जितना हिंदू कमजोर हो गया , उतना पहले कभी नहीं था ;
पहले था सरकारी – हिंदू , अब्बासी – हिंदू कहीं नहीं था ।
अब्बासी – हिंदू जब से आया , सत्ता में घुसपैठ कर गया ;
हिंदू फिर से धोखा खाया , हिंदू- सूरज पुनः ढल गया ।
चारों तरफ है रात – अंधेरी , धीरे – धीरे गहराती जाती ;
धीरे – धीरे गले कट रहे , मौत अचानक आती जाती ।
कहीं – नहीं कानून का शासन , पूरा जंगल – राज्य है ;
अब्बासी – हिंदू के कारण , पूरा गुंडा – राज्य है ।
ऐसे ही हालात रहे तो , सब – कुछ चौपट हो जायेगा ;
लाखों वर्षों की महान – संस्कृति , तिरोभाव हो जायेगा ।
अब हमको ही लड़ना होगा , हमको ही धर्म बचाना है ;
जितने भी अब्बासी – हिंदू , हर – चुनाव हरवाना है ।
एक काम सबसे पहले हो , अपने नेता को पहचानो ;
अब तक का इतिहास रहा है , हिंदू-नेता ही दुश्मन मानो ।
हमको नेता ने मरवाया , अब्बासी – हिंदू ने कटवाया ;
सबसे पहला अब्बासी – हिंदू , गांधी ने भारत बंटवाया ।
अब भी सत्ता में गांधी – वादी , अपने गुरु से आगे हैं ;
हिंदू अब-तक पहचान न पाये , कितने बड़े अभागे हैं ?
हिंदू अपनी आंखे खोलो , अपना भला-बुरा पहचानो ;
सोशल-मीडिया ज्ञान का सागर,अब तो सही बात को जानो
हिंदू – धर्म की रक्षा चाहो , अब्बासी – हिंदू को हटाना है ;
सबसे बड़ा धर्म का दुश्मन , अब्बासी – हिंदू को हराना है ।
हर – पार्टी में भरे हुये हैं , सौ में नब्बे अब्बासी – हिंदू ;
हिंदू का ब्रह्मास्त्र है नोटा , नष्ट करो अब्बासी – हिंदू ।
केवल कट्टर हिंदूवादी हों,चाहे निर्दलीय या किसी भी दल के
आंखमूंदकर उन्हेंजिताना,बंधुआ न बनना किसी भी दल के
जितने भी हिंदू – वादी जीतें , मिली – जुली सरकार बनायें ;
धर्म – सनातन के प्रकाश में , देश को हिंदू – राष्ट्र बनायें ।
एकमात्र बस यही मार्ग है , हिंदू – धर्म बचाने का ;
सर्वोत्तम भी मार्ग यही है , कानून का शासन लाने का ।
हिंदू का ब्रह्मास्त्र है नोटा , हर हाल में इसे चलाना है ;
एकमात्र जीवन का मार्ग है , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”