जब RTI लगा कर यह पूछा गया कि इसका संदर्भ (सबूत) दीजिए तो NCERT ने कहा, इसके श्रोत का हमें भी पता नहीं है। यानी NCRT की पुस्तकों में तथ्य नहीं, लाल लंपटों की बकैती है, यह स्वयं NCERT मान रहा है।
आजादी के बाद से ‘लाल टिड्डे इतिहासकारों’ के लिखे इसी तरह के गलत इतिहास को पढ़ाया जा रहा है, और यही झूठ पढ़ा कर तथाकथित सेक्यूलर नौकरशाही तैयार की जा रही है।
राम मंदिर पर भी कोर्ट में कम्युनिस्ट इतिहासकार अपने लिखे झूठ का संदर्भ नहीं दे पाए थे। अदालत ने इनके लिखे इतिहास को तथ्य नहीं, विचार कहा था।
दुख तो तब होता है जब छह साल से केंद्र में एक राष्ट्रवादी सरकार है, लेकिन वह भी NCERT की पुस्तकों को री-राइट नहीं करा पाई है।
जबकि 2004 में जब माईनो की ‘पेटीकोट सरकार’ आई थी, और जिसके पास मोदी सरकार से काम सीटें थी, आते ही उसके मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने तीस्ता सीतलवाड़, योगेन्द्र यादव जैसों को बैठाकर NCERT की गलत पुस्तकें लिखवा भी दिया और कोर्स में लगवा भी दिया था।
मोदी सरकार के पिछले मानव संसाधन मंत्री ने तो गर्व से यह तक कह दिया था कि हमने इतिहास की पुस्तकों का एक पन्ना तक नहीं बदला है।
जनता भाजपा को सीट दे सकती है, लेकिन जनता भाजपा नेताओं अंदर इतिहास की अज्ञानता से उत्पन्न खोखलेपन और लाल लंपटों से उत्पन्न भय को दूर तो नहीं कर सकती है न?
पढते और पढ़ाते रहिए गलत इतिहास, क्योंकि झूठ की बुनियाद पर गढ़े गये सेक्यूलर अवधारणा को कोई चोट पहुंचाना नहीं चाहता!
पोलिटिकल करेक्ट होने की बीमारी ने इन देश और इस देश की न जाने कितनी पीढ़ियों का सर्वनाश कर डाला है!