
राष्ट्रीय जांच एजेंसी के पकड़ में आएंगे असली गुनाहगार, मनसुख मौत मामले की जांच भी एनआईए को दिया गया !
Archana Kumari. एंटीलिया केस में अंतरराष्ट्रीय साजिश है या फिर किसी सफेदपोश की शह पर गैंग्स ऑफ बजे का कारनामा, इसका पता राष्ट्रीय जांच एजेंसी को अभी तक नहीं चल पाया है।
अब तक यह भी साफ नहीं है कि विस्फोटक लदी स्कॉर्पियो को खड़ी करने का ठोस मकसद क्या था । क्या इस घटना के सहारे मुंबई में पूर्व में हुए बम विस्फोट जैसे हालात पैदा करना था या फिर मोटी उगाही के लिए पृष्ठभूमि तैयार की गई थी।
अंधेरे में तीर मार रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी सचिन बजे के सहारे इस केस की गुत्थी सुलझाने में जुटी हुई है लेकिन अब तक गैंग्स ऑफ बजे टीम में शामिल सभी आरोपियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी नहीं कर पाई है जबकि उसके कुकर्म में सहयोगी बनकर संदेह के घेरे में आए रियाजुद्दीन काजी तथा कुछ अन्य को सरकारी गवाह बनने का ऑफर देकर अभी गिरफ्तार नहीं करने की छूट प्रदान की गई है।
सूत्रों का कहना है कि एंटीलिया और मनसुख हीरेन मामला आपस में जुड़ा है और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी को मनसुख मामले की जांच भी शनिवार दोपहर सौंप दी है ।
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी पिछले कुछ दिनों से सचिन बजे की गिरफ्तारी के बाद उसके कब्जे से समान बरामदगी के अलावा रिक्रिएशन पर जोर दे रही है, इसी के चलते एनआईए ने क्राइम सीन रीक्रिएट करते हुए PPE किट पहनाकर सचिन वाजे को घटनास्थल पर चलवाया तथा रिक्रिएशन को सीसीटीवी फुटेज से मिलवाया।
स्कॉर्पियो में विस्फोटक रखने की जगह पर पहुंचकर कुछ और सबूत इकट्ठे किए लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी का कहना है कि सचिन बजे से जांच में सहयोग नहीं कर रहा हैं, इस बीच एनआईए की एक टीम ने शुक्रवार को मुंबई पुलिस के नवनियुक्त कमिश्नर से भी मुलाकात की ओर इस दौरान NIA ने कमिश्नर से जांच में सहयोग करने की मांग की।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी सूत्रों का कहना है कि सचिन के कब्जे से बरामद SUV प्राडो कार को नागपुर से गिलेटिन स्टिक ले जाने के लिए इस्तेमाल किया गया था जबकि संदेह है कि सफेद प्राडो कार का इस्तेमाल जिलेटिन को स्कॉर्पियो कार तक पहुंचाने में इस्तेमाल किया गया। एनआईए जिलेटिन के निशान के लिए प्राडो कार की गहन जांच कर रही है।
इस बीच मनसुख मामले की जांच कर रही मुंबई एटीएस ने भी अदालत के समक्ष अपने आवेदन में गुहार लगाई है कि वज़े को हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है।
लेकिन जांच एनआईए को सौपे जाने के बाद एटीएस को इस मांग की जरूरत अब नहीं है वैसे इससे पहले मुंबई एटीएस का तर्क है कि मनसुख हिरेन की मौत का सच जानना जरूरी है और मुंबई एटीएस ने अदालत में अपनी दलीलों का हवाला देते हुए कहा कि वे हिरेन की कथित हत्या की साजिश में वज़े की भागीदारी को समझने के लिए उससे पूछताछ करना चाहते हैं हालांकि इस पर अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा ।
वैसे एनआईए की हिरासत खत्म होने के बाद ATS को अदालत से सचिन वज़े की कस्टडी मिलने की संभावना जताई गई थी । इस बीच वज़े की बहन अनुराधा हाटकर ने इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर की है और उसने मीडिया पर उनके परिवार का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है, साथ ही उसने पर्याप्त पुलिस सुरक्षा भी मांगी है।
उधर, खुलासा हुआ है कि मौत से पहले कथित तौर पर मनसुख हिरेन के साथ मारपीट की गई थी। मनसुख हिरेन को जब समंदर में फेंक दिया गया था तो उस वक्त उसकी सांसें चल रही थी। मनसुख हिरेन की लाश 5 मार्च की सुबह मुंब्रा क्रीक में मिली थी और लाश के साथ पांच रूमाल भी थे, जो उनके मुंह पर बंधे हुए थे।
मौके पर एक स्कार्फ भी मिला था, जिसकी गुत्थी सुलझाना बाकी है। उसकी पत्नी बिमला ने भी पति की हत्या किए जाने के आरोप लगाए थे जबकि भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस भी इस तरह के आरोप लगाए थे। इस बीच
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था खराब होने का हवाला देते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
उनका कहना है जिस तरह से मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक रखने जैसी बड़ी साजिश में शामिल आपराधिक छवि वाले पुलिस कर्मी सचिन वजे की गिऱफ्तारी हुई, उससे पता चलता है कि राज्य की कानून व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है।
इस बीच प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख पार्टी सुप्रीमो शरद पवार से दिल्ली में मुलाकात की, इन दिनों महाराष्ट्र में चर्चा है कि गृह मंत्री को भी इस मामले को लेकर बलि दी जा सकती है ताकि उद्धव ठाकरे की सरकार को बचाए रखा जा सके।
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