नारीवाद Vs नारी शोषण वाले कल के #FBLive के बाद जो लोग ‘वामाचार’ और वज्रयानी तंत्र साधना पर और जानने के लिए मुझे मैसेज कर रहे हैं, उनसे अनुरोध है कि प्लीज ‘राज-योगी: गोरखनाथ से आदित्यनाथ तक’ आपके लिए ही लिखा है, उसे पढ़िए!
गोरखनाथ के गुरू मछेंदरनाथ को ‘कौल-योगिनी साधना’ का जन्मदाता माना जाता है। अपने ज्ञान को भूलकर वह कामरूप में वासना और काम के अधीन होकर स्त्रियों संग भोग लिप्सा में लिप्त हो गये थे, फिर गोरखनाथ उन्हें सन्मार्ग पर लेकर आए।
मछेंदरनाथ ने पुरुष शुक्र और स्त्री रज के मिलन (कौल साधना विधि) से जिस परम तत्व को पाने का मार्ग खोजा, उनके शिष्य गोरख ने सुसुप्त कुंडलिनी को जगाकर सहस्रार में ले जा, शिव-शक्ति के मिलन को अपने ही शरीर में संभव बना दिया।
एक स्त्री के अंदर उसके भीतर का पुरुष और एक पुरुष के अंदर उसके भीतर की स्त्री सजग हो जाए तो फिर ‘मैथुन’ के लिए किसी बाहरी स्त्री-पुरुष की आवश्यकता नहीं रह जाती! गोरख ने योग मार्ग से इसे संभव बनाया और कौल तंत्र साधना के नाम पर चल रहे स्त्री शोषण पर कड़ा प्रहार किया।
आधुनिक समय में इस विस्मृत ज्ञान को ही ओशो ने ‘संभोग से समाधि तक’ के जरिये फिर से संसार को याद दिलाया।
मैंने राज-योगी में उस काल की कथा-कहानियों के जरिये उस तंत्रवाद के नाम पर चले वामाचार को बेहद सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया है। मेरे कई पाठकों के अनुसार, “हाल-फिलहाल हिंदी की शायद ही कोई पुस्तक है, जिसने उस काल में पहुंच कर तंत्र को इस तरह से समझाया हो!”
तो पूछने से अच्छा है आप पढ़ें, क्योंकि गोरख ने कहा है- ‘ज्ञान सरीखा गुरू ने मिल्या’। ज्ञान से बड़ा कोई गुरू नहीं और आधुनिक काल में पुस्तक से बड़ा, ज्ञान तक पहुंचने का कोई दूसरा मार्ग नहीं! अलखनिरंजन!
#संदीपदेव #SandeepDeo
#राजयोगी #योगी #RajYogi #Yogi https://www.amazon.in/Raj-Yogi-Gorakhnath-Adityanath-Tak/dp/9386606453