आप नियमित ओंकार मंत्र का जाप (अभ्यास) कीजिए। यह मन से मुक्ति की आपकी यात्रा को प्रशस्त करेगा। मैं यह स्वयं के अनुभव से बता रहा हूं।
एक समय ऐसा आएगा कि आपके अंदर से मंत्र की ध्वनि आपको सुनाई देने लगेगी। आपको स्वप्न आना बंद हो जाएगा। एक ऐसी अवस्था आएगी जिसे सुषुप्तावस्था कहते हैं। यह सोए में भी साक्षित्व का अनुभव है।
मंत्र तब भी आपके अंदर चलते रहते हैं, और आप उसे सुन रहे होते हैं। इस अवस्था में न तो आप सोए हैं, न जगे हैं, बस साक्षी हैं।
और सुबह जब आप उठेंगे तो एकदम तरोताजा महसूस करेंगे। अपने अनुभव से मुझे समझ में आया है कि हमारे ऋषि मुनियों ने मंत्र जैसी शक्ति हमें क्यों दी। मन की शून्यता में ही परमात्मा उतरता है। जयश्री कृष्ण
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