा का अधिकार 6-14 वर्ष के बच्चों का मौलिक अधिकार है और मौलिक अधिकार सबके लिए समान होता है। चाहे वह गरीब हो अमीर, हिन्दू हो या मुसलमान, सिख हो या ईसाई, दलित हो या पिछड़ा, बहुसंख्यक हो या अल्पसंख्यक।
समता, समानता और समान अवसर ही संविधान के आर्टिकल 14, 15, 16 की मूल भावना है। यदि आर्टिकल 21A को आर्टिकल 14, 15, 16 के साथ पढ़ा जाये तो स्पस्ट है कि 6-14 वर्ष के सभी बच्चों को समान शिक्षा (यूनिफार्म एजुकेशन) मिलना चाहिए अर्थात कक्षा 1-8 के सभी बच्चों का स्लेबस एक समान होना चाहिए चाहे वह सरकारी स्कूल में पढ़ता हो या प्राइवेट स्कूल में, कश्मीर का रहने वाला हो या कन्याकुमारी का पढ़ने-पढ़ाने का माध्यम अलग-2 हो सकता है।
देश की एकता-अखंडता और आपसी भाईचारा को मजबूत करने तथा अलगाववाद, जातिवाद, संप्रदायवाद, आतंकवाद और नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए भी यह जरुरी है लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि आजतक समान शिक्षा (यूनिफार्म एजुकेशन) लागू नहीं किया गया! क्या आप भी सहमत हैं कि बाबासाहब अंबेडकर और दीनदयाल उपाध्याय जी की इच्छानुसार देश में समान शिक्षा (यूनिफार्म एजुकेशन) लागू होना चाहिए? कृपया अपनी राय देने के साथ-2 जनहित और देशहित में इसे अधिक से अधिक शेयर करें क्योंकि इस विषय पर जनजागरण बहुत जरुरी है।
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