चेतन उपाध्याय। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक ध्वनि प्रदूषण इंसान की नींद और स्वास्थ्य पर गहरा असर करता है और लोगों की उम्र को कम कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक रात 8 घंटे की गहरी नींद, हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और इस दौरान किसी भी किस्म का हॉर्न, हूटर, घंटा, बैंड-बाजा, पटाखा, लाउडस्पीकर, डी.जे., मशीन, पावरलूम या निर्माण गतिविधि के शोर पर पूर्ण प्रतिबंध है. दोषी को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत ₹1,00,000 तक जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है. पूर्व में उपरोक्त अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश के तमाम पुलिस थानों में मुकदमे दर्ज हुए हैं.
मगर कई बार बड़ी-बड़ी एजेंसियाँ भी देश के कानून का पालन करने में चूक जाती हैं और पिसती व बीमार होती है आम जनता. गत रात्रि, बनारस में रोपवे निर्माण के तहत, लक्सा इलाके में होटल हरिकुंज के सामने, होटल ओ.के. इंटरनेशनल से सटे हुए, हाल ही में ज़मींदोज हिस्से पर, रात 10 बजे के बाद भी मशीनों का कर्कश शोर जारी था. आसपास के घरों और होटल आदि के निवासी बुरी तरह से परेशान थे.
भारत देश के उपरोक्त ध्वनि प्रदूषण नियम का हवाला देते हुए, शोर के खिलाफ अभियान चलाने वाली संस्था, ‘सत्या फाउंडेशन’ के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय ने वीडियो बनाकर, शनिवार-रविवार के बीच की रात, पुलिस को एक्स पर शिकायत भेजी कि:
वाराणसी में लक्सा थाना अंतर्गत होटल हरि कुंज के ठीक सामने, रात 10 से सुबह 6 बजे के प्रतिबंधित समय में, रोपवे स्टेशन निर्माण कार्य से आसपास के लोग सो नहीं पा रहे हैं. कृपया विधिक कार्रवाई करें.
यह शिकायत मिलने के कुछ ही मिनट में मौके पर पहुंची पुलिस ने निर्माण कार्य को बंद करा दिया. रात के सन्नाटे में चिंघाड़ती हुई मशीनों के शांत होने के साथ ही, वातावरण में शांति आ गयी और आसपास के लोग पुलिस विभाग को धन्यवाद देते हुए, चैन की नींद सो पाए.
अगर आप भी ध्वनि प्रदूषण से परेशान हैं तो पुलिस के 112 नंबर पर अपना नंबर गुप्त रखने की शर्त पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. पुलिस दिन में ध्वनि स्तर को कम कराती है और रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक पूरी तरह से, स्विच ऑफ का नियम है.