मैं इतने समय से सबको समझा रहा हूं कि अब्राहमिक एकॉर्ड के अंतर्गत पश्चिमी मजहब भारत के बाबाओं, नेताओं, प्रभावशाली व्यक्तियों, अभिजात्यों, स्वयंसेवी संस्थाओं और राजनीतिक पार्टियों को जमकर फंड करता है, जिनका काम हिंदुओं को भ्रमित कर सनातन धर्म को ‘पोप’ और ‘पॉप कल्चर’ में कन्वर्ट करना है ताकि अब्राहमिकों के ‘कयामत’ की अवधारणा फलीभूत हो सके। जब तक पृथ्वी पर एक भी ‘काफिर’ (मूर्ति पूजक) है पश्चिम के तीनों रिलीजन का कयामत घटित नहीं होगा।
‘अब्राहमिक कयामत’ के सिद्धांत की राह में सनातन धर्म और उसमें भी मूर्ति पूजा सबसे बड़ी बाधा है! जिनको मेरी बात पर विश्वास न हो वो ‘यहूदी डॉक्ट्रिन’ पढ़ ले!
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महाशिवरात्रि पर ‘अली मौला’ पर नाचते सद्गुरु, ‘बाबा फरीद’ के बारे में बताता गायक: वीडियो देख लोगों ने पूछा – ‘पीर फकीर बनने की तैयारी?’
ऑप इंडिया। तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित ‘ईशा योग सेंटर’ में ‘आदियोगी’ की प्रतिमा के पास पिछले कुछ वर्षों की तरह इस बार भी महाशिवरात्रि के अवसर पर रात भर भव्य कार्यक्रम चला। ‘सद्गुरु’ नाम से पुकारे जाने वाले जग्गी वासुदेव के इस कार्यक्रम में न सिर्फ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया, बल्कि ऑनलाइन भी लाखों लोग इससे जुड़े रहे। इस अवसर पर कई बड़े गायकों ने भक्ति गानों पर परफॉर्मेंस दिया। लेकिन, एक वीडियो में ‘अली मौला’ पर नाचते सद्गुरु को देख कर लोग खुश नहीं हैं। सद्गुरु ने इस कार्यक्रम के जरिए ‘Save Soil (मिट्टी बचाओ)’ का सन्देश भी दिया।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव के महाशिवरात्रि के कार्यक्रम में गायक को देखा जा सकता है कि वो ‘इक विरद है दम दम अली अली’ गाना गा रहा है और साथ ही ‘जय शम्भू’ का उद्घोष भी कर रहा है। इसके बाद वो गाता है, “सखी लाल कलंदर मस्त-मस्त, झूलेलाल कलंदर मस्त-मस्त”। हालाँकि, लोगों का कहना है कि हिन्दुओं के त्योहार में ‘दम मस्त कलंदर मस्त-मस्त’ का क्या काम? एक ट्विटर यूजर ने इसे ‘नॉनसेंस’ करार दिया। फिर लोग ये भी पूछ रहे हैं कि महाशिवरात्रि में ‘बाबा फरीद’ कहाँ से आ गए?
इस वीडियो में एक गायक गाना गाते-गाते बीच में समझता है कि कैसे ‘बाबा फरीद’ के शरीर को नोच-नोच के कौवे खा रहे थे। गायक बताता है, “बाबा फरीद कह रहे हैं कि सारा शरीर खा लो, लेकिन ये दोनों आँखें मत खाना। क्यों?” इसके बाद वो गाना के माध्यम से ही इसका जवाब देता है। ‘हीर आर’ नाम के ट्विटर यूजर ने इसे साझा करते हुए पूछा, “ये महाशिवरात्रि है या कॉन्सर्ट? एक अन्य वीडियो में लोग सद्गुरु को ‘अली मौला-अली मौला अली-अली’ पर खुल कर नाचते देख कर नाराज़ हैं।
वहीं ‘इंडिक टुडे’ के कंसल्टिंग एडिटर ‘मनीष (Shrimaan)’ ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “सदगुरु बाबा पीर फकीर बुल्लेशाह निज़ाम शाह बनने की तैयारी में।” वहीं कुछ लोगों ने कहा कि सद्गुरु जग्गी वासुदेव अब सेक्युलर होने की राह पर निकल गए हैं। आकाश जायसवाल नाम के ट्विटर यूजर ने दावा किया कि सद्गुरु अब ‘अर्बन नक्सल सेक्युलर गुरु’ बनते जा रहे हैं। वहीं एक अन्य यूजर ने याद दिलाया कि पिछले साल उन्होंने चप्पल पहन कर धार्मिक प्रक्रियाएँ की थीं।
sir please know the point of view of sadguru before accusing him. Please invite STRING youtube channel’s vinod sir for an interview and he will definite tell you many things about SADHGURU.
Please I request you to have an interview. We need communication between us. If we go on accusing our own people then no onw will be left for the development of Hinduism .
We don’t need such saint who crazily dances on “Ali Moula” on the occasion of very big Santana festival Maha Shivratri. He is just another Dinaari Baba like Morari Bapu driven by Arabic countries