अयोध्या के राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के बाद कुछ मीम संगठनो ने चिल्लाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसलामी नमाज के लिए मसजिद को गैर जरूरी बताकर ठीक नहीं किया है। लेकिन इन मीमों को कौन समझाए कि, जिस मक्का और मदीना को वे जन्नत जाने का द्वार समझते हैं, जिसे इसलाम का मूल केंद्र मानते हैं, वहां भी नमाज के लिए मसजिद को अनिवार्य नहीं माना जाता है। वहां तो विकास में अड़चन आने पर काबा की ऐतिहासिक मसजिद को शिफ्ट किया जा रहा है! ताजा उदाहरण मक्का के काबा का है। काबा वही बिंदु जिसके उन्मुख होकर मुसलमान अपनी नमाज अदा करते हैं। मक्का स्थित काबा को भी नहीं बख्सा गया है। उसे भी अपनी मूल जगह से विस्थापित करने की योजना है। जबकि उस जगह को मोहम्मद पैगंबर का कब्र माना जाता है।
इसलिए ये लोग मजहब की बात नहीं करें तो बेहतर है। हां ये बात दीगर है कि वोट बैंक बनने को लालायित किसी खास राजनीतिक दल के झांसे में आकर बवाल करे तो यह बात अलग है। अन्यथा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मजहब की आड़ में गलत ठहराना देश के कानून के साथ खिलवाड़ करना है। जबकि सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली बेंच ने अपने फैसले में साफ कहा है कि यह बिल्कुल लैंड डिस्प्यूट है और उसे इसी रूप में लिया जाएगा। ये समझ में ही नहीं आता कि जब इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जिस विवाद को महज लैंड डिस्प्यूट मान रहा है उसे कुछ मजहबी संगठन के साथ कांग्रेस पार्टी और वामपंथी मजहबी रंग देने में क्यों तुली है। इससे तो साफ हो जाता है कि सुप्रीम कोर्ट पर बखेरा करने वालों को न तो कानून का ज्ञान है न ही मजहब और आस्था का। ये लोग सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले को सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक के चश्मे से देख रहे हैं।
ऐतिहासिक मसजिद मक्का के ध्वस्त होने की गबाही दे रहीं ये तस्वीरें
मुख्य बिंदु
* सऊदी अरब ये तस्वीरें दुनिया को नहीं दिखाना चाहती ताकि उनकी पोल न खुल जाए
* पुरातत्वविदों को डर है कि कहीं करोड़ों रुपये के विकास की वजह से कहीं ऐतिहासिक स्थलों का विनाश न हो जाए
सऊदी अरब सरकार अरबों रुपयों के विवादित विकास के नाम पर इसलाम के सबसे प्रमुख मसजिद से जुड़े सबसे पुराने भाग को ध्वस्त करने पर तुला है। सरकार द्वारा ध्वस्त किए जा रहे मसजिद के भाग की कई तस्वीरें सामने आकर गबाही दे रही हैं लेकिन सरकार उसे दिखाना नहीं चाहती है। मसजिद के अंदर की तस्वीरें जो बाहर आई हैं उस से साफ दिखता है कि किस प्रकार मक्का मसजिद के पूर्वोत्तर भाग को गिराया जा रहा है। जिस इमारत को ध्वस्त किया जा रहा है वह सबसे पवित्र स्थल माना जाता है क्योंकि इसी इमारत में काबा है। काबा वहीं बिंदु है जिसकी ओर खड़ा होकर मुसलमान अपनी नवाज अदा करते हैं।
मक्का मसजिद को ध्वस्त किए जाने वाली तस्वीर कुछ सप्ताह पहले की है। इन्हीं तस्वीरों को देखने के बाद ही वहां के पुरातत्वविदों के होश उड़ा दिए हैं। उन्हें डर है कि कहीं विकास के नाम पर इस ऐतिहासिक स्थल का विनाश न कर दिया जाए। उनके इस भय को तब और बल मिला जब ऐतिहासिक आर्किटेक्चरल विरासत को बचाने के लिए प्रसिद्ध प्रिंस चार्ल्स के दौरे के दौरान मक्का में चल रहे विकास के विरोध करने वाले सात लोगों को गोली मार दी गई। बताया गया है मारे गए सारे किशोर अवस्था के थे।
मक्का में कई ऐसे स्तंभ हैं जिनपर अरबिक के सुनहरे अक्षरों में पैगंबर मुहम्मद के साथी और उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को अंकित और चिन्हित किया गया था। माना जाता है कि उसमे से एक स्तंभ जो नीचे गिर गया था उसे चिह्नित किया जाना है। इस स्तंभ के बारे में मुसलमानों का मानना है कि मुहम्मद ने एक घोड़े पर यहीं से अपनी जन्नत की यात्रा शुरू की थी, जो उन्हें एक ही रात में जन्नत पहुंचा आया था।
दुनिया के मुसलमानो के लिए मक्का और मदीना इतना पाक स्थल है कि साल दर साल यहां आने वालों की संख्या बढ़ती ही जाती है। इसलिए यहां आने वाले श्रद्धालुओं को समाहित करने के लिए सऊदी अरब सरकार बड़े स्तर पर विस्तार की योजना चला रहे हैं। इन दोनों पवित्र मसजिदों की क्षमता बढ़ाने के लिए सऊदी अरब सरकार को दुनिया भर से करोड़ो रुपये की राशि दान में मिलते हैं। कहा जाता है कि यह वही पवित्र जगह है जहां मोहम्मद पैगंबर को दफनाया गया था। मक्का और मदीना में पवित्र मसजिदों वाले इलाके को बढ़ाने का काम सऊदी अरब के राजा अब्दुल्लाह ने अब्दुल रहमान अल सुडियास जैसे विशाल मसजिद के प्रमुख वहावी मौलबी और इमाम को यह दायित्व सौपा है। वहीं इसका कंस्ट्रक्शन कंन्ट्रैक्ट सऊदी अरब की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार बिनलादिन समूह को मिला है।
वैसे दोनों मसजिदों के विस्तार की जरूरत को लेकर आपस में ही असहमति है। आलोचकों ने सऊदी अरब की सरकार पर इसलाम के दो सबसे पवित्र शहरों की पुरातात्विक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। पिछले एक-आध दशक में मक्का को एक धूलदार रेगिस्तानी तीर्थस्थल वाले शहर को गगनचुंबी चमचमाती इमारतों के एक महानगर में बदल दिया है। मसजिदों के चारो ओर टॉवर और शॉपिंग मॉल, लक्जरी अपार्टमेंट और पांच सितारा होटलों का अंबार खड़ा कर दिया है।
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साभार: independent.co.uk
URL: The main center of Islam, Mecca, does not believe that mosque is necessary for Islam
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