गजवा- ए- हिंद का खतरा बढ़ता , देश हो रहा है बरबाद;
इसमें सबसे बड़े दो कारण ,तुष्टीकरण व अल्पसंख्यकवाद।
इन दोनों को जो भी बढ़ाये , ऐसे नेता हैं गद्दार ;
ऐसे नेता राष्ट्र के दुश्मन , चीन पाक के ये हैं यार ।
महामूर्ख है इतना हिंदू , इनको अब तक सहन करे ;
अब इनको सत्ता से फेंको , वरना राष्ट्र का नाश करे ।
इनको नहीं राष्ट्र से मतलब , केवल अपना काम करें ;
चाहे राष्ट्र भाड़ में जाये , सत्ता अपने नाम करें ।
लोकेषणा है इतनी ज्यादा , औरों को बदनाम करें ;
दंगों में सख्ती न करते , बेगुनाह सब लोग मरें ।
गुंडे सड़कें जाम हैं करते , ये तो बस लफ्फाजी करते ;
गुंडे कितना करें उपद्रव , कभी न ये कोई सख्ती करते ।
बहुत दूर की बात है फायर , ये तो लाठी न चलवाते ;
गुंडों से है इन्हें मोहब्बत , पुलिस को ये हरदम पिटवाते ।
महामूर्ख है मूलनिवासी , हमलावर को समझ न पाते ;
महामूर्ख है हिन्दू इतना , अपना हित भी जान न पाते ।
सदियों झेली गुंडागर्दी , पर गुंडों को कभी न जाना ;
किसमें सच्चा हित है अपना , ये कर्तव्य कभी न जाना ।
जात – पांत में बंटे हुये हैं , ऊंच-नीच में अटक रहे हैं ;
धर्म की सच्ची राह न जानी , आडंबर में भटक रहे हैं ।
ऐसे तो सब छिन जायेगा , कुछ भी पास न होगा तेरे ;
तूने सोना लाख कमाया , ताक में हरदम रहें लुटेरे ।
अपनी सब कमजोरी त्यागो , हर हालत में शक्ति पाओ ;
केवल शक्ति बनेगी रक्षक , इसको ही जीवन में लाओ ।
सारे दल बन गये हैं दल दल , भ्रष्टाचार में धंसते जाते ;
जितने चरित्रहीन है नेता , राष्ट्र का सौदा करते जाते ।
आंखें खोलें सारे हिंदू , धर्म सनातन को पहचानें ;
एक साथ मिल करके सारे ,अपने राष्ट्र के हित को जानें ।
अब तो केवल एक रास्ता , भारत को हिंदू राष्ट्र बनाओ ;
संकट सारे मिट जायेंगे , सारा गौरव वापस पाओ ।
“वंदे मातरम- जय हिंद”
रचयिता: बृजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”