एक बात का आप लोगों को एहसास हुआ? मोदी सरकार में #MSM मीडिया की पहुंच न के बराबर हो गई है। जब तक सरकार ने सूची नहीं जारी की, तब तक न तो उन्हें HRD मंत्रालय में बदलाव की जानकारी मिली, न सूचना प्रसारण मंत्रालय के बारे में इन्हें पता चला, न ही संचार मंत्रालय के बारे में, न ही वित्त मंत्रालय से जयंत सिन्हा के जाने व जेटली जी के साथ दो डिप्टी लगाने के बारे में आदि।
इनके सारे सूत्र फर्जी साबित हुए! इसलिए भविष्य में इनके सूत्रों वाली खबर पर जरा भी भरोसा न करें। मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए ये सूत्र के जरिए आयुष मंत्रालय में मुसलमान को नौकरी नहीं, नागालैंड का अलग पासपोर्ट, अडाणी का 200 करोड़ माफ आदि जैसी कई झूठी खबर चला चुके हैं! और कई राष्ट्रवादी भी इनके झांसे में फंस कर अपनी ही सरकार को गाली गलौच करते सोशल मीडिया पर पाए गए हैं! इसलिए जिस मीडिया को आप प्रेस्टीट्यूट कहते हो, उस पर कम से कम आंख बंद कर भरोसा तो मत करो!
आप सोचिए, यदि स्मृति ईरानी को HRD से हटने की खबर इन्हें पहले पता चलती तो ये ब्रेकिंग चला-चला कर हमारी जान खा जाते। बस अमित शाह के आवास के बाहर खड़े होकर उनसे लगातार मिलने आ रहे सांसदों का नाम नोट कर इन्होंने संभावित मंत्रियों की सूची बना ली थी! कांग्रेस का समय याद कीजिए, पहले ही सूची लेकर ये बैठ जाते थे! पत्रकारों के लिए यह बड़ा दर्द है कि उनका सत्ता के गलियारे में घूमना, दलाली करना साफ बंद हो गया है! यह अच्छा संकेत है। पत्रकार सिर्फ पत्रकारिता करे दलाली नहीं, यही सही मायने में होना चाहिए।
कांग्रेस और उससे भी आगे निकलकर आम आदमी पार्टी ने पत्रकारों से उनकी कलम छीन कर उन्हें अपना एजेंडा पत्र थमा दिया, जिसके कारण पत्रकारिता पतित होती चली गई!मोदी सरकार पत्रकारों को उनका मूल काम याद दिलाना चाहती है, लेकिन जिन्होंने 2G, कोलगेट, रक्षा सौदा, कॉमनवेल्थ, चिदंबरम की हवाला मनी का सुख भोगा हो, उन्हें अपने प्रोफेशन के लिए मेहनत करना अब कहां रास आएगा! इसीलिए भाजपा व मोदी सरकार #Presstitutes के निशाने पर सबसे ज्यादा रहती है!