एकमात्र बस मार्ग यही है , भारतवर्ष बचाने का ;
धर्म , राष्ट्र व देश बचाने , शांति – सुरक्षा पाने का ।
सरकारें हों देश – भक्त , राष्ट्र – भक्त व धर्म – भक्त ;
अभी तो अब्बासी – हिंदू हैं , हमें कर रहे पूर्ण – विभक्त ।
वर्ष पिचहतर बीत गये हैं , चलती यही कहानी है ;
सब के सब मक्कार ही निकले , सबकी एक ही नानी है ।
आपस में मौसेरे – भाई , भारत के जितने भी दल ;
परम – स्वार्थी , लोभी , कायर , सड़े हुये सारे दलदल ।
गांधी – नेहरू की कारस्तानी , ऐसा बीज उन्होंने बोया ;
वही फसल फल-फूल रही है , देश ने सारा गौरव खोया ।
गांधी – नेहरू की औलादें , सबकी सब नाजायज हैं ;
महामूर्ख इतना है हिंदू , इनको समझे जायज हैं ।
हिंदू अपने होश संभालो , अक्ल ठिकाने ले आओ ;
धर्म – सनातन कसके पकड़ो , गोलबंद सारे हो जाओ ।
सारे – हिंदू एक बराबर , अपने सारे – भेद मिटाओ ;
“हिंदू-वोटबैंक” निर्मित हो , कट्टर-हिंदू सरकारें लाओ ।
कट्टर – हिंदूवादी दल हो , उसको हाथों – हाथ उठाओ ;
ऐसा ही दल “इकजुट-जम्मू” “इकजुट-भारत” इसे बनाओ ।
अंकुर शर्मा नेतृत्व कर रहे , जम्मू के अधिवक्ता हैं ;
परम – साहसी युवा हैं योद्धा व ओजस्वी – वक्ता हैं ।
सारे – हिंदू करें समर्थन , तन से – मन से व धन से ;
आगामी जितने चुनाव हैं , इन्हें जिताओ बहुमत से ।
प्रथम वरीयता “इकजुट-भारत” वैकल्पिक भी प्लान बनाओ
जहां नहीं समुचित-प्रत्याशी, आंख मूंद “नोटा” ही दबाओ ।
या तो जीते कट्टर – हिंदू , वरना पूरा चुनाव रद्द हो ;
अबकी अगर जो हिंदू चूका , उसका जीवन ही रद्द हो ।
कितने धक्के तुमने खाये ? अब कगार पर खड़े हुये हो ;
एक भी धक्का और पड़ा तो , मौत के मुंह में पड़े हुये हो ।
जीवन और मृत्यु दोनों हैं , हिंदू तेरे – हाथों में ;
हिंदूवादी – सरकार है जीवन , मौत है अब्बासी – हिंदू में ।
अब्बासी – हिंदू मायावी , “कालनेमि” हिंदू – जीवन का ;
हिंदू कदापि न धोखा खाना , ये योग्य नहीं सहजीवन का ।
हिंदू का ब्रह्मास्त्र है “नोटा”, हर हाल में हिंदू इसे चलाओ ;
धर्म, राष्ट्र व देश बचाओ , भारत को हिंदू-राष्ट्र बनाओ ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”,रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”