रिया चक्रवर्ती पर एनसीबी का शिकंजा कस चुका है। सुशांत सिंह प्रकरण एक ऐसा प्रकरण बन चुका है, जिसमे और भी प्रकरण शामिल हो गए हैं। कंगना रनौत को सुशांत के समर्थन में बोलने और बॉलीवुड में चल रहे ड्रग सिंडिकेट की पोल खोलने की सज़ा दी गई है। कंगना के ज्वलंत बयानों के बाद मुंबई स्थित उनके मणिकर्णिका फिल्म्स के ऑफिस पर वृहन्न मुंबई नगरपालिका ने छापेमारी की। कंगना ने इसे बदले की कार्रवाई बताते हुए कहा है कि उनका सपना टूट गया।
ऐसी ख़बरें हैं कि उनके इस प्रोडक्शन ऑफिस में तोड़फोड़ भी की गई है। शिवसेना नेता संजय राउत अब ऐसी हर कार्रवाई में उन तीनों दलों की सहमति बता रहे हैं, जो महाराष्ट्र सरकार के घटक हैं। चतुराई से शिवसेना ने इस प्रतिशोधात्मक कार्रवाई में अपने सहयोगी दल कांग्रेस और एनसीपी को भी सहभागी बना लिया है। कंगना के प्रति निम्न स्तर के बयान और उनके ऑफिस पर कार्रवाई के बाद भी एनसीपी और कांग्रेस का कोई औपचारिक बयान न आना दर्शा रहा है कि इस अपमानजनक कार्रवाई से वे खुद को अलग करके नहीं देख रहे हैं।
कंगना के घर आए कर्मचारियों का वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वे कहते सुने जा सकते हैं कि वो जो मैडम है, उसकी करतूत का परिणाम सबको भरना होगा। उद्धव सरकार महाराष्ट्र को अपना गढ़ समझने लगी है और ऐसी कार्रवाइयां इस बात की पुष्टि करती प्रतीत हो रही हैं।
जब सरकारें विनम्र होना भूल जाती हैं तो ये तय हो जाता है कि वे ज़्यादा वक़्त तक टिकी नहीं रहने वाली है। अब तो ये प्रश्न भारत की जनता के मन को मथ रहा है कि ऐसा कौन है, जिसको बचाने के लिए तीनों पार्टियां राज्य में दमनकारी नीति अपनाए हुए हैं।
मुंबई में सुशांत की मौत के कुछ अंतराल में जिस समीर बांगरा की संदेहास्पद परिस्थिति में मौत हो गई, उसका इस केस से क्या कनेक्शन है, ये सीबीआई को पता लगाना होगा। सुशांत सिंह राजपूत, दिशा सालियान और समीर बांगरा की मौत में एक दिलचस्प त्रिकोण बना हुआ है। इस त्रिकोण के बीच फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने नाम हैं। सीबीआई को इस केस की तह तक जाना है तो समीर बांगरा की मौत की तहकीकात भी करनी ही होगी।
जो गेम सुशांत सिंह राजपूत डेवलप कर रहे थे, वह 200 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू जनरेट करता। सुशांत-दिशा-समीर की संदिग्ध मौतों के पीछे कहीं ऐसा गेम वॉर तो नहीं जो परदे के पीछे से खेला जा रहा था।
ये सब पता चलने के बाद बॉलीवुड को प्यार करने वाले दर्शक के मन में इनके लिए वितृष्णा भर गई है। युवा कलाकारों को उनके अभिभावक अब मुंबई भेजने से कतराएंगे कि कहीं ये ज़हर उनके बच्चे की ज़रूरत न बन जाए।
केंद्र को इस बात का अहसास था कि इस केस की जडें बॉलीवुड में भीतर तक धंसी हुई हैं। इसलिए ही तीन केंद्रीय एजेंसियों को भेजा गया। मामले की गंभीरता अब समझ में आ रही है, जब एक गेम वॉर भी सुशांत की मौत से जुड़ता दिखाई दे रहा है।
इस देश का दुर्भाग्य ये है कि जब भी ऐसे मामलों में राजनीतिक दलों के अपने लोग फंसते दिखाई देते हैं, उन्हें बचाने का खेल शुरू हो जाता है। दुर्भाग्य से सुशांत प्रकरण में ये खेल शुरू हो चुका है। बस अर्नब गोस्वामी से ये आशा है कि मुंबई में परदे के पीछे चले रहे इस वॉर गेम की सच्चाई को सामने लाए। फिर इसमें किसी राष्ट्रवादी अभिनेता का नाम भी आता है तो बख्शा न जाए। बॉलीवुड की कीमोथैरिपी का ये उचित समय है। लोहा गर्म है, इस समय चोट करनी ही होगी।
बहुत सही कहा
Right now no difference between Maharashtra and Bengal governance. If BJP will tie up with SS next any election then BJP must suffer.