मूवी रिव्यू : नवंबर स्टोरी
विपुल रेगे । पॉपकॉर्न सिनेमा दर्शक पर इतना हावी है कि किसी विषय पर बनाई गई गंभीर, जीवंत प्रस्तुति हमें आकर्षक नहीं लगती। हम उसे बोर कहकर एक ओर हट जाते हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म मूलतः पॉपकॉर्न सिनेमा के लिए है ही नहीं, यहाँ नवंबर स्टोरी जैसी फिल्मों का भविष्य उज्ज्वल है। यहाँ भी एक अड़चन है। ऐसे सिनेमा के लिए ऐसे दर्शक भी होने चाहिए, जो सिनेमा माध्यम को गहराई से समझते हैं। जैसे एक पक्का सुनकार शास्त्रीय संगीत की आत्मा को पहचानता है। जैसे अर्थपूर्ण साहित्य या चित्रकार की कृति, जिसके ब्रश स्ट्रोक्स को एक पारखी ही पढ़ और समझ सकता है। नवंबर स्टोरी एक एब्स्ट्रेक्ट पेंटिंग की तरह है, जिसके धूसर रंगों का संयोजन रहस्य निर्मित करता है।
विश्व सिनेमा कई विधाओं पर काम करता है। उसकी विभिन्न विधाओं में बॉलीवुड स्टाइल कहीं नहीं है। बॉलीवुड स्टाइल तो मराठी, तमिल, तेलगु, बंगाली और कन्नड़ सिनेमा में भी नहीं पाई जाती। तमिल भाषा में बनी नवंबर स्टोरी सात भागों में प्रस्तुत की गई है। इस सस्पेंस थ्रिलर को देखने के लिए धैर्य की आवश्यकता है।
एक प्रसिद्ध अपराध कथा लेखक गणेशन एक क्राइम सीन पर पाया जाता है। यहाँ एक महिला का शव मिला है। जिस मकान में महिला की हत्या हुई, उसकी भी अपनी एक कहानी है। इस लेखक के घर के पास एक रिटायर्ड डॉक्टर रहता है, जो फोरेंसिक एक्सपर्ट था। इस ख्यात एक्सपर्ट की सेवाएं भी ली जाती हैं लेकिन पुलिस को कुछ हाथ नहीं लगता। गणेशन की बेटी एक कंप्यूटर इंजीनियर हैं।
वह पुलिस विभाग को अपनी सेवाएं देती हैं। गणेशन का अपना अतीत है, जिस तक पुलिस पहुंचना चाहती है। फिल्म निर्देशक इंध्रा सुब्रमण्यम ने कुशलता से इस कहानी को सात भागों में बांटा है। निर्देशक ने इस कथा को विस्तार का खुला आकाश दिया है। इस कथा को कैरेक्टर स्कैच कहना न्यायसंगत होगा। हर किरदार गहनता से गढ़ा गया है।
हर किरदार की सुंदर कैरेक्टर बिल्डिंग की गई है। इस फिल्म के हर चरित्र से आपको प्यार हो जाएगा। गणेशन के किरदार को जीएम कुमार ने वास्तविकता के साथ प्रस्तुत किया है। पासुपति ने फोरेंसिक एक्सपर्ट की भूमिका जीवंतता के साथ की है। अरुलदौस को पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका में देखिये, उनके विभिन्न शेड्स देखिये, आपको पता चलेगा दक्षिण अभिनय से समृद्ध क्यों है।
तमन्ना भाटिया इस फिल्म की मुख्य किरदार हैं। अनुराधा की भूमिका उनके लिए मील का पत्थर बन गई है। पिता को बचाने और कर्तव्य निभाने का अंतर्द्वंद उन्होंने कुशलता से व्यक्त किया है। तमन्ना के अभिनय की रेंज बड़ी ही जबरदस्त है। ये फिल्म उनके अविस्मरणीय अभिनय से और भी दर्शनीय हो जाती है। मैंने देखा कि अंग्रेज़ी समीक्षाओं में फिल्म को उलझी हुई और बोर बताया गया है।
सिनेमा के कई रंग होते हैं। हिन्दी पट्टी में अधिकांश मनोरंजक फिल्मों को पसंद किया जाता है। यहाँ प्रयोगधर्मी सिनेमा के लिए अवसर बड़े कम होते हैं। फिल्म मेकिंग का भी अपना एब्स्ट्रेक्ट हो सकता है। नवंबर स्टोरी धूसर अबूझ रंगों से बनी एक पेंटिंग है। इसे कई दर्शकों ने पसंद किया है। इसे देखते हुए लगता है कि हम एक निर्देशक की फिल्म देख रहे हैं। ये फिल्म बच्चों के लिए नहीं है। ये फिल्म मसाला दर्शकों के लिए भी नहीं है। ये फिल्म थोड़े मैच्योर दर्शक के लिए हैं, जो विविध प्रकार का सिनेमा देखना चाहता है।
ये वेब सीरीज डिज्नी + हॉट स्टार पर हिंदी डब सुविधा के साथ उपलब्ध है।