“भविष्य-मालिका” भविष्य का दर्शन (भाग-5)
भ्रष्टाचारिस्तान बन चुका , जो था पहले हिंदुस्तान ;
भ्रष्टाचार सरकारी मजहब और यही है संविधान ।
भ्रष्टाचार की नदियां मिलतीं , नेता-अफसर डुबकी मारें ;
भ्रष्टाचार का महाकुम्भ है , दबकर मरते हिंदू-बेचारे ।
नब्बे-प्रतिशत से भी ज्यादा , गलत-मार्ग दिखलाते बाबा ;
धर्म का कोई ज्ञान नहीं है , हिंदू ! को भटकाते बाबा ।
अच्छे-लोगों का जीवन मुश्किल , गिरोहबन्द खुशहाल हैं ;
म्लेच्छ और सरकारी – हिंदू , हिंदू के ये काल हैं ।
कानून का शासन खत्म हो चुका , गुंडा-शासन कायम है ;
भले-लोग कर रहे खुदकुशी , हिंदू का दर्जा दोयम है ।
जो भी शांति से जीना चाहें , देश छोड़ते जाते हैं ;
अब तक लाखों छोड़ चुके हैं , साधनहीन न जा पाते हैं ।
कानून – व्यवस्था ध्वस्त है पूरी , अपराधी बेखौफ हैं ;
पुलिस से केवल भले ही डरते , उनके भीतर ही खौफ है ।
अंधेरी – नगरी का चौपट – राजा , पूरा – देश मिटा देगा ;
अब्राहमिक – एजेण्डा इसका , गजवायेहिंद करा देगा ।
तेजी से घट रहा है हिंदू , म्लेच्छों की आबादी बढ़ती ;
उनकी घुसपैठ करायी जाती , हिंदू-जनता के गोली पड़ती ।
गौ – हत्यारों को संरक्षण , गौ – रक्षक मारे जाते ;
डोजियर उनके बनते हैं , गौ-माता को जो भी बचाते ।
गौ – भक्षक की होती रक्षा , उनकी पूर्ण सुरक्षा है ;
तथाकथित हिंदूवादी दल , उसकी यही तो इच्छा है ।
राष्ट्रीय-मंच उनका बनता है , क्योंकि डीएनए मिलता है ;
मंदिर – मूरत तोड़ने वाला , हृदय – सम्राट वही बनता है ।
हिंदू की पूरी बुद्धि उलट है , अपने हत्यारे को रक्षक मानें ;
धर्महीन – अज्ञानी हिंदू , सच्चाई को कभी न जानें ।
जो सच्चाई से आंख मूंदता , वो अंधों से बढ़कर है ;
असमय मृत्यु मिलेगी ऐसी , जोकि नर्क से बदतर है ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , मृत्यु-मार्ग पर क्यों चलते हो ?
मूल्यवान तेरा जीवन है , इसे व्यर्थ क्यों करते हो ?
लोक और परलोक ये दोनों , हिंदू ! अपना नष्ट कर रहा ;
अब्बासी-हिंदू नेता के पीछे , धर्म-सनातन भ्रष्ट कर रहा ।
मंदिर तोड़ने वाले नेता , क्या कभी भी तेरे हो सकते हैं ?
तुष्टिकरण बढ़ाने वाले , केवल धर्म मिटा सकते हैं ।
भविष्य मालिका भविष्य का दर्शन,सब बातें सच होती दिखतीं
धर्म भूलने वाला हिंदू ! बुरी मौत उसकी दिखती ।