अर्चना कुमारी । क्या न्याय का तराजू बराबर है या एक तरफ झुकता दिखाई दे रहा है जबकि दोनों पर एक दूसरे के धर्म के अपमान के आरोप हैं। इसमें से एक को तो फौरी तौर पर राहत मिल गई है लेकिन दूसरा न्याय पाने के लिए एक बार फिर सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
सर्वोच्च अदालत ने जहां ऑल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में दर्ज प्राथमिकियों को रद्द करने की मांग वाली उनकी याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है और उत्तर प्रदेश पुलिस को जुबैर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है वहीं पर भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में गिरफ्तारी पर रोक के लिए फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
उन्होंने देश भर में अपने खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकी को क्लब करने का निर्देश देने की अपील की है। इस बार दाखिल याचिका में पिछली याचिका के दौरान कोर्ट की सख्त टिप्पणियों का भी हवाला दिया है और कहा है कि कड़े कॉमेंट्स के बाद उन्हें खतरा और बढ़ गया है। उन्हें जान से मारने और रेप की धमकी मिल रही हैं।
याचिका में नूपुर ने कोर्ट से उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने और सभी केस दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की है। इस याचिका पर सुनवाई भी वही बेंच करेगी, जिसने पिछली याचिका पर नूपुर को फटकार लगाई थी। इससे पहले इसी बेंच ने सख्त टिप्पणियां करते हुए नुपुर की याचिका सुनने से मना कर दिया था, अब नूपुर एक बार फिर उसी बेंच से अपनी मांग पर दोबारा विचार करने का आग्रह करेगी।
नूपुर के खिलाफ दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, असम और जम्मू कश्मीर में प्राथमिकी दर्ज हुई हैं। नूपुर की मांग है कि उनके खिलाफ पहली प्राथमिक दिल्ली में दर्ज हुई थी इसलिए बाकी मामले भी दिल्ली में ट्रांसफर कर दिए जाएं। मंगलवार को होने वाले सुनवाई में अब देखना होगा कि एक महिला नूपुर शर्मा को न्याय मिलता है या नहीं।
इस बीच जुबेर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की उस अर्जी पर 20 जुलाई को सुनवाई करेगा, जिसमें कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया है और शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि इस बीच जुबैर के खिलाफ जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाया जाए। हालांकि दोनों मामलों के बेंच अलग है।