भीमा कोरेगांव हिंसा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की साजिश के आरोप में गिरफ्तार अर्बन नक्सलियों वर्णन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा तथा सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। पुणे सेशन कोर्ट ने इन लोगों की जमानत अर्जी खारिज करने के साथ ही इन अर्बन नक्सलियों के प्रति दिल्ली हाईकोर्ट की मंशा को भी उजागर कर दिया है। यह वो अर्बन नक्सली हैं जिनकी गिरफ्तारी को नजरबंद में बदलने में दिल्ली हाईकोर्ट के जज मुरलीधर ने थोड़ी भी देर नहीं लगाई थी। हालांकि जज का निर्णय था इसलिए सबको मान्य भी हुआ लेकिन इस सवाल का जवाब आज तक नहीं मिल पाया है कि जब पुणे पुलिस ने इतने संगीन आरोपों के तहत इन लोगों को गिरफ्तार किया था तो फिर उन्हें नजरबंद करने का फैसला देने का औचित्य क्या था? पुणे सेशन कोर्ट ने उसी मामले में वर्णन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा तथा सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका खारिज कर दिल्ली हाईकोर्ट के जज मुरलीधर राव की नीयत के खोट को भी उजागर कर दिया है।
Pune Sessions Court has rejected bail plea of Vernon Gonsalves, Arun Ferreira and Sudha Bhardwaj, accused in Bhima Koregaon violence case. All three are presently under house arrest which is ending today.
— ANI (@ANI) October 26, 2018
मुख्य बिंदु
* पुणे सेशन कोर्ट ने वर्णन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा तथा सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका खारिज की
* गिरफ्तारी के तुरंत बाद ही दिल्ली हाईकोर्ट के जज मुरलीधर ने सभी पांचों आरोपियों अपने घरों में नजरबंदी का आदेश दे दिया था
गौरतलब है कि इसी साल की शुरुआत में भीमा कोरेगांव हिंसा हुई थी तथा एक अर्बन नक्सल के घर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरह हत्या करने की साजिश का खुलासा हुआ था। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुणे पुलिस ने देश के कई शहरों में छापेमारी कर कुल 10 अर्बन नक्सलियों को गिरफ्तार किया था। उन्हीं गिरफ्तार नक्सलियों में वर्णन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा तथा सुधा भारद्वाज शामिल थीं।
आज जब उनकी नजरबंदी की अवधि खत्म हो रही थी उन लोगों ने पुणे सेशन कोर्ट में अपनी जमानत के लिए याचिका दायर की थी। अपने घरों में नजरबंद नक्सलियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए पुणे सेशन ने कहा कि आरोपियों और माओवादियों के बीच संपर्क के साक्ष्य मिले हैं। कोर्ट ने 20 सितंबर को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। पुणे पुलिस ने इन आरोपियों को 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था। ये लोग तभी से अपने घरों में नजरबंद हैं।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील तुषार मेहता ने आरोपियों की ओर से दायर याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जिन्होंने याचिका दायर की है उनका इस मामले से न तो कोई लेना देना है न ही कोई जानकारी है। इसके साथ ही मेहता ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ जो दस्तावेज मिले हैं वे उन्हें दोषी ठहराने के लिए काफी हैं। कोर्ट में वकील ने इन तीनों पर देश की शांति भंग करने का भी आरोप लगाया।
URL: The Pune Sessions Court rejected bail plea of Vernon Gonsalves and Other Urban Naxals
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