शाहीन बाग से बत्ती बुझ गयी, फिर वो अब तक नहीं जली;
धूल में मिल गई इज्जत सारी , अब तक थी जो तुझे मिली।
तेरी ही है ये कमजोरी , दिल्ली बॉर्डर में सीनाजोरी ;
कदम – कदम तू पीछे हटता , पीठ दिखाता रहता पूरी ।
केवल हिंदू को सीधा पाकर , तू अपनी मनमानी करता ;
आरक्षण से उन्हें तोड़ता और कभी मंदिर तुड़वाता ।
मंदिर पर सरकारी कब्जा , सारा हिंदू धन लुटवाता ;
थोड़ा बहुत हिंदू को देकर , बाकी गुंडों में बंटवाता ।
हिंदू गौरव को तोड़ रहा है , उनको झूठा इतिहास पढ़ाता ;
गुंडों का महिमामंडन है , एएमयू में यही बताता ।
स्टॉकहोम सिंड्रोम से पीड़ित , शाहीन बाग का ट्रामा है ;
तेरे किये अब कुछ न होगा , करता केवल ड्रामा है ।
सदियों से लुट रहा है हिंदू , अब तो उस पर रहम करो ;
हिंदू होकर मंदिर तुड़वाता , अब तो फौरन बंद करो ।
राष्ट्र का सबसे बड़ा जो दुश्मन , तुष्टीकरण बढ़ाता जाता ;
अल्पसंख्यकवाद से करे मोहब्बत , राष्ट्रवाद घटता जाता ।
घड़ा पाप का भरता जाता , अबकी बार फूटना है ;
भेद तेरा खुल चुका है सारा , अबकी नहीं जीतना है ।
राजनीति से तेरी विदाई , अपमानित होकर ही होगी ;
इससे बेहतर अभी चला जा , थोड़ी कम रुसवाई होगी ।
सिद्धांत कर्म का सदा अटल है , कोई नहीं बदल सकता ;
जिसको गड्ढे में गिरना है , कोई नहीं रोक सकता ।
जाग रही है राष्ट्र की किस्मत , सोशल मीडिया आया है ;
जो इतिहास छिपा था अब तक , उसे सामने लाया है ।
हर पापी की काली करनी , सामने सबके आती है ;
झूठे -इतिहास की काली- छाया , हरदम काम न आती है ।
जान रहा है सत्य को हिंदू , इसी से हिंदू जाग रहा है ;
वामी, कामी, धिम्मी साजिश, सभी को हिंदू जान रहा है ।
तेरे मन की सच्ची बातें , उन्हें भी हिंदू जान चुका है ;
अबकी चुनाव में क्या करना है? इसे भी हिंदू ठान चुका है ।
सच्चा हिंदू वादी दल ही , अबकी सत्ता पायेगा ;
सारा अत्याचार मिटाने , हिंदू – राष्ट्र बनायेगा ।
राष्ट्र फंसा है जिस दलदल में , उससे बाहर लाना है ;
“एकजुट-जम्मू”” एकजुट- हिंदू”” एकजुट-भारत” आना है ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता: ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”