मैंने सुना है, एक संध्या एक व्यक्ति, एक अजनबी गांव में एक रास्ते पर से एक मकान के सामने से गुजरता था। उस मकान का मालिक अपने घोड़े को मकान के भीतर ले जाने की भरसक कोशिश कर रहा था और घोड़ा मकान के भीतर जाने से इनकार कर रहा था। मकानों के भीतर घुसना आदमियों को अच्छा लगता है, उसके अतिरिक्त और किसी को भी अच्छा नहीं लगता। घोड़े भी इनकार करते हैं दीवालों के भीतर बंद होने से। वह घोड़ा भी इनकार कर रहा था। लेकिन वह आदमी उसे पूरी कोशिश कर रहा था।
उस अजनबी ने कहा कि क्या मैं कुछ सहायता कर सकता हूं?उस मकान मालिक ने कहा, बड़ी कृपा होगी, मुझे घोड़े को बहुत जरूरी काम से भीतर ले जाना है। कृपा कर थोड़ी सहायता करें, मैं अकेला ही घर में हूं। उस अजनबी आदमी ने घोड़े को भीतर पहुंचाने में सहायता दी। मकान के भीतर पहुंचते ही वह मकान मालिक उस घोड़े को दूसरी मंजिल पर सीढ़ियों पर चढ़ाने लगा। उस अजनबी ने कहा, आप यह क्या कर रहे हैं? उसने कहा, आप थोड़ी और सहायता कर दें, मुझे ऊपर इस घोड़े को जरूरी ले जाना है। अजनबी ने सोचा कि मुझे क्या प्रयोजन कि मैं पूछूं। किसी की निजी बातों में जाने की क्या जरूरत।
उसने घोड़े को ऊपर पहुंचाने में भी सहायता दी। बहुत मुश्किल, परेशानी से घोड़े को ऊपर ले जा सके। फिर उस मकान मालिक ने कहा, अब इसे बाथरूम में स्नानगृह में और पहुंचा दें। उस आदमी ने फिर भी सोचा कि मैं क्यों किसी की निजी बातों में पूछूं, उसने उसे घोड़े को भीतर धक्के देकर स्नानगृह में भी पहुंचा दिया। फिर तो उसे बाथ टब में भी खड़ा करवा लिया और इसके बाद उस घर मालिक ने खीसे से पिस्तौल निकाली और घोड़े को गोली मार दी। अब अजनबी से बिना पूछे नहीं रहा जा सका। उसने कहा, क्षमा करें? अब तक मैंने बरदाश्त किया, लेकिन अब मैं पूछना चाहता हूं कि यह सब क्या हो रहा है? यह क्या पागलपन है? यह क्या कर रहे हैं?
उस घर मालिक ने कहा, आप पूछते हैं, तो मैं बताए देता हूं। मेरे एक मित्र हैं, उनको ज्ञान की बीमारी हो गई है। ऐसी कोई बात ही नहीं है दुनिया में जिसको आप कहिए, और वे इस तरह मुस्कुराएंगे कि उनकी मुस्कुराहट से पता चलेगा कि वे पहले से ही जानते हैं। आप बात कह कर खतम करिए और वे कहेंगे, आई नो, मैं जानता हूं। उनके इस आई नो से हम सब घबड़ा गए हैं। आज वे मेरे घर आने वाले हैं।
उस मित्र ने पूछा, उनके घर आने से और घोड़े को ऊपर चढ़ा कर बाथरूम में ले जाकर गोली मारने से क्या संबंध? तो उस आदमी ने कहा, संबंध यह है कि आज वे यहां खाना खाएंगे,और खाने के बाद वे बाथरूम में हाथ-मुंह धोने जाएंगे। वहां से वे घबड़ाए हुए बहार निकलेंगे और कहेंगे कि आश्चर्य! एक घोड़ा मरा हुआ बाथरूम में खड़ा है! तब मैं मुस्कुराऊंगा और कहूंगा, आई नो। मैं भी बदला चुकाना चाहता हूं कि एक चीज ऐसी है, जिसने तुम्हें भी चकित कर दिया, तुम्हें भी आश्चर्य से भर दिया और उसको मैं जानता हूं।
मनुष्य-जाति के ऊपर जिन लोगों ने भी यह खयाल पैदा कर दिया है कि हम जानते हैं। उन लोगों ने मनुष्य की चेतना की हत्या कर दी। और समय आ गया है कि बगावत हो जाए। ज्ञानियों के प्रति बगावत का वक्त आ गया है। यह जो लोग कहते हैं कि हम जानते हैं, इनके प्रति विद्रोह हो जाना चाहिए। स्पष्ट हो जानी चाहिए, यह बात कि जीवन का सत्य बहुत अज्ञात है। उसे शब्दों और शास्त्रों को पढ़ कर जाना नहीं जा सकता है। और यह भी स्पष्ट हो जाना चाहिए इस विद्रोह के साथ कि जो सत्य को जानता है वह उसे शब्दों में कह नहीं पाता है!
ओशो- माटी कहे कुम्हार सूं-(ध्यान-साधन)-प्रवचन-08