शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे एक लेख में राष्ट्रीय जनता दल के युवा नेता तेजस्वी यादव की प्रशंसा की गई है। इस लेख में तेजस्वी की तुलना अमेरिका में हाल ही में जीतकर आए जो बाइडेन से की गई है। लेख में तेजस्वी की प्रशंसा करते हुए एनडीए नेता नरेंद्र मोदी और नितीश कुमार की आलोचना की गई है।
इस लेख में शिवसेना की ओर से दावा किया गया है कि बिहार चुनाव में तेजस्वी एनडीए गठबंधन को वैसे ही पराजित करेंगे, जैसे अमेरिका में जो बाइडेन ने ट्रम्प पर भारी जीत हासिल की है।हालांकि अमेरिका में बाइडेन को भारी जीत हासिल नहीं हुई है। सामना आगे लिखता है कि तेजस्वी यादव ने बिहारियों के मन पर कब्जा कर लिया, जो मोदी और नितीश नहीं कर सके।
बिहार विधानसभा चुनाव के एक्जिट पोल देखने के बाद सामना ने लिखा है कि तेजस्वी ने अपने राजनीतिक वजन से कहीं भारी पंच विधानसभा चुनाव में दे मारा है। एक्जिट पोल बता रहे हैं कि बिहार चुनाव का परिणाम बहुत करीबी हो सकता है। पोल के मुताबिक महागठबंधन और एनडीए दोनों ही अच्छी सीटें प्राप्त करने की स्थिति में बताए जा रहे हैं।
देखा जाए तो एक्जिट पोल बिहार में त्रिशंकु विधानसभा की ओर इशारा कर रहा है लेकिन शिवसेना का मुखपत्र सामना महागठबंधन द्वारा एनडीए को कड़ी टक्कर की बात लिख रहा है। शिवसेना सामना में महागठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल व अन्य दलों के सहयोग से सरकार बनाने की बात करती है।
ये देखना भी महत्वपूर्ण है कि शिवसेना का मुखपत्र उत्तरप्रदेश और बिहार से महाराष्ट्र आने वाले लोगों के लिए किस तरह के विचार रखती है। सामना में बिहार और उत्तरप्रदेश के लोगों के लिए व्यंगात्मक टिप्पणियां छपती रही हैं। तो शिवसेना ने तेज़ी से अपना व्यंगात्मक नेरेटिव बदल लिया।
शिवसेना ने अपने वैचारिक प्रतिद्वंदियों से गठजोड़ करने के बाद अपनी स्थापित विचारधारा को त्याग दिया। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिये हमेशा ही मुंबई में उत्तरप्रदेश और बिहार से आने वालों पर निशाना साधा है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मुंबई और पुणे में बाहरियों के आने से जनसंख्या संतुलन गड़बड़ाने की बात कही थी, उसके बाद सामना उत्तरप्रदेश और बिहार से काम करने आने वाले लोगों पर हमलावर हो गया था। सामना लगातार उत्तरप्रदेश और बिहार की सरकारों को इस बात के लिए लताड़ता रहा है कि वे अपने राज्यों से अघोषित पलायन नहीं रोकते।
एक बार बाल ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा था, ‘मुंबई धर्मशाला बन गई है, बाहरी लोगों को आने से रोकने का एकमात्र तरीक़ा यही है कि परमिट सिस्टम लागू कर दिया जाए। इसके बाद सन 2000 की शुरुआत में महाराष्ट्र में बाहर से आकर काम करने वालों के लिए परमिट नियम ठाकरे ने लागू करवाया था। बाद में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने पर उद्धव ठाकरे ने भी परमिट की बात को उठाया था।
एक बार भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उत्तर भारतीयों की प्रशंसा करते हुए कहा था कि मुंबई के योगदान में मराठियों और उत्तर भारतीयों का समान योगदान है। सामना ने इसकी आलोचना करते हुए लिखा कि फडणवीस का बयान शर्मनाक है। सामना के मुताबिक मुंबई पर पहला अधिकार केवल मराठियों का होना चाहिए।
सन 2008 को कैसे भूला जाए, जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और समाजवादी पार्टी के बीच बड़ा विवाद हुआ था। उस समय बिहार और उत्तरप्रदेश के नागरिकों पर मुंबई में हिंसक हमले किये गए थे। ये हमले केवल मुंबई में ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में किये गए थे। इसके बाद लगभग 25000 लोग महाराष्ट्र छोड़कर अपने राज्यों में चले गए थे।
बाला साहेब ठाकरे का सामना में छापा वह लेख कैसे भूला जा सकता है, जिसमे उन्होंने बिहार के बारे में लिख दिया था ‘एक बिहार, सौ बीमार। बाला साहेब ने सामना में लिखा कि बिहारियों से स्थानीय लोग नाराज़ रहते हैं और ये जहाँ भी जाते हैं, इनका स्वागत नहीं किया जाता।
कभी हिंदुत्व की बात करने वाली शिवसेना आज हिंदुत्व विरोधी शक्तियों के साथ खड़ी है। एनडीए के साथ हमेशा गठजोड़ में रहने वाली शिवसेना ने सत्ता पाने के लिए अपनी विचारधारा को त्याग दिया है। आज वह बिहार में कांग्रेस की ही एक ‘बी’ टीम के रुप में अपनी सेवाएं दे रही है।