पृथ्वीराज भी महामूर्ख था , गौरी को जिंदा छोड़ा ;
उसकी इसी एक गलती ने ,देश के गौरव का रुख मोड़ा ।
इसी तरह कई बार हुआ है , मूरख हिंदू कभी न चेता ;
जिनको उसने जिंदा छोड़ा , बाद में वो ही सब कुछ लेता ।
जैसे तैसे आजाद हुये हम , पर फिर हिंदू ने धोखा खाया ;
राष्ट्र के पक्के दुश्मन थे जो , उनको अपने सर पर ढोया ।
मोहनदास करमचंद गांधी , उसको राष्ट्रपिता बनवाया ;
फिर गांधी ने साजिश करके ,नेहरू को पीएम बनवाया ।
हिंदू विरोधी ये दोनों थे , पर हिंदू इनको समझ न पाया ;
इन दोनों की गलत नीति ने , लाखों हिंदू को मरवाया ।
इनके कारण देश बंटा व पाकिस्तान का नासूर बन गया ;
फिर नेहरू की बेवकूफी से , तिब्बत चीन में चला गया ।
इसी तरह से नेहरू ने , आधा कश्मीर भी लुटा दिया ;
फौज हमारी वापस लेती , पर नेहरू ने रोक दिया ।
लाल बहादुर जैसा नेता , अंत में वह भी धोखा खाया ;
हिंद की सेना ने जो जीता , ताशकंद में उसे गंवाया ।
इसी तरह इंदिरा गांधी ने , मुफ्त में पूरी फौज को छोड़ा ;
जीती बाजी हार के उसने , कूटनीति के नियम को तोड़ा ।
अक्सर हिंदू गलती करते , इसीलिये वे मरते रहते ;
सदियों से गलती पर गलती , पर अब भी वे नहीं सुधरते ।
इन्हें नहीं पहचान दोस्त की , दुश्मन की पहचान नहीं है ;
अब भी उस पर करें भरोसा , जो कतई इंसान नहीं है ।
ऐसों को ये गले लगाते , पीठ पीछे जो छुरा मारते ;
गद्दार छिपे कितने अपनों में , उनको भी ये नहीं जानते ।
जयचंदों की कमी नहीं है , घर का भेदी लंका ढाता ;
दुश्मन से भी खतरनाक हैं , तेरे बीच में जिम्मी होता ।
महामूर्ख है हिंदू इतना , खुद के दुश्मन बन बैठे हैं ;
उसी डाल को काट रहे हैं , जिस पर वे खुद बैठे हैं ।
सेक्यूलरलिस्ट वे बने हुये हैं , धर्म वे अपना मिटा रहे हैं ;
दुश्मन के टुकड़ों पर पलते , राष्ट्र वे अपना लुटा रहे हैं।
“वंदे मातरम -जय हिंद”
रचयिता: बृजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”