न्यायपालिका न्याय करो , भारत से जंगलराज हटाओ ;
अपराधों का कर दो पूर्ण सफाया , सारा भ्रष्टाचार हटाओ ।
अब जब पट्टी खुली आंख से , तलवार आ चुकी हाथ में ;
न्याय हेतु तलवार उठाओ , पूरा भारत है साथ में ।
भारत की गंदी राजनीति है , इसकी पूर्ण सफाई हो ;
चुनाव – आयोग है पूरा गड़बड़ , इसकी पूर्ण छंटाई हो ।
हत्यारा है लोकतंत्र का , ई वी एम के कर दो टुकड़े ;
मृत्युदंड की सजा उसे हो , जो भारत के करता टुकड़े ।
जम्मू और कश्मीर बचाओ , मणिपुर की रक्षा हो ;
पुनः सशक्त करो सेना को , भारत की पूर्ण सुरक्षा हो ।
महारोग ये अग्निवीर है , सेना को इससे मुक्त करो ;
जनता की पूरी लूट बंद हो , शासन को पूर्ण दुरुस्त करो ।
मजहब निरपेक्ष बनाओ भारत , पक्षपात का पूर्ण खात्मा ;
धर्मनिरपेक्ष का अनर्थ खत्म हो , धर्म तो है मानव की आत्मा ।
देश की सबसे बड़ी समस्या , हर स्तर पर भ्रष्टाचार ;
कानून के शासन का दुश्मन है , जितना है सरकारी-कदाचार ।
नब्बे – प्रतिशत नेता – अफसर , ये कानून के दुश्मन हैं ;
देश के भी गद्दार यही हैं , कितना गंदा तन-मन-धन है ?
अब्बासी-हिंदू नेता व अफसर, अरब-अमेरिका के पिट्ठू ;
ये दलाल हैं चीन – पाक के , पूरी तरह भाड़े के टट्टू ।
कहने को भारत स्वतंत्र है , पर गुलाम से बदकर है ;
चंद लोग हैं भाग्य-विधाता , उन्हीं का जीवन बेहतर है ।
दूर करो सारी असमानता , सारे मानव एक बराबर ;
तब ही होगी सच्ची-आजादी, जब हो सबका सम्मान बराबर ।
यही धर्म का मर्म सदा से , जिसको कि निरपेक्ष कर दिया ;
धर्म का अर्थ कभी न माना , धर्म का बंटाढार कर दिया ।
जिनके रग – रग में अनाचार है , अय्याशी में पूरा डूबे ;
बेईमानी से यही बढ़े हैं , पूरी तरह फले – फूले ।
भगवान से कुछ न लेना देना , शैतान के ये तो वंशज हैं ;
अब्बासी-हिंदू भारत के नेता , घोर-पाप की गंदी-उपज हैं ।
भारत पर कसा है पूर्ण-शिकंजा , रक्षक कर दिये नपुंसक हैं ;
रक्षक ही तो बन गये हैं भक्षक , हिंदू के लिये ही हिंसक हैं ।
हिंदू का अर्थ है भारतवासी,जिसकी पुण्य,पितृ व मातृभूमि है;
अब्बासी-हिंदू इनका दुश्मन है ,कर रहा देश को नर्क भूमि है ।
न्यायपालिका न्याय की रक्षक , तलवार आ चुकी हाथ में ;
देशभक्त निर्भय हों आयें , अब न्याय तुम्हारे साथ में ।
“जय सनातन-भारत”,
”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”