अनुज अग्रवाल। ब्राज़ील, फ़्रांस और आस्ट्रेलिया के बाद अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइकलपोम्पियो ने कोरोना को चीन का जैविकहमला बताया है। यह चीन का सौभाग्य या कोई साजिश है कि डोनॉल्ड ट्रंप हार गए। अन्यथा चीन की हालत कुछ और होती। एक तरीक़े से उन्होंने इशारा किया है कि चीन और डेमोक्रेटिक पार्टी का जोईंट वेंचर है यह वायरस।
विचित्र बात यह है कि यह युद्ध राष्ट्रों के बीच में न होकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच में है और सरकारें, नेता, नोकरशाह, मीडिया और राजनीतिक दल इन कंपनियों के शेयरहोल्डर बनकर इनके एजेंट बन गए हैं। वास्तव में सन 2016 में आयी ओबामा केयर योजना से शुरू हुआ था यह खेल।
अब तो दुनिया की बहुत सारी सरकारें और राजनीतिक दल भी जुड़ गए हैं इस आत्मघाती खेल से । ज़्यादा लाभ के लालच और लाभ में बँटवारे के झगड़े के कारण गिद्धों के इस नर संहार के व्यापार की अब जल्दी ही और पर्तें खुलनी तय है और बड़े संघर्ष की राह भी। जैविक युद्ध की आड़ में किए जा रहे द्रुतगामी बदलावों ने विश्व की राजनीति और शक्ति समीकरणों को तोड़ मरोड़ कर रख दिया है।
महाशक्तियों के इस गंदे खेल में लगभग हर देश बार बार लगातार जैविक हमले (कोरोना वायरस) का शिकार हो रहा है और पहली, दूसरी, तीसरी , चौथी और पाँचवी लहर से घिरा हुआ है। ये लहरें तब तक चलती रहेंगी जब तक वह देश व उसके लोग नयी तकनीक, प्राद्योगिकी व व्यवस्थाओं के अनुरूप स्वयं को ढाल नहीं लेते। निश्चित ही यह कार्य कुछ महीनों में नहीं होने वाला बल्कि कुछ वर्ष तो लेगा ही ।
यानि अगले कुछ वर्षों तक दुनिया के हर देश व क्षेत्र में व्यापक अनिश्चितता, तबाही, उतार-चढ़ाव, बदलाव व राजनीतिक उठापठक होना निश्चित है।इन सबके बीच इन लहरो के नाम पर और अन्य दवाई के परीक्षण किए जाएंगे, लोगों की जान लेकर मोटा मुनाफा कमाया जाएगा, ये एक बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय सिंडीकेट है जो कोरोना और उससे जुड़ी बीमारियों को आसानी से खत्म नही होने देगा।
इस समय मेडिकल सिंडिकेट का चारों तरफ से मुनाफा हो रहा है, फेफड़े, ह्रदय, किडनी, आंखे, जबड़े, लिवर, हर अंग बेकार करके दवाइयों का और अन्य मेडिकल सामान का भरपूर व्यापार चल रहा। यह बात अब बिल्कुल शीशे की तरह साफ है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के सहयोग से अमेरिकन मेडिकल माफिया ने कोरोना वायरस बनाने के लिये चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को मोटा पैसा दिया था ।
अमेरिका राष्ट्रपति बाइडेन के मुख्य स्वास्थ्य सलाहकार के डाक्टर फुँची पर यह आरोप लग रहा है कि विहं इन्स्टिटूट ऑफ़ वायरोलो जी (wuhan institute of virology) ने मेडिकल माफिया के सरगना डाक्टर फुँची के कहने पर लैब में वायरस तैयार किया और उसको फ़ार्मा कम्पनियों की मदद से दुनिया भर में फैलाया । इस सब मे चीनी कम्युनिस्ट , मेडिकल माफिया पूर्णतः दोषी हैं ।
यह पूंजीवाद और कम्युनिज्म की पुरानी तकनीक है कि पहले कोई समस्या खड़ी करो फिर उसका हल मोटे दामों पर बेचो । डबल्यूएचओ ,पूंजीवादी मेडीकल कंपनियों और चीनी कम्युनिस्म का यह joint venture है । पहले आपको इन्होंने वायरस दिया फिर उसकी वैक्सीन तैयार करके मोटा माल हड़प लिया । पीपीई किट्स,,वेंटिलेटर ,रेमड्सवीर , फ़ेविफ़्लू, वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां जमकर पैसा बना रहीं है ।
अगर आप समझते हैं कि आप बच जाएंगे तो आपकी भूल है। पूंजीवाद और कम्युनिस्म की इस कोकटेल के लिये पैसा ही सब कुछ है । सही विकल्प है सनातन मॉडल । यह पहले आपको बीमार करेंगे फिर वैक्सीन लगाकर विकास का ढोल पीटेंगे । और आप सोचेंगे कि देखो साइंस कितनी तरक्की कर गई । ऐसे नकली विकास , नकली विज्ञान और नकली वैज्ञानिको पर लानत है। सनातन संस्कृति से ओतप्रोत मौलिक भारत ही एकमात्र विकल्प है।
सनातन शाश्वत सत्य है। तो सनातनी बनो और सनातन समझाओ और बचाओ।