अर्चना कुमारी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुए हिंसा पर अपनी रिपोर्ट कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ को को सौंप दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों ने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए जबरदस्त हिंसा की थी। हिंसा के दौरान लोगों पर हमले हुए तथा उन्हें घर छोड़ने पर मजबूर किया गया।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच करने वाले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की समिति ने कलकत्ता हाईकोर्ट को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में राज्य में स्थिति को कानून के शासन की जगह शासक के शासन का प्रदर्शन’ करार देते हुए हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों’ की सीबीआई जांच कराए जाने की सिफारिश की है। मानवाधिकार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों के खिलाफ सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों द्वारा बदले की हिंसा थी। इसके नतीजे से हजारों लोगों के जीवन और आजीविका में मुश्किलें उत्पन्न हुईं और आर्थिक रूप से उनका गला घोंट दिया गया। आयोग ने
हत्या, रेप जैस जघन्य अपराधों के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश की है जबकि इन मामलों में मुकदमा राज्य से बाहर चलना चाहिए। दरअसल हाईकोर्ट में दायर कई जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा में लोगों पर हमले किए गए ,जिसकी वजह से उन्हें अपने घर छोड़ने पड़े और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया। हाई कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ के निर्देश पर एनएचआरसी अध्यक्ष द्वारा गठित समिति ने यह भी कहा कि इन मामलों में मुकदमे राज्य से बाहर चलने चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसक घटनाओं का विश्लेषण पीड़ितों की पीड़ा के प्रति राज्य सरकार की भयावह निष्ठुरता को दर्शाता है।एनएचआरसी की समिति ने अपनी बेहद तल्ख टिप्पणी में कहा, ‘सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों द्वारा यह हिंसा मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों को सबक सिखाने के लिए की गई। पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अदालत का अपमान’करने और भारतीय जनता पार्टी का ‘राजनीतिक बदला लेने’ के लिए राज्य में चुनाव के बाद कथित हिंसा संबंधी अपनी रिपोर्ट मीडिया में लीक करने को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की निंदा की।
उनका कहना था कि राज्य सरकार के विचार जाने बिना एनएचआरसी के निष्कर्ष सही नहीं है और ‘बीजेपी अब हमारे राज्य की छवि खराब करने और राजनीतिक बदला लेने के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का सहारा ले रही है। ममता बनर्जी ने कहा, एनएचआरसी को अदालत का सम्मान करना चाहिए था। मीडिया में रिपोर्ट के निष्कर्ष लीक करने के बजाय, उसे पहले इसे अदालत में दाखिल करना चाहिए लेकिन ममता बनर्जी के आरोपों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने खुलकर जवाब दिया है और कहा है कि ममता बनर्जी को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।
भाजपा नेता बीएल संतोष ने कहा राज्य में चुनाव बाद हिंसा के लिए। समाचार रिपोर्टों के लिए कई उपायों की सिफारिश करता है। उदारवादियों और समझौता किए गए इको सिस्टम द्वारा मृत चुप्पी। तथाकथित बुद्धिजीवियों की बेईमानी पर शर्म आती है। इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी किया और कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा से संबंधित रिपोर्ट के लीक होने के संबंध में मीडिया के एक वर्ग में लगे आरोपों का खंडन किया।
उसका कहना था कि माननीय कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार एनएचआरसी ने इस मामले में संबंधित पक्षों के अधिवक्ताओं के साथ उक्त रिपोर्ट की प्रति पहले ही साझा कर दी है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने माननीय कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए एक समिति का गठन किया।
समिति ने अपनी रिपोर्ट 13 जुलाई, 2021 को माननीय न्यायालय को प्रस्तुत की। माननीय न्यायालय के आगे के निर्देश पर, समिति ने उक्त रिपोर्ट की एक प्रति कलकत्ता में अपने अधिवक्ता को प्रदान की, जिन्होंने संबंधित बहु-रिट याचिकाओं में सभी संबंधित पक्षों के अधिवक्ताओं के साथ साझा किया। मामला विचाराधीन होने के कारण, NHRC की समिति ने अपनी रिपोर्ट को माननीय न्यायालय द्वारा निर्दिष्ट के अलावा किसी अन्य संस्था को साझा नहीं किया।
चूंकि माननीय न्यायालय के निर्देशों के अनुसार सभी संबंधित पक्षों के पास पहले से ही रिपोर्ट उपलब्ध है, इसलिए एनएचआरसी के स्तर पर रिसाव का कोई सवाल ही नहीं है। एनएचआरसी को कथित रिपोर्ट के कथित रिसाव के संबंध में आरोप बिल्कुल निराधार और तथ्यात्मक रूप से गलत है।