नागरिक कानून के विरोध में दिल्ली को जलाकर आग की तपिश लेने वाले दंगाइयों को सर्दी का एहसास होते ही ठिठुरन होने लगी है। अदालत इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो जज साहब खुद जेल का निरीक्षण करेंगे। दिल्ली हिंसा के आरोपियों की जेल में बुनियादी सुविधाओं की कमी की शिकायत पर नाराज जज अमिताभ रावत ने कहा है कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो खुद जेल का निरीक्षण करने जाएंगे ।
अदालत ने दिल्ली दंगों में साजिश रचने के 15 आरोपियों में से 7 आरोपियों की ओर से जेल में बुनियादी सुविधाएं जैसे गर्म कपड़े और चप्पल नहीं मिलने की शिकायत को गंभीरता से लिया । अदालत ने कहा कि छोटी-छोटी बातों के लिए आरोपी दर-दर की ठोकर नहीं खा सकते । जज साहब का कहना है कि वे एक सामान्य आदेश जारी करेंगे ,जिसमें जेल निदेशक को तिहाड़ और मंडोली जेल में कैदियों की शिकायतों पर गौर करने के लिए किसी की तैनाती करनी होगी।
एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने कहा कि अगर एक सप्ताह के अंदर कैदियों की शिकायतों का निपटारा नहीं हुआ तो वे खुद जेल परिसर का मुआयना करेंगे दरअसल जैसे ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मंगलवार को सुनवाई शुरु हुई, इशरत जहां और अतहर खान ने कहा कि उनके वार्ड में कोरोना का संक्रमण फैला था और दो कैदियों को अस्पताल में भर्ती किया गया जबकि उनके जेल में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं और उन्हें अपने बैरक से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जाती है।
सुनवाई के दौरान एक आरोपी आसिफ इकबाल तान्हा ने कहा कि जेल प्रशासन उनके साथ भेदभाव करता है। उसे कोर्ट के दस्तावेज नहीं दिए गए और अपने माता-पिता से बात करने की अनुमति नहीं दी गई। दंगा के आरोप में दबोचे गए तान्हा ने कहा कि जब शिकायत करता है तो उससे कहा जाता है कि जेल नेतागिरी की जगह नहीं है। इस पर कोर्ट नाराज हो गई और कहा कि कैदियों को अपनी छोटी-छोटी शिकायतों के लिए दर-दर की ठोकरें नहीं खाने दिया जा सकता। इसके अलावा जिन कैदियों ने कोर्ट के सामने अपनी शिकायतें रखीं उनमें गुलफिशा फातिमा, देवांगन कलीता, मीरान हैदर और शादाब खान आदि शामिल हैं।
गुलफिशा फातिमा ने कहा कि उसने दो महीने पहले उच्च अधिकारियों को एक पत्र लिखा था लेकिन उनका पत्र आगे नहीं बढ़ाया गया। पिंजरा तोड़ की कलीता ने कहा कि उसकी मां द्वारा भेजा गया एक पत्र उसे नहीं दिया गया। इस पर कोर्ट ने कहा कि ये खत्म होना चाहिए । जेल निदेशक को इस पर गौर करना चाहिए और किसी को नियुक्त करें जो कैदियों की शिकायतों का समाधान करे। इसके बाद सुनवाई स्थगित कर दिया गया और अब मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी। गौरतलब हो कि अदालत में 17 सितंबर को चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। जिसके तहत सुनवाई की जा रही है और आरोप पत्र में 24 फरवरी के व्हाट्सऐप चैट का हवाला दिया गया है, जिस दिन उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों की शुरुआत हुई थी।
उस समय मुख्य साजिशकर्ता जमीनी कार्यकर्ताओं को दिशानिर्देश जारी कर रहे थे। दंगे के साजिशकर्ताओं ने व्हाट्सऐप के जरिये सीलमपुर और जाफराबाद में हिंसा को भड़काने का काम किया जबकि 25 स्थानों पर विरोध प्रदर्शनों के लिए 25 व्हाट्सऐप ग्रुप बनाए गए थे । साजिशकर्ता ये जताने की कोशिश कर रहे थे कि वे नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में होनेवाले प्रदर्शनों के ग्रुप से जुड़े हैं लेकिन इन ग्रुप के जरिये वे हिंसा को भड़काने के लिए लोगों को उकसा रहे थे। इसका खुलासा पुलिस ने आरोप पत्र में किया है।
ज्ञात हो कि स्पेशल सेल ने ताहिर हुसैन को मुख्य आरोपी बनाया है और उसके अलावा मोहम्मद परवेज अहमद, मोहम्मद इलियास, खालिद सैफी, शादाब अहमद, नताशा नरवाल, देवांगन कलीता, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान आदि के नाम शामिल हैं। आपको पता ही होगा कि इसी साल फरवरी में हुए दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और काफी लोग घायल हुए थे । इसके अलावा शरजील इमाम और उमर खालिद को आरोपी बनाया गया है और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है इन आरोपियों से संबंधित पूरक आरोप पत्र दाखिल किया जाना बाकी है।