संदीप देव। भगवान विष्णु की आराधना कीजिए। विश्वास कीजिए सत्य कहने की ऐसी शक्ति आ जाएगी कि आपको स्वयं पर कई बार आश्चर्य होगा।
हम सभी ने ‘यह उसे अच्छा नहीं लगेगा’, ‘यह इसे अच्छा नहीं लगेगा’; जैसी व्यर्थ की बातों में अपनी अत्मा को सुनना बंद कर दिया है!
हम ऊपर से नीचे तक ‘मन ही मन’ हो चुके हैं। इस मन के बोझ से आत्मा दबती चली जाती, और जब तक आत्मा स्वतंत्र नहीं होगी आपके जन्म-मरण का आवगमन नहीं छूटेगा।
आप कई जन्मों से दूसरों की प्रसन्नता के लिए जीते चले आ रहे हैं, भले वह दूसरा आपको पूछता भी न हो!
इस जन्म में तो स्वयं को सुनने का अभ्यास साधिए! फिर देखिए चमत्कार! कल-कल करते जल की भांति स्वतंत्र होने की अनुभूति आपको क्या से क्या बना देगी?
एक ही मंत्र है: मन की नहीं आत्मा की सुनिए। आत्मा ही धर्म की प्रथम लौ है! वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् 🙏