विपुल रेगे। मंगलवार शाम ख्यात गायक केके जब कोलकाता में परफॉर्मेंस दे रहे थे तो कोई नहीं जानता था कि अपने प्रशंसकों के साथ वे आखिरी शाम साझा कर रहे हैं। केके के प्रशंसक मानते हैं कि उनकी आवाज़ में वही ईश्वरीय स्पर्श था, जो किशोर और लता की आवाज़ में मिलता था। दुनियावी परेशानियों से जूझते लोगों को केके की आवाज़ एक संबल देती थी। केके अपने पीछे अपने खूबसूरत गीत छोड़ गए हैं। वे गीत अब उनकी लयकारी के हस्ताक्षर बनकर रहेंगे। वे गीत हमें बहलाते रहेंगे, वे गीत जीवन संघर्ष में हमें प्रेरित करते रहेंगे।
नब्बे के दशक में हिन्दी फिल्म संगीत में कई ख़ूबसूरत आवाज़े पटल पर उभर कर आई। उनमे से एक शीरी आवाज़ केके की थी। केके की राह शुरुआत में सुगम नहीं थी। उन्हें कई वर्ष विज्ञापनों के लिए ज़िंगल्स गाने पड़े थे। पहला ब्रेक विशाल भारद्वाज ने सन 1996 में गुलज़ार की फिल्म माचिस के लिए दिया था। माचिस में उन्होंने दिग्गज गायकों हरिहरन और सुरेश वाडकर के साथ पहला गीत गाया, गाने के बोल थे ‘छोड़ आए हम वे गलियां।
आसान नहीं था ऐसे स्थापित गायकों के साथ अपनी गायकी को उस स्तर पर ले जाना। हालांकि केके ने इन दोनों के साथ जो गाया, वह आज तक सुना जाता है। सन 1999 में संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ के लिए संगीतकार इस्माइल दरबार ने केके से एक गीत गवाया। ‘तड़प-तड़प के इस दिल से’ गीत के बाद केके को बॉलीवुड में वह स्थान मिल गया, जिसके लिए वे वर्षों से संघर्षरत थे।
उसके बाद केके के जीवन में सभी चीजे ठीक होने लगी। अब उनके पास पैसा आने लगा था। 1991 से पहले के वे दिन संघर्ष के दिन थे। केके को मुफलिसी के दिनों में ज्योथि कृष्णा से प्रेम हो गया। ज्योथि के पिता चाहते थे कि केके कोई नौकरी करे, तभी उनकी शादी हो सकती है। ज्योथि को पाने के लिए उन्होंने एक सेल्स जॉब किया। मन से कलाकार केके ने तीन माह में ही वह नौकरी छोड़ दी थी। उसके बाद के सालों में पत्नी ने केके का उनके संघर्ष में पूरा साथ दिया।
हर गायक की कुछ विशेषताएं होती हैं। केके की सबसे बड़ी विशेषता थी कि उनकी आवाज़ किसी भी कलाकार पर सूट हो जाती थी। उन्होंने कभी शास्त्रीय संगीत नहीं सीखा था लेकिन उनकी हाई पिच सुनकर ऐसा लगता था कि उन्होंने बाकायदा संगीत की शिक्षा ग्रहण की है। केके की कला ईश्वर प्रदत्त थी और उन्होंने बड़े जतन से उसे संवारा था। उन्होंने हर तरह और हर मूड के गीत गाए हैं। केके ने प्रेरणादायी गीत भी गाए हैं, जो बहुत पसंद किये गए।
नागेश कुकनूर की फिल्म इकबाल के लिए केके ने ‘आशाएं’ गाया। ये गीत उस दौर में एक प्रेरक गीत बनकर उभरा। उनके रोमांटिक गीत भी कम सफल नहीं रहे। ओम शान्ति ओम फिल्म में उन्होंने ‘आँखों में तेरी अजब सी अदाएं’ गाया। ये गीत उस फिल्म का सबसे हिट गाना था। केके की गीतों में भावनाएं चरम पर उभर कर आती थी। ऐसा क्यों होता था, इसका जवाब कोई नहीं जानता। यही बात किशोर कुमार के गीतों में होती थी।
आज सुबह से नब्बे के दशक का एक गीत सुन रहा हूँ। 1999 में फिल्म ‘रॉकफोर्ड’ के लिए उन्होंने एक गीत गाया। ‘यारो दोस्ती बड़ी ही हसीन है’ अपने शब्दों और संगीत के कारण बड़ा ही लोकप्रिय हुआ था। मित्रता पर आधारित इस गीत का फिल्मांकन इतना सुंदर है कि आज भी प्रासंगिक सा लगता है। ये गीत केके का सिग्नेचर गीत है। इस गीत में वे आत्मा के साथ प्रस्तुत हुए हैं। मुझे लगता है वैतरणी की कठिन यात्रा में केके के गाए सुरीले गीत उनके लिए पंख बन जाएंगे। एक कलाकार की मृत्यु पार यात्रा उन पंखों पर ही होती होगी, जो प्रशंसकों के अपरंपार प्रेम से उग आते हैं।