अर्चना कुमारी। पिछले साल हुए दंगे की जांच को लेकर अदालत दिल्ली पुलिस की नींद उड़ा रखी है और इस बीच सीएए और एनआरसी को लेकर वर्ष 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच में तेजी लाने के लिए दिल्ली पुलिस ने एक अहम फैसला लिया है। इसके तहत दंगों के दौरान जांच कर रहे 14 पुलिसकर्मी जिनका दूसरे जिलों में तबादला कर दिया गया था, उनको वापस बुलाया गया है।
ऐसे पुलिसकर्मियों को दंगे की जांच में लगाने से न केवल जांच में तेजी आएगी बल्कि उन्हें पहले से इस घटनाक्रम के बारे में जानकारी है ,इस वजह से आरोपियों को भी धरपकड़ में तेजी देखने को मिलेगी । पुलिस सूत्रों का कहना है कि इन पुलिसकर्मियों को केस से जुड़ी बारिकियों का पता है। ऐसे में इन लोगों के जिले में वापस आने से निश्चय ही जांच में तेजी आएगी।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल इन अधिकारियों को तीन माह के लिए बुलाया गया है। जांच के बाद इनको जहां से बुलाया गया है, वहां वापस भेज दिया जाएगा। ऐसे ही कुछ और कर्मियों की तलाश की जा रही हो जो पूर्व में उत्तर पूर्वी जिले में तैनात रहे हैं और उनका तबादला कर दिया गया था ऐसे लोगों को दोबारा जिले में भेजा जाएगा।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि इन पुलिसकर्मियों में छह इंस्पेक्टर शामिल हैं। पुलिस मुख्यालय से आए आदेश के बाद इन को उत्तर-पूर्वी जिले में रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया है। गौरतलब है कि दंगों के दौरान भजनपुरा, न्यू उस्मानपुर, करावल नगर, जाफराबाद, शास्त्री पार्क, वेलकम, गोकुलपुरी, दयालपुर और सीलमपुर के इलाके प्रभावित हुए थे। दंगों में करीब 700 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई थीं।
पुलिस का कहना है कि ज्यादातर मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी हैं। जांच के दौरान ही जिले में तैनात कई ऐसे अधिकारियों के तबादले हो गए, जिनकी वजह से पूरे केस की जांच प्रभावित हुई। कई थानों के प्रभारियों के भी तबादले कर दिए गए थे।
इन सभी को वापस बुलाया गया है। इनमें एसआई, एएसआई, हवलदार के अलावा इंस्पेक्टर रैंक के भी अधिकारी शामिल हैं। इसके अलावा कोर्ट में अक्सर अदालत द्वारा पुलिस को फटकार मिलती है जिसके चलते भी दिल्ली पुलिस में इस तरह का निर्णय लिया है लेकिन इससे कितना फायदा मिलेगा यह तो वक्त ही बताएगा