अर्चना कुमारी। किसान आंदोलन की आड़ में अपराधियों की मंडी पिछले कई महीनों से दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में सजी हुई है । यहां पर छेड़छाड़ तो अक्सर होता रहता है। पिछले दिनों तो एक लड़की के साथ बलात्कार की भी घटना सामने आई । इतना ही नहीं किसान धरना स्थल पर एक व्यक्ति को जिंदा भी जला दिया गया । इस आंदोलन से जुड़े अनेक किसान नेताओं ने राकेश टिकैत पर आंदोलन बेचने का भी आरोप लगाया लेकिन इसके बावजूद गुंडागर्दी का गढ़ बन चुका कथित आंदोलन जारी है ।
कोई दिन ऐसा नहीं बीता जब किसान आंदोलन के स्थल पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई । शारीरिक छेड़छाड़ तो आम बात है, महिलाओं से धक्का-मुक्की तथा शारीरिक छेड़खानी के अलावा उनके कूल्हों और गालों पर चुटकियां काटी जाती है । कुछ महिलाएं तो इसका विरोध करते हैं लेकिन अधिकांश लोक लाज के चलते चुप रहना ही बेहतर समझते हैं ।
पिछले दिनों तो किसान आंदोलन में पश्चिम बंगाल से युवती के साथ बलात्कार की घटना ने सबको सदमे में डाल दिया। इस मामले में टिकरी बॉर्डर पर किसान सोशल आर्मी चलाने वाले अनूप और अनिल मलिक समेत 6 लोगों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया गया था और कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी भी की गई जबकि बलात्कार की शिकार हुई युवती की कोविड संक्रमण के चलते मौत हो गई थी । पुलिस की जांच में पता चला कि युवती अप्रैल के महीने में 6 लोगों के साथ किसानों के आंदोलन में शिरकत करने आई थी, जिसमें 2 महिलाएं भी शामिल थी।
सबसे दुखद और घृणित बात यह रही किसान आंदोलन के कर्ताधर्ताओं ने इस गैंगरेप पर पर्दा डालने की भरपूर कोशिश की। इस सिलसिले में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव को राष्ट्रीय महिला आयोग ने नोटिस भी दिया। गैंगरेप के कुछ दिनों बाद पीड़ित युवती जानलेवा करोना की शिकार हुई और उसने दम तोड़ दिया। किसान केे धरना स्थल पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और अत्याचार की घटनाएं फिर भी नहीं रुकती दिखाई दी। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने भी छेड़छाड़ और अत्याचारों की दास्तां बयां की।
उसने बताया कि किस तरह इन कथित किसानों ने उसकी अस्मिता पर डाका डालने की घिनौनी कोशिश की। किसानों के इस कथित आंदोलन को लेकर एक और बात सामने आई ,जो और भी हैरान करने वाला था । बताया गया कि टिकरी में आंदोलन की जगह पर टेंट लगाकर वेश्यावृत्ति रैकेट चलाया जा रहा है । इतना ही नहीं हरियाणा के बहादुरगढ़ में तो किसान धरना स्थल पर एक व्यक्ति को जिंदा जला दिया गया।
किसान शराब के नशे में धुत थे और एक छोटे से आपसी विवाद में उन्होंने इस हरकत को अंजाम दिया। किसानों के नाम पर गुंडागर्दी, अनैतिकता और अत्याचार ने पूरे आंदोलन को गुंडागर्दी का आंदोलन बना दिया है । पुलिस की जांच में यह बात सामने आई हैैै कि जिंदा जलाया गया मृतक मुकेश ने कृष्ण, संदीप और दो अन्य लोगों के साथ बैठकर शराब का सेवन किया था। इसी दौरान मृतक ने किसान आंदोलन को लेकर कुछ गलत शब्दों का प्रयोग किया, जिसकेेेे बाद
मुकेश को जिंदा जला दिया गया। जहां यह घटना हुई उसके आसपास के गांव वालों ने इस घटना से नाराज होकर किसान आंदोलन पर भी सवाल उठाए थे और पुलिस से किसानों की झोपड़िया हटाने की मांग की थी लेकिन इन लोगों का तंबू अभी तक नहीं उजाड़ा गया। मजेदार बात यह है कि कथित किसान आंदोलन को लीड कर रहे शीर्ष नेता राकेश टिकैत ने इस तरह की घटनाओं पर कोई खास टिप्पणी नहीं की लेकिन उन्होंने यह अवश्य कहा कि हमें बांटने की कोशिश की जाएगी लेकिन हम जोड़ने का काम करेंगे।
राकेश टिकैत पर आंदोलन बेचने का तो आरोप लगा ही उनके ट्वीट को लेकर एक शख्स ने यहां तक पूछा था ,आप कानून का विरोध करने गए हैं या तिरंगे का अपमान करने या सामूहिक बलात्कार करवाने, किसानों की गरिमा और कितना गिराओगे। गणंतत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने भी राकेश टिकैत पर किसान आंदोलन को बेचने का गंभीर आरोप लगाया था। उनका कहना था कि कुछ किसान संगठन किसान आंदोलन को बेचना चाह रहे हैं और कह रहे हैं कि सरकार को जो बात करनी है वह उनसे करे। ऐसे लोग किसानों के कतई हितैषी नहीं हो सकते और इसके अलावा कई अन्य नेताओं ने भी राकेश टिकैत पर आंदोलन बेचने का सनसनीखेज आरोप लगाया था।