रामेश्वर मिश्र पंकज। पहली बात तो यह है कि एक हिंदू लड़की मुस्लिम लड़के से विवाह करती है तो इसमें वर्तमान कानूनों के अंतर्गत कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है ।
यह कानून कब लागू होता है ?
जब आप उस विवाह स्थल पर जाकर कोई आपत्ति करें या उस विवाह में बाधा डालने जाएँ।
परंतु इस पर सामाजिक चर्चा में कोई कानून आड़े नहीं आता बशर्ते उसकी भाषा विधिक मर्यादा के अंतर्गत हो।।
तो आजकल सोशल मीडिया में जो यह आ रहा है कि कोई हिंदू लड़की मुस्लिम लड़के से विवाह करेगी तो हमें क्या आपत्ति हो सकती है??
मैं इस पर घोर आपत्ति लोगों के इस प्रकार के कथन पर व्यक्त करता हूं ।
क्योंकि हमारी बेटी हमारे घर की लड़की मुस्लिम लड़के से विवाह करती है तो हमें 500 कारणों से घोर आपत्ति है ।घोर आपत्ति है। परम आपत्ति है ।अत्यधिक आपत्ति है। भीषण आपत्ति है हमें यह विवाह पूरी तरह असहनीय है ।पूर्ण रूप सेअसहनीय है ।अस्वीकार्य है और यह बात सार्वजनिक मंचों में सभाओं में सब जगह कहने की है ।ताकि हमारा सत्य भी सामने आए और आधुनिक नेताओं ने हिन्दुओं को किस प्रकार विवश, अवश, असहाय बिलखने को विवश कर दिया है, उस पर हमारा गहरा क्षोभ सार्वजनिक हो सके। अपनी स्वीकृति और अपनी आपत्ति को आप विधिक मर्यादा के अंतर्गत व्यक्त करने को स्वतंत्र हैं। उसके अनुसार कोई कदम मत उठाइए अर्थात लड़ने भिड़ने मत जाइए ,विवाह में बाधा डालने मत जाइए ।
परंतु अपनी आपत्ति अवश्य अंकित कराइए। जैसे कि मैं इसी पोस्ट में अभी करने जा रहा हूं और आगे अनेक पोस्टों में करूंगा। हिंदुओं ने तो जैसे चालू नेताओं के नाम से सारे ही हिंदू विरोधियों से दबने का कोई ठेका ले रखा है । आपको आपत्ति व्यक्त करने में क्या समस्या है? मेरी तो घोर आपत्ति है।।
कारण निम्नलिखित हैं:-
1) भारत का हर मुसलमान हिंदू पूर्वजों की संतान है, यह मुझे अच्छी तरह पता है ।उनके झूठे दावों का कोई आधार नहीं है । कोई भी अरब से नहीं आए हैं। धर्म त्याग को हमारे यहां बड़ा पाप माना गया है। अतः अपना धर्म त्यागने वाले परिवार में हमारी बेटी जाए इसमें हमें घोर आपत्ति है।
2) यदि संबंधित मुस्लिम लड़का यह घोषणा करता है कि अपने पूर्वजों द्वारा अपना सनातन धर्म त्यागने पर मुझे गहरी ग्लानि है और लज्जा है और मैं इसका प्रायश्चित करना चाहता हूं और अपने उन पूर्वजों से, जिन्होंने अपना सनातन धर्म त्याग कर यह मजहब अपनाया , उन पूर्वजों से पहले के अपने महान और वीर पूर्वजों के सनातन धर्म से जुड़ना चाहता हूं , यह घोषणा करके शुद्ध होने की क्रिया संपन्न करके सनातन धर्म में दीक्षा ले ले तो हम इस विवाह के विरोधी नहीं रहेंगे।
3) यदि लड़का लड़की यह कहते हैं कि मजहब या धर्म तो निजी विश्वास है और इसका हमारे सामाजिक जीवन से कोई संबंध नहीं तो उन्हें यह सार्वजनिक रूप से कहना होगा । तब हम उनके विवाह का विरोध त्यागने पर विचार कर सकते हैं । अथवा फिर हम अपनी ऐसी कन्या को अपने कुल और अपने समाज से त्यागने का निर्णय कर सकते हैं जो कि सनातन धर्म ,सर्वव्यापी मानव धर्म ,समस्त प्राणियों और समस्त समष्टि का विचार करने वाले अत्यंत कोमल और महान धर्म को इतना क्षुद्र रूप में मानती है तो उसे संस्कार न दे पाने के कारण गहरी ग्लानि व्यक्त करते हुए हम उसे अपनी भूल सुधारने और हिंदू धर्म के विषय में जानकारी लेने का संकल्प करने का अवसर देते हैं ।
अगर वह चाहे तो इस अवसर को स्वीकार कर सकती है और अगले 1 वर्ष तक लगातार सबसे पहले सनातन धर्म का ज्ञान प्राप्त करने की घोषणा कर सकती हैं और अगर वह न चाहे तो वह हिंदू धर्म और हिंदू समाज का त्याग करके यह कह सकती है कि मैं जीवन में कभी ऐसे किसी धर्म या मजहब को नहीं मानूंगी ,जिसका कोई सामाजिक पक्ष भी होता है क्योंकि वह मेरे लिए निजी वस्तु है ,ऐसी घोषणा करने पर हम उसे सच्ची मानेंगे ।अन्यथा हम उसे जालसाज और फरेब करने वाली लड़की मानकर बहुत ही ग्लानि से भर जाएंगे ।परंतु उसका परित्याग कर देंगे।
4) हमारे पूर्वजों ने हमे निजी संस्मरण बताए हैं और इतिहास के प्रामाणिक तथ्यों का भी ज्ञान प्राप्त है कि हमारे बीच रहने वाले मुस्लिम मौका पाते ही भीड़ बनाकर हमारे धर्म स्थल कब्जा करते हैं, उन्हें कुफ्र की जगह घोषित कर तोड़ फोड़ कर मस्जिद बनाते हैं और उसे हमारे धर्म पर आक्रमण का अड्डा बना देते हैं और दिन में5बार नित्य हमारे देवताओं के पूज्य नहीं होने की घोषणा करते हैं।इस घृणित पाप में हमारी बेटी सहभागी होगी तो हमारे कुल की 21 पीढियां नरक में जाएँगी । इतने महापाप और कुकृत्य से अपने कुल को मुक्त रखने के लिए हम इस पाप का विरोध करते हैं।
(क्रमशः)